यदि हो गला खराब तो कैसेे करें उपचार

 सर्दी-जुकाम और गला खराब होने की समस्या बहुत आम हैं। ठंड में गला खराब होना या गले का संक्रमण से हम सब आए दिन अत्‍यंत दु:खी रहते हैं और इसे इतनी बड़ी समस्या भी नहीं मानते कि इसके लिए डॉक्टर के पास जाएं। ऐसे में घरेलू नुस्खे आज भी घरों में गला खराब होने पर बहुत काम आते हैं। हमें मालूम करना है कि किन घरेलू तरीकों से आपको गला खराब होने पर राहत मिल सकती है। तुलसी का माउथवॉश तुलसी प्राकृतिक एंटीसेप्टिक पौधा है जो गले के संक्रमण को खत्म करने में बेहद प्रभावी है। आप तुलसी का माउथवॉश बनाकर इससे गरारे लें। इसके लिए तुसली की पत्तियों को पानी के साथ उबाल लें और फिर ठंडा कर लें। इस मिक्सचर से माउथवॉश की तरह ही दिन में कई बार गरारे करें। अदरक-शहद पेस्ट गले को गर्माहट पहुंचाने के लिए और संक्रमण से दर्द में राहत पहुंचाने के लिए यह कारगर उपाय है।

ध्‍यानपूर्वक इसके लिए चार अदरक को पीसकर बारीक शहद ‌में मिलाएं और इसमें काली मिर्च डालकर पेस्ट बना लें। थोड़ी-थोड़ी देर पर इसे मुंह में डालें। चाहें तो अदरक की जगह लहसुन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। नमकीन पानी के गार्गल पानी में नमक मिलाकर गुनगुना करके गरारे करने का फार्मूला बेहद प्रचलित और कारगर है। जब तक गला खराब रहे गरारे में कोताही कतई न बरतें। लौंग, काली मिर्च और शहद का घोल एक ग्लास पानी उबाल लें। इसमें एक चुटकी पिसी हुई लौंग, एक चुटकी काली मिर्च पाउडर और एक चम्मच शहद मिलाएं और रोज सुबह इसे पिएं। गले को आराम मिलेगा। मेथीदाने पानी में कुछ मेथी दाने डालकर गर्म कर लें। फिर पानी को छानकर उसके गरारे करें। इससे गले को आराम मिलेगा और संक्रमण जल्दी खत्म होगा। तेजपत्ते की चाय पानी में चीनी, चायपत्ती और तेजपत्ता जालकर खौलाएं और फिर छानकर चाहें तो दूध मिलाएं।

 मालूम हो कि तेजपत्ते की चाय पीने से गले को आराम होगा और रिकवर होने में आसानी होगी। क्या आपके गले में हमेशा खराश बनी रहती है? इसे हल्के में न लें। मौसम का बदलाव या सर्द-गर्म की वजह से इसे एक आम परेशानी न समझें। गले की खराश टॉन्सिल या गले का गंभीर संक्रमण भी हो सकता है। कैसे निबटें इस परेशानी से:- मौसम बदलते ही गले में खराश होना आम बात है। इसमें गले में कांटे जैसी चुभन, खिचखिच और बोलने में तकलीफ जैसी समस्याएं आती हैं। ऐसा बैक्टीरिया और वायरस के कारण होता है। कई बार गले में खराश की समस्या एलर्जी और धूम्रपान के कारण भी होती है। गले के कुछ संक्रमण तो खुद-ब-खुद ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में इलाज की ही जरूरत पड़ती है। आमतौर पर लोग गले की खराश को आम बात समझ कर इस समस्या को अनदेखा कर देते हैं। लेकिन गले की किसी भी परेशानी को यूं ही नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ये गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है। गले में खराश गले का इंफेक्शन है, जिसमें गले से कर्कश आवाज, हल्की खांसी, बुखार, सिरदर्द, थकान और गले में दर्द खासकर निगलने में परेशानी होती है।

मनुष्‍य के  गले में दोनों तरफ टॉन्सिल्स होते हैं, जो कीटाणुओं, बैक्टीरिया और वायरस को हमारे गले में जाने से रोकते हैं, लेकिन कई बार जब ये टॉन्सिल्स खुद ही संक्रमित हो जाते हैं, तो इन्हें टॉन्सिलाइटिस कहते हैं। इसमें गले के अंदर के दोनों तरफ के टॉन्सिल्स गुलाबी व लाल रंग के दिखाई पडम्ते हैं। ये थोड़े बड़े और ज्यादा लाल होते हैं। कई बार इन पर सफेद चकत्ते या पस भी दिखाई देता है। वैसे तो टॉन्सिलाइटिस का संक्रमण उचित देखभाल और एंटीबायोटिक से ठीक हो जाता है, लेकिन इसका खतरा तब अधिक बढ़ जाता है, जब यह संक्रमण स्ट्रेप्टोकॉक्कस हिमोलिटीकस नामक बैक्टीरिया से होता है। तब यह संक्रमण हृदय एवं गुर्दे में फैलकर खतरनाक बीमारी को जन्म दे सकता है। नमक के गुनगुने पानी से गरारे करें। इससे गले में आराम मिलेगा। अदरक, इलायची और काली मिर्च वाली चाय गले की खराश में बेहद आराम पहुंचाती है। साथ ही इस चाय में जीवाणुरोधक गुण भी हैं। इस चाय को नियमित रूप से पीने से गले को आराम मिलता है और खराश दूर होती है। धूम्रपान न करें और ज्यादा मिर्च-मसाले वाला भोजन न लें। खान-पान में विशेष तौर पर परहेज बरतें। फ्रिज का ठंडा पानी न पिएं, न ही अन्य ठंडी चीजें खाएं। सजग रहना  ही इस परेशानी का हल है। गले का संक्रमण आमतौर पर वायरस और बैक्टीरिया के कारण होता है। इसके अलावा फंगल इंफेक्शन भी होता है, जिसे ओरल थ्रश कहते हैं। किसी खाने की वस्तु, पेय पदार्थ या दवाइयों के विपरीत प्रभाव के कारण भी गले में संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा गले में खराश की समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है। खानपान में त्रुटियां जैसे ठंडे, खट्टे, तले हुए एवं प्रिजर्वेटिव खाद्य पदार्थों को खाने और मुंह व दांतों की साफ-सफाई न रखने के कारण भी गले में सक्रमण की आशंका अत्‍यंत बढ़ जाती है।

(कृपया ध्‍यान दें, कुछ करनें से पहले अपनें डॉक्‍टर से सलाह अवश्‍य ले लें)