18 वीं लोकसभा के लिये जनादेश 2024 आ चुका है। ताज़ा सूचनाओं के अनुसार नरेंद्र मोदी सरकार मंत्रिमंडल के जिन 52 केंद्रीय मंत्रियों ने लोकसभा चुनाव का चुनाव लड़ा था चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार उन 52 केंद्रीय मंत्रियों में से 20 मंत्री चुनाव हार गए हैं। पराजित मंत्रियों में एक नाम केंद्रीय महिला एवं बल विकास मंत्री एवं अमेठी से सांसद रही स्मृति ईरानी का भी है। पूरे देश की नज़र अमेठी संसदीय क्षेत्र पर थी क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट से स्मृति ईरानी ने ही कांग्रेस नेता राहुल गाँधी को लगभग 55 हज़ार मतों से पराजित कर अपना क़द ऊँचा किया था। और 2019 की इसी अमेठी विजय के साथ ही उनका बड़बोलापन व अहंकार चौथे आसमान पर पहुँच गया था। हालांकि बाद में राहुल वायनाड से सांसद बनकर पुनः संसद में पहुँच गये थे। परन्तु 2019 की अमेठी फ़तेह से उत्साहित स्मृति ईरानी स्वयं को राहुल गाँधी को न केवल बार बार चुनौती देते बल्कि कई बार उन्हें व उनके परिवार को भी अपने झूठ व अहंकार पूर्ण शब्दों से अपमानित करती सुनाई दीं।
2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व सभी की नज़रें अमेठी सीट पर इसलिये भी टिकी थीं कि देखें इस बार कांग्रेस अमेठी से राहुल गाँधी को पुनः चुनाव मैदान में उतारकर 2019 जैसी चुनावी टक्कर को दोहराती है या नहीं। परन्तु इस बार राहुल गांधी ने जहां अमेठी के साथ लगती अपने परिवार की पुश्तैनी व पारंपरिक सीट रायबरेली से चुनाव लड़ा वहीँ अमेठी से स्मृति ईरानी के मुक़ाबले अपने 40 वर्षों के पारिवारिक विश्वासपात्र तथा अमेठी व रायबरेली में राजीव गाँधी से लेकर सोनिया गांधी तक के सहयोगी,कांग्रेस नेता किशोरी लाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारकर पूरे देश को हैरत में डाल दिया। चुनाव प्रचार के शुरूआती दौर में लोग यही समझ रहे थे कि कांग्रेस ने स्मृति ईरानी के सामने किशोरी लाल शर्मा को यही सोचकर मैदान में उतारा है कि यदि वे हार भी गये तो कम से कम कांग्रेस को वह अपमान नहीं सहना पड़ेगा जो राहुल को अमेठी से पुनः लड़वाने व संभवतः पुनः पराजित होने से सहना पड़ेगा। परन्तु अमेठी के मतदाताओं ने तो हर क़ीमत पर स्मृति ईरानी के ग़ुरूर व घमंड को चकनाचूर करने के साथ ही 2019 में राहुल गाँधी को यहाँ से हराने के लिये पश्चात्ताप करने के लिये कमर कस ली थी।
यह स्मृति ईरानी ही थीं जिनकी सिफ़ारिश पर 18 सितंबर 2023 उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने अमेठी के मुंशीगंज इलाक़े में स्थित संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया था और वहां की ओपीडी और आपातकालीन सेवाएं बंद कर दी थीं। इस अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने के लिये बहाना यह ढूँढा गया था कि यहाँ ऑपरेशन के बाद एक महिला मरीज़ की मौत हो गयी थी। पूरे देश के निजी व सरकारी अस्पतालों में ऐसी अनगिनत मौतें रोज़ होती रहती हैं। क्या किसी अस्पताल का लाइसेंस इस तरह के कारणों से निलंबित किया जाता है ? परन्तु चूँकि यह अस्पताल गाँधी परिवार द्वारा स्थापित व संचालित था और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता था इसलिये द्वेष वश इसे बंद करवा दिया गया। परिणामस्वरूप अमेठी क्षेत्र की जनता इतनी परेशान हुई कि अस्पताल के बाहर तमाम स्थानीय लोगों ने धरना दिया व हड़ताल की। आख़िरकार इलाहाबाद उच्च न्यायलय की लखनऊ पीठ द्वारा संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर रोक लगायी गयी। तब क्षेत्र की जनता को राहत मिली। स्मृति ईरानी के कहने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अमेठी ज़िला इकाई ने उसी समय यह मांग भी की थी कि संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट का प्रबंधन मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी को सौंप दिया जाए जो उस समय क्रमशः सुल्तानपुर और पीलीभीत से भाजपा सांसद थे। इस मांग से भी यह स्पष्ट था कि स्मृति ईरानी को इस अस्पताल में सोनिया गांधी की दखलअंदाज़ी सहन नहीं थी।
