लंका दहन- पहला सर्जिकल स्ट्राइक

 

महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा की पूजा के साथ पूरे देश में रामलीलाओं का मंचन हो रहा है। आज रामलीलाओं में बजरंग बली हनुमान द्वारा लंका दहन का मंचन होगा। किस तरह हनुमान जी सीताजी की खोज में लंका पहुंचते हैं। बड़ी-बड़ी बाधाओं को अपनी सूझबूझ से पार करते हुए महाबलशाली पवनपुत्र लंका पहुंचते हैं, इसे लेकर रामचरित मानस के सुंदरकांड में संत तुलसीदास ने वर्णन किया है कि

 जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥

जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना॥

जिस पर्वत पर हनुमान्‌जी पैर रखकर चले (जिस पर से वे उछले), वह तुरंत ही पाताल में धँस गया। जैसे श्री रघुनाथजी का अमोघ बाण चलता है, उसी तरह हनुमान्‌जी चले।।

सुरसा ने अपने मुख में जाकर और बाहर आने के बाद हनुमान जी को आशीर्वाद दिया कि रामचंद्रजी का सब कार्य करोगे। रास्ते में अपनी माया से आकाश में उड़ने वाले पक्षियों को हजम करने वाली राक्षसी का हनुमान ने वध किया और लंका पहुंचे। लंका की शोभा देखकर हनुमान जी सोच ही रहे थे कि विभीषण जागे।

 राम राम तेहिं सुमिरन कीन्हा। हृदयँ हरष कपि सज्जन चीन्हा॥

एहि सन सठि करिहउँ पहिचानी। साधु ते होइ न कारज हानी॥

विभीषण ने राम नाम का स्मरण (उच्चारण) किया। हनुमानजी ने उन्हें सज्जन जाना और हृदय में हर्षित हुए। उन्होंने विचार किया कि हठ करके परिचय करूँगा, क्योंकि साधु से कार्य की हानि नहीं होती। प्रत्युत लाभ ही होता है॥

विभीषण से मिलकर हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचते हैं, सीताजी से मिलते हैं, वाटिका उजाड़ते हैं, फिर रावण के दरबार जाकर उसे समझाते हैं, अभिमानी रावण उनकी पूंछ में आग लगाने की आज्ञा देता है तो वे लंका जला देते हैं और केवल विभीषण का घर ही आग से बचता है। सुंदर कांड में तुलसीदास ने विश्व के पहले सर्जिकल ऑपरेशन का बहुत सुंदर ढंग से वर्णन किया है।

देह बिसाल परम हरुआई। मंदिर तें मंदिर चढ़ धाई॥

जरइ नगर भा लोग बिहाला। झपट लपट बहु कोटि कराला।

देह बड़ी विशाल, परंतु बहुत ही हल्की (फुर्तीली) है। वे दौड़कर एक महल से दूसरे महल पर चढ़ जाते हैं। नगर जल रहा है लोग बेहाल हो गए हैं। आग की करोड़ों भयंकर लपटें झपट रही हैं।

साधु अवग्या कर फलु ऐसा। जरइ नगर अनाथ कर जैसा॥

जारा नगरु निमिष एक माहीं। एक बिभीषन कर गृह नाहीं॥

साधु के अपमान का यह फल है कि नगर, अनाथ के नगर की तरह जल रहा है। हनुमान्‌जी ने एक ही क्षण में सारा नगर जला डाला। एक विभीषण का घर नहीं जलाया

ताकर दूत अनल जेहिं सिरिजा। जरा न सो तेहि कारन गिरिजा।

उलटि पलटि लंका सब जारी। कूदि परा पुनि सिंधु मझारी।

शिवजी कहते हैं-) हे पार्वती! जिन्होंने अग्नि को बनाया, हनुमान्‌जी उन्हीं के दूत हैं। इसी कारण वे अग्नि से नहीं जले। हनुमान्‌जी ने उलट-पलटकर (एक ओर से दूसरी ओर तक) सारी लंका जला दी। फिर वे समुद्र में कूद पड़े।

इतना सजीव वर्णन किया है तुलसी दास ने सुंदरकांड में। हनुमान जी विभीषण घऱ, अशोक वाटिका और रावण के महल को आग नहीं लगाई। हनुमानजी ने जितना जरूरी था, उतना की लंका में किया। सभी विघ्न-बाधाओं को दूर करने वाले सुंदरकांड का पाठ हमारे घरों में किया जाता है। हर साल रामलीलाओं के मंचन से हम भगवान श्रीराम के त्याग, बलिदान,शौर्य और मर्यादा का पुण्य स्मरण करते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म और अत्याचारी, क्रूर शाक्तिशाली पर निर्बल वनवासियों की जय को चरितार्थ किया। इसी तरह नव दुर्गा के रूप में हम शक्ति की उपासना करते हैं।

ऐसे उत्सवों की धूमधाम के बीच पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर भारतीय सेना के किए गए सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कुछ राजनीतिक दलों के नेता बयानबाजी करने में लगे हुए हैं। जहां देश में भारतीय सेना के शौर्य, पराक्रम और बलिदान को लेकर देशवासी याद कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग हमारे नौजवानों की शहादत पर राजनीति करने में लगे हुए हैं। जवानों की शहादत पर राजनीति करने वालों को लेकर देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई है।

सुंदरकांड में वर्णन है कि लंका दहन के बाद वापस जाने से पहले हनुमान मां सीता के पास उनकी एक निशानी लेने पहुंचते हैं और कहते हैं कि

पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि।

जनकसुता कें आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि॥

पूँछ बुझाकर, थकावट दूर करके और फिर छोटा सा रूप धारण कर हनुमान्‌जी श्री जानकीजी के सामने हाथ जोड़कर जा खड़े हुए॥

मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा। जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा॥

चूड़ामनि उतारि तब दयऊ। हरष समेत पवनसुत लयऊ॥1॥

हनुमान्‌जी ने कहा हे माता! मुझे कोई चिह्न (पहचान) दीजिए, जैसे श्री रघुनाथजी ने मुझे दिया था। तब सीताजी ने चूड़ामणि उतारकर दी। हनुमान्‌जी ने उसको हर्षपूर्वक ले लिया॥

हनुमान श्रीराम के कितने प्रिय थे, उनका स्वभाव कैसा था, हनुमान की क्षमता क्या थी, इसके बावजूद वे निशानी लेकर लौटते हैं। अगर हनुमान केवल लौटकर यह बता देते कि मां जानकी लंका में सुरक्षित हैं तो श्रीराम मान लेते कि हनुमान सत्य कह रहे हैं। हनुमान श्रीराम को मां जानकी से मिलने की सत्यता बताने के लिए उनकी निशानी मांगते हैं। जिसे देखकर श्रीराम व्याकुल भी हो जाते हैं। पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक के इतने सुबूत बिखरे पड़े हैं। पाकिस्तान में हडकंप मचा हुआ है। तमाम बयानों के बावजूद पाकिस्तान अपने पाले हुए आतंकवादियों के मारे जाने के सदमे से उबर नहीं पा रहा है। पाकिस्तान की जनता तो मान रही है कि भारत ने उनकी सीमा में घुसकर आतंकवादियों को मार गिराया पर हमारे यहां कुछ नेता राजनीति के रावण के अहं में सर्जिकल स्ट्राइक के सुबूत मांग रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की घटिया गलतबयानी का जवाब तो भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने जोरदार तरीके से दिया है। भाजपा अध्यक्ष के जोरदार जवाब के बाद कांग्रेस के नेता निचले स्तर की बयानबाजी पर उतर आए।

दरअसल सबको लग रहा है कि भारतीय सेना ने लंबे अरसे बाद पाकिस्तान को मुहंतोड़ जवाब दिया है। भाजपा इससे राजनीतिक लाभ न उठा ले, इससे पेट में उठे मरोड के कारण विपक्षी दलों के नेता चिल्ला रहे हैं। पहले तो सभी ने ही सेना के शौर्य और पराक्रम को सलाम किया था। बिना किसी शहादत के पाकिस्तानी सीमा में आतंकवादियों को उनके ही गढ़ में मार गिराने के साहसिक अंजाम को पूरा देश सलाम कर रहा है पर कुछ नेताओं को यह अच्छा नहीं लग रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक का पूरा श्रेय भारतीय सेना के वीर जवानों को दिया है। हो सकता है कि हमारे कुछ नेताओं ने उत्साहित होकर केंद्र सरकार को साधुवाद दे दिया हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद भाजपा नेताओं को चेता दिया था, सेना के शौर्य पर अपना सीना चौड़ा करने की जरूरत नहीं है। सेना के पराक्रम से तो हर भारतवासी का सीना तन गया है। हर भारतवासी को लग रहा है कि पाकिस्तान को सही मौके पर उनके घर में घुसकर मारकर सही जवाब दिया गया है। सेना किसी सरकार या पार्टी की नहीं होती है। सेना का काम करने का अपना नियम और अनुशासन होता है। भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक का पाकिस्तान के पास कोई जवाब नहीं है। सेना कह रही है कि हमने पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादियों को मारा है और उसके पास कोई जवाब नहीं है। हां इतना जरूर है कि पाकिस्तान को दिए गए जवाब के बाद भारत सरकार ने उसे दुनिया में अलग-थलग कर दिया है। ज्यादातर देशों ने भारतीय सेना की कार्रवाई का समर्थन किया है।

देखा जाए तो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक महीने की खाट यात्रा के बाद दिल्ली पहुंचे थे। कांग्रेसियों में श्रेय लेने की होड मची रहती है। इसी कारण राहुल गांधी के पहुंचने से पहले कांग्रेस के दो गुटों में जमकर जूतम पैजार हुई। कई लोग घायल भी हुए। मामला पुलिस तक पहुंच गया। नरेंद्र मोदी को 56 इंच का सीना दिखाने की चुनौती दे रहे राहुल गांधी को जब देश के नागरिकों का चौड़ा सीना दिखाई दिया तो उल्टा-सीधा बोलने लगे। वैसे भी खुद की मेहनत, त्याग, तपस्या और कार्य के बल पर राजनीति में मुकाम हासिल करने वाले के मुकाबले पारिवारिक पृष्ठभूमि के सहारे राजनीति में आने वाले में बहुत अंतर होता है। यही अंतर हमें देश के लिए मर-मिटने के लिए तत्पर रहने वालों और अपने स्वार्थ के लिए राजनीति करने वालों में बताता है। लंका दहन के बाद श्रीराम के हाथों रावण का वध हमें बार-बार याद दिलाता है कि असत्य पर सत्य की जीत होती है। बुराई पर अच्छाई की जीत का सत्य हमें प्रेरणा देती है। मां भगवती सभी को सही रास्ता दिखाए, ऐसी कामना है।

अचिन्त्यरूपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि ।

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि  ॥