राजनीति

तंत्र की तानाशाही के आगे लोकतंत्र की बेबसी

विकास की नयी आर्थिक लकीर महज गांव और छोटे शहरो से महानगरों की ओर लोगों का पलायन ही नही करवा ...

कलावती के गांव में जिन्दगी सस्ती है, राहुल गांधी के पोस्टर से

kalawatiजालका गांव। देश के बारह हजार गांवों में एक। लेकिन पिछले तीन साल में सबसे अलग पहचान बनाने वाला गांव। ...

कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हैं यवतमाल के किसान

परेश टोकेकर, आपने ये सवाल सही उठाया कि 2020 तक भारत को विकसित बनाने का जो सपना दिखाया जा रहा ...

कोतवाल पर कौन डाले हाथ ?

सांसद बाबू भाई कटारा गिरफ्तार नहीं होते तो शायद कबूतरबाजी का पिटारा बंद ही पड़ा रहता| कटारा के पिटारे से ...

नंदीग्राम क्यों बन गया बंदीग्राम

नवभारत टाइम्स, 26 मार्च 2007 : मार्क्सवादी सरकार अपवाद नहीं हैं| काँग्रेसी, भाजपाई, सपाई आदि कोई भी सरकार वही करती, ...

जिन्ना तो सिर्फ मिस्टर जिन्ना थे

क्या यह जरूरी है कि  मोहम्मद  अली जिन्ना को हम देवता मानें या दानव ! देव और दानव के परे ...

आडवाणी-प्रसंग : आगे क्या?

इस्तीफा तो वापस हो गया लेकिन तीर वापस नहीं हुआ| जिन्ना का तीर संघ के सीने में गहरा घुसा हुआ ...

आडवाणी के तूफान का अर्थ

श्री लालकृष्ण आडवाणी का इस्तीफा मंजूर हो या न हो, रातोंरात उनकी छवि में चार चांद लग गए हैं| पाकिस्तान ...

भारत-इस्राइल मैत्री में छिपी नई विश्व राजनीति

इस्राइल के प्रधानमंत्री एरियल शेरोन की भारत-यात्रा में यहॉं तो कोई विघ्न नहीं हुआ लेकिन वह निर्विध्न भी नहीं रह ...

बलराम जाखड़ होना ही बहुत कुछ है

यारों का यार किसे कहते हैं, यह कोई समझना चाहे तो वह बलरामजी को देखे। आप बलरामजी से दोस्ती कीजिए ...