Author: डॉ0 वेद प्रताप वैदिक

कहाँ गई वे बोलियाँ ?

पिछले 50 साल में लगभग सवा दो सौ भारतीय बोलियाँ समाप्त हो गई हैं। 1961 में भारत में 1100 भाषाएँ ...

अफगानिस्तान कभी आर्याना था

आज अफगानिस्तान और इस्लाम एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं, इसमें शक नहीं लेकिन यह भी सत्य है कि वह ...

जाति से पिंड कैसे छूटे?

जन्मना जाति-व्यवस्था भारत का अभिशाप है। उसे भंग करने का नारा महर्षि दयानंद और डॉ राममनोहर लोहिया जैसे समाज सुधारकों ...

सजा ऐसी कि रूह कांप जाए

निर्भया के बलात्करियों को अदालत ने दोषी तो पाया है लेकिन वह उन्हें फांसी देगी या नहीं, यह उहापोंह बनी ...

उइगर आतंकवाद से त्रस्त चीन

अपने यहां कहावत है कि ‘जाके पैर न फटे बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई’! चीन अब तक भारत की ...

तिब्बत पर ज़रा जुबान हिलाएं

तिब्बत की कराह ने सारी दुनिया को कॅंपा दिया है| दुनिया को पता है कि जो चीनी सरकार अपनी हान ...

कोतवाल पर कौन डाले हाथ ?

सांसद बाबू भाई कटारा गिरफ्तार नहीं होते तो शायद कबूतरबाजी का पिटारा बंद ही पड़ा रहता| कटारा के पिटारे से ...

नंदीग्राम क्यों बन गया बंदीग्राम

नवभारत टाइम्स, 26 मार्च 2007 : मार्क्सवादी सरकार अपवाद नहीं हैं| काँग्रेसी, भाजपाई, सपाई आदि कोई भी सरकार वही करती, ...

चीन से हम क्या सीखें

पिछले दो हजार साल में भारत ने चीनियों को इतनी विद्याएँं, इतना धर्म, इतना दर्शन और इतना आचार-विचार सिखाया है ...

माओ त्से तुंग का जन्म-स्थान: यात्रा-संस्मरण

जिन्ना की समाधि पर चार पंक्तियों का खामियाजा आडवाणीजी को इतनी जोर से भुगतना पड़ रहा है कि माओ के ...