राजनीति

आतंकवाद के राजनीतिक संकेत को अंजाम देने की सामाजिक फितरत

छह दिसबंर 1992 को दोपहर दो से तीन बजे के दौरान नागपुर के महाल स्थित मोहल्ले में आरएसएस मुख्यालय के ...

बाटला हाउस के इर्द-गिर्द

आतंकवाद से बड़ा है बटला इनकाउंटर और बटला से बड़े हैं अमर सिंह और अमर सिंह से छोटी है राष्ट्रीय ...

कश्मीर पर क्या यह हिन्दुत्व का डंका है !

दर्जनों सवाल इस तरह उठे, जैसे हम कश्मीर के हिमायती हैं और देश की नहीं सोच रहे हैं। और आप ...

कश्मीर को सांप्रदायिकता की आग में मत झोंको

बंधु, मामला कश्मीर का हो और आप इस या उस पार खड़े न हो, तो आपकी पहचान क्या है ? ...

आजादी के नारों से डर कौन रहा है ?

कश्मीर के इतिहास में 1953 के बाद पहला मौका आया, जब 25 अगस्त 2008 को कश्मीर में कोई अखबार नहीं ...

तंत्र की तानाशाही के आगे लोकतंत्र की बेबसी

विकास की नयी आर्थिक लकीर महज गांव और छोटे शहरो से महानगरों की ओर लोगों का पलायन ही नही करवा ...

कलावती के गांव में जिन्दगी सस्ती है, राहुल गांधी के पोस्टर से

kalawatiजालका गांव। देश के बारह हजार गांवों में एक। लेकिन पिछले तीन साल में सबसे अलग पहचान बनाने वाला गांव। ...

कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हैं यवतमाल के किसान

परेश टोकेकर, आपने ये सवाल सही उठाया कि 2020 तक भारत को विकसित बनाने का जो सपना दिखाया जा रहा ...

कोतवाल पर कौन डाले हाथ ?

सांसद बाबू भाई कटारा गिरफ्तार नहीं होते तो शायद कबूतरबाजी का पिटारा बंद ही पड़ा रहता| कटारा के पिटारे से ...

नंदीग्राम क्यों बन गया बंदीग्राम

नवभारत टाइम्स, 26 मार्च 2007 : मार्क्सवादी सरकार अपवाद नहीं हैं| काँग्रेसी, भाजपाई, सपाई आदि कोई भी सरकार वही करती, ...