फ्रांस में मुसलमानों के दुश्मन

फ्रांस के शहर नीस में जैसा जघन्य कांड हुआ है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। 80 से ज्यादा लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए। उनमें कोई भारतीय नागरिक था या नहीं, यह अभी तक पता नहीं चला है। यों जो चार-पांच लाख भारतीय पर्यटक हर साल फ्रांस जाते हैं, उनमें से हजारों नीस और बेस्तील भी जाते हैं, जहां यह हत्याकांड हुआ है। जैसे हम 15 अगस्त मनाते हैं और अमेरिकी लोग 4 जुलाई, वैसे ही फ्रांसीसी लोग 14 जुलाई को ‘बेस्तील डे’ मनाते हैं। फ्रांस की क्रांति का यह यादगार दिवस है।

इसी दिन जब हजारों लोग उत्सव मना रहे थे तो एक ट्रक दनदनाता हुआ भीड़ पर चढ़ गया और जो भी उसके सामने आया, उसे कुचलता गया। ट्रक-चालक ने लगातार गोलियां भी चलाईं। उस बहादुर युवक को पूरे फ्रांस को सलाम करना चाहिए, जिसने कूदकर उस ट्रक-चालक को दबोचा और जिस महिला-पुलिस ने उसका काम तमाम किया।

इस हत्याकांड का ‘श्रेय’ किसी इस्लामी संगठन ने नहीं लिया है अर्थात यह कुकर्म मुहम्मद ल. बौउलेल नामक व्यक्ति का ही है। यह व्यक्ति फ्रांस का नागरिक है लेकिन वह मूलतः ट्यूनीसियाई है। वह मुसलमान था लेकिन सूअर का मांस खाता था और शराब पीता था। छोटे-छोटे अपराधों में जेल भी काट चुका था। उसकी पत्नी और तीन बच्चों का सुराग मिल चुका है।

उसकी तरह लगभग 50 लाख मुसलमान फ्रांस में रहते हैं। इनमें से ज्यादातर गरीब है, अशिक्षित हैं और हताश हैं। उन्हें भड़काने वाले तत्व फ्रांस के अंदर और बाहर सक्रिय हैं। सीरिया और इराक से भाग कर आए नए शरणार्थी भी उन्हें उकसाते रहते हैं। इनके मन में यह भी गुस्सा है कि फ्रांस के जहाज इस्लामी राज्य (दाएश) के छापामारों पर बम बरसा रहे हैं। इसके अलावा फ्रांस की शुद्ध धर्म-निरपेक्षता ने भी कट्टरपंथियों को नाराज कर रखा है।

फ्रांस के स्कूलों में मुसलमान लड़कियां बुर्का नहीं पहन सकतीं, यहूदी लड़के टोपी नहीं लगा सकते और सिख पगड़ी नहीं पहन सकते। इस बात से ‘दाएश’ इतना नाराज है कि उसने घोषणा कर रखी है कि वह रोम और लंदन के पहले पेरिस पर कब्जा करेगा और आइफिल टावर को गिराएगा। इस्लामी राज्य की ये घोषणाएं फ्रांसीसी क्रांति के स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के संदेश से एकदम उलट हैं। इसीलिए ‘बेस्तील दिवस’ की यह घटना चाहे व्यक्तिशः ही है लेकिन इसके पीछे ‘दाएश’ का दुष्प्रचार ही है। अब सीरिया और इराक में पिटता हुआ दाएश अपनी खीझ यूरोप में निकाल रहा है। वह अमेरिका और यूरोप के उन नेताओं के हाथ प्रकारांतर से मजबूत कर रहा है, जो मुसलमानों को इन गोरे देशों से निकाल बाहर करना चाहते हैं। मुहम्मद बौउलेल जैसे कमअक्ल लोग अपने आपको मुसलमानों और इस्लाम के सबसे बड़े दुश्मन सिद्ध कर रहे हैं।