सत्‍य सनातन धर्म (हिंदुत्‍व) किसी की बपौती नहीं

     सत्‍य सनातन धर्म (हिंदुत्‍व) किसी की बपौती नहीं, यह धर्म मानवता के हित में पूरे विश्‍व का है।  जिस  धर्म  को  आज लोग हिंदू धर्म कहते हैं इसका वास्‍तविक  नाम सत्‍य सनातन धर्म है। सत्‍य सनातन धर्म जो अनादि कालों से चला आ रहा है और जो सदा बना रहेगा। सत्‍य सनातन धर्म  मुगल काल में लोग इसे सैंधव-सैंधव कहते-कहते बाद में हिंदू धर्म के रूप में प्रचलित हो गया। इस धर्म कोई अपनाता है तो उस पर किसी धर्म का बिल्‍ला नहीं लग जाता बल्कि वह सच्‍चा मानवतावादी हो जाता है। क्‍योंकि यह धर्म सिर्फ मानवता की बात करता है और सभी जीवों में ईश्‍वर का वास देखता है: ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्।’

     कुछ  लोग मुझसे कहते हैं कि आप हिंदुत्‍व की वकालत करते हैं उनसे मेरा कहना है कि जब आप गीता पढ़ते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि आप हिंदू हो गए बल्कि आप एक अच्‍छे इंसान हो गए, अच्छे मानव हो गए। हिंदू एक नाम दिया है पहचान के लिए, सत्‍य सनातन धर्म मानवता का धर्म है। हिंदू धर्म या सनातन धर्म किसी एक व्‍यक्ति विशेष का धर्म नहीं है, बल्कि मानवता का धर्म है। Hinduism is the way of life. यदि आप हिंदू धर्म पर चल रहे हैं तो मानवता के रास्‍ते पर चल रहे हैं। हिंदू धर्म है जो सर्वे भवन्‍तु सुखिन: की बात करता है, वसुधैव कटुंबकम की बात करता है। महिलाओं का सम्‍मान करता है: यत्र नारियस्‍तु न पुज्‍यंत, तत्र देवता न रमंते।

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     यह धर्म संप्रदाय नहीं है। बिना धर्म के कोई समाज नहीं चल सकता है, भारत की मौजूदा व्‍यवस्‍था धर्म पर नहीं चल रही है लेकिन उसे अच्‍छे रास्‍ते पर चलने के लिए संविधान बनाना पड़ा,अब यहां की व्‍यवस्‍था संविधान चला रही है जो धर्म की भूमिका में है यानी बिना धर्म के कोई राष्‍ट्र या समाज चल ही नहीं सकता।

    जो धर्म या संप्रदाय अपने सिवा औरों को मारने-काटने और बलात्‍कार की बात करें वो धर्म न होकर अधर्म होता है, वो धर्म का मुखौटा अवश्‍य ओढ़ा है मगर वास्‍तव में वह राक्षसों का समूह होता हैै। ऐसे राक्षस रूपी धर्म यदि समाज में धर्म का मुखौटा लगाकर आ जाए तो समाज को उसका पर्दाफाश करना चाहिए, उसका पुुरजोर विरोध करना चाहिए वर्ना एक दिन वो अधर्म रूपी राक्षस सबकाेे मार डालेगा।