हेलिकॉप्टरों की रिश्वत का क्या हुआ?

इटली की फर्म आगस्टा वेस्टलैंड के पूर्व मुखिया गियूसेप ओर्सी और उनके साथी अफसर ब्रूनो स्पागनोलिनी को मिलान की अदालत ने साढ़े चार और चार साल की सजा दे दी है। इस फर्म ने 2013 में भारत सरकार को 12 हेलिकाप्टर बेचने का सौदा किया था। इन हेलिकाप्टरों का इस्तेमाल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि को करना था लेकिन 2014 में यह खबर फूट निकली कि उस 3600 करोड़ रु. के सौदे में 423 करोड़ रु. रिश्वत खाई गई है। रिश्वत खाने वालों में हमारी कांग्रेस पार्टी के सर्वोच्च नेताओं और उनके अभिन्न सहयोगियों के नाम उछले। भारतीय वायु सेना के प्रमुख का नाम भी आया। मनमोहन सिंह सरकार की बड़ी बदनामी हुई। इटली की कोर्ट में मुकदमा चला। मुकदमे में ओर्सी और ब्रूनो बरी हो गए और भारतीय दलालों को भी निष्कलंक घोषित कर दिया गया। फिर भी हमारी सरकार इतनी डर गई कि उसने सौदा रद्द कर दिया। भारत सरकार के दो-ढाई हजार करोड़ रु. भी वापस आ गए।

लेकिन मिलान की अपीलीय अदालत ने ओर्सी और ब्रूनो को दोषी पाया और उन्हें जेल में डाल दिया है। यह तो ठीक ही हुआ लेकिन मैं पूछता हूं कि जो जांच-पड़ताल भारत में चल रही थी, उसका क्या हुआ? मनमोहन सरकार की ढील तो समझ में आती थी लेकिन मोदी सरकार कुंभकर्ण क्यों बनी हुई है? उसने अभी तक यह पता क्यों नहीं लगाया कि किस-किस ने कितनी-कितनी रिश्वत ली थी?

कांग्रेस के रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने स्वीकार किया था कि इस सौदे में रिश्वत ली-दी गई थी। क्या वह रिश्वत भी हमारे लोगों ने इटालियनों को वापस कर दी? यदि नहीं की तो उनसे छीनकर उसे राजकोष में जमा क्यों नहीं करवाया जाता? उन सब नेताओं, अफसरों और दलालों को जेल में क्यों नहीं डाला जाता? उनकी सारी चल-अचल संपत्ति जब्त क्यों नहीं की जाती? बोफोर्स सौदे में सिर्फ 62 करोड़ रु. खाए गए थे लेकिन इस सौदे में उससे छह गुना रु. खाया गया है। बोफोर्स के चलते राजीव की सरकार चली गई लेकिन पैसे कहां गए, उसका आज तक पता नहीं चला। ओर्सी तो पकड़ा गया लेकिन क्वात्रोची मजे करता रहा। इटली की न्याय-व्यवस्था सराहनीय है, जिसने खुद पर कोई दबाव नहीं आने दिया और उसने अपने अपराधियों को दंडित कर दिया लेकिन हमारी लचर-पचर व्यवस्था अभी तक कुछ नहीं कर पाई। यदि मिलान की अदालत ओर्सी और ब्रूनो से हमारे रिश्वतखोरों के नाम भी उगलवा लेती तो क्या बात थी? जिस देश में लोग भूखों मरते हैं, उनके खून-पसीने की कमाई हमारे नेता और अफसर रिश्वत में खा जाएं, इससे बड़ी डाकेजनी क्या हो सकती है? डाका मारने वाले लोग ही डाकाजनी पर रोक लगाएं, यह कैसे हो सकता है।