Author: निर्मल रानी

लो आ गया पत्रकारिता का ‘गटर काल’

     देश इन दिनों बड़े ही अजीब-ो-ग़रीब दौर से गुज़र रहा है। मुख्यधारा का भारतीय मीडिया जो सत्ता के समक्ष ...

ख़ाली डब्बा – लुटते लोग

                                                                   कभी कभी अपने बुज़ुर्गों की दूरदर्शिता के बारे में सोचकर बहुत आश्चर्य होता है। 1968 में रिलीज़ हुई मुंबई सिनेमा ...

राजनीति और धर्म के घालमेल में ‘इस्तेमाल’ होती आस्थावानों की भीड़

    मध्य प्रदेश के कुबेरेश्वर धाम में पिछले दिनों आयोजित हुये 'रुद्राक्ष महोत्सव' में भगदड़ मच गयी। परिणाम स्वरूप कई ...

‘विश्वगुरु भारत’ में गुरुओं की स्थिति

     गुरु,शिक्षक अथवा अध्यापक का नाम सामने आते ही प्रत्येक विद्यार्थी का शीश उनके आदर में सम्मान से झुक जाता ...

चमचों को देखिये तो पतीली से गर्म हैं

देश में इन दिनों गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित राम चरित मानस को लेकर बड़ा विवाद छिड़ा हुआ है। जहां देश ...

कन्या पूजक समाज में ‘दरिंदों’ की भरमार

          भारत शायद दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जहां कन्याओं व महिलाओं का सबसे अधिक गुणगान ...

चंडीगढ़ : नाम बड़े दर्शन छोटे

     राजधानी दिल्ली में पिछले दिनों  संघ राज्य क्षेत्रों के सम्मेलन का आयोजन किया गया। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ...

समाज में गहराती अंधविश्वास की जड़ें

    पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 'जय जवान-जय किसान ' जैसा लोकप्रिय नारा देश को दिया था उस ...

विकास का वास्ता विनाश का रास्ता ?

     उत्तराखंड के सीमाँचलीय क़स्बे जोशीमठ में पहाड़ों के धंसने की सूचना मिलने के बाद ख़बर है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ...

क्या भ्रष्टाचार हमारे देश में यथार्थ का रूप ले चुका है ?

     देश की सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई से जब देश के एक 'प्रसिद्धि प्राप्त' टी वी ...