Author: निर्मल रानी

अंबाला की रहनेवाली निर्मल रानी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट हैं, पिछले पंद्रह सालों से विभिन्न अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं में स्वतंत्र पत्रकार एवं टिप्पणीकार के रूप में कार्य कर रही हैं ।

धार्मिकता का ढोंग और मृत संवेदनायें
हमारा भारत वर्ष कृषि प्रधान होने के साथ साथ 'धर्म प्रधान' देश भी माना जाता है। यहाँ सुबह ...
‘पशु प्रेमियों’ के देश में वृद्ध जनों की दुर्दशा
इन दिनों भारत में सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आवारा कुत्तों को लेकर बड़ी बहस छिड़ी हुई ...
अपने अपमान की महिलायें स्वयं ज़िम्मेदार
हमारे देश में अनेकानेक स्वयंभू संत, प्रवचनकर्ता,ज्योतिषी व धर्मगुरु टी वी स्क्रीन की 'शोभा' बढ़ा हैं। ऐसे कई ...
बिहार,अपराध और राजनीति
बिहार में नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। ...
इस ‘एक्ट’ को भी कोई नाम दीजिये जनाब ?
याद कीजिए 31 मार्च, 2016 को राज्य में हो रहे चुनावी दंगल के बीच कोलकाता में विवेकानंद फ़्लाईओवर ...
देश की एकता व अखंडता के लिये ख़तरनाक है भाषाई विवाद
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों नई दिल्ली में एक पूर्व आईएएस अधिकारी द्वारा लिखित ...
अवांछित तत्वों के कारण असुरक्षित होता यातायात
हमारे देश में रेलगाड़ियों व बसों को आम यात्रियों के मुख्य यातायात के साधन के रूप में देखा ...
झूठ व पाखंड को बेनक़ाब करने के लिये ईमानदार पत्रकारिता ज़रूरी
हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने पिछले दिनों अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉक्टर अली ख़ान ...
नफ़रत की ये आग कब बुझेगी ?
जम्मू और कश्मीर में पहलगाम से लगभग पांच किलोमीटर दूर प्राकृतिक आकर्षण का केंद्र रहे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बैसरन ...