पाकः जैन-मंदिर क्यों गिराया?

पाकिस्तान में एक मंदिर को गिराने पर काफी हंगामें की खबर है। यह हंगामा पाकिस्तान के हिंदू नहीं कर रहे हैं। मुसलमान कर रहे