इसी तरह ईरानी अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी के अन्तर्गत जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र में दैनिक भास्कर के एक पत्रकार द्वारा एक सवाल किये जाने पर भड़क गयीं और उस ग़रीब स्ट्रिंगर पत्रकार को नौकरी से निकलवा दिया। पूरे देश में उनकी इस धमकी का वीडिओ भी वायरल हुआ था। जहाँ तक महिला बल विकास मंत्री होने का सवाल है तो संसद में मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाने की चर्चा करने मात्र से वे इतनी आग बबूला हुईं थीं कि उसकी तुलना कांग्रेस शासित राज्यों की घटनाओं से करते हुये गला फाड़ कर चीख़ने लगीं। यह भी पूरे देश ने देखा। देश का गौरव, विश्वस्तरीय पदक विजेता महिला पहलवानों का एक भाजपा सांसद द्वारा शारीरिक रूप से अपमान किये जाने के विषय पर भी उनके मुंह में मट्ठा जमा रहा। इसी 2024 के चुनाव प्रचार के दौरान वे मध्य प्रदेश की एक सभा में यह झूठ बोलती सुनाई दीं कि-'सोनिया मैडम (सोनिया गांधी) को नहीं पता कि राम भगवान कौन हैं। जब वह सत्ता में थीं तो कहती थीं कि राम का कोई अस्तित्व नहीं हैं। आज उनके बच्चे राहुल गांधी व प्रियंका गांधी राम भक्तों से वोट मांगने घूम रहे हैं।' जबकि सोनिया गांधी ने कभी भी ऐसे शब्द नहीं बोले।
स्मृति ईरानी ने इसी चुनाव अभियान में मध्य चेन्नई के भाजपा उम्मीदवार विनोज पी सेल्वम के समर्थन में चुनाव प्रचार के दौरान साम्प्रदायिक विद्वेष फैलाते हुये कहा था कि "देश में ऐसे कई राज्य हैं जहां जय श्री राम बोलने पर इंडी गठबंधन के सहयोगियों ने लोगों का क़त्ल किया है। ऐसा पश्चिम बंगाल और केरल में हुआ है। आज ये हमारा सबसे बड़ा सौभाग्य है कि हम प्रभु श्रीराम के चरणों में अपना शीश झुकाए खड़े हैं। मंदिर का निर्माण हुआ और प्रभु श्रीराम की महिमा देखिए कि जिन्होंने उनके अस्तित्व को नकार दिया था, उन्हें भी भगवान राम ने अपने दर पर बुलाया। उनका अहंकार स्पष्ट था क्योंकि उन्होंने राम के नेतृत्व को भी अस्वीकार कर दिया था।" इतनी नफ़रत फैलाने के बावजूद बीजेपी के विनोज पी सेल्वम को मात्र 1 लाख 69 हज़ार 159 वोट मिले जबकि डीएमके के उम्मीदवार ने 4 लाख 13 हज़ार 848 मत हासिल कर नफ़रत और झूठ की राजनीति करने वालों को पराजित किया।
यही स्मृति ईरानी ही हैं जिन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए बड़े ही अहंकार पूर्ण लहजे में कहा था कि "अगर मेरी आवाज़ राहुल गांधी तक पहुंच रही है तो मैं उनको बताना चाहूंगी कि उनके जैसे बहुत आए हैं और गए हैं लेकिन हिंदुस्तान है, था और हमेशा रहेगा।" आख़िरकार अमेठी की जनता ने स्मृति ईरानी को इस बार कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा के हाथों 1 लाख 67 हजार 196 मतों के भारी अंतर से हरा कर अमेठी की जनता ने यह जवाब दे ही दिया कि इस संसदीय क्षेत्र में भी उनके जैसे बहुत आए और गए हैं लेकिन इस क्षेत्र में गाँधी परिवार का वर्चस्व कल भी था और भविष्य में भी रहेगा।
(ये लेखक के अपने विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि भारत वार्ता इससे सहमत हो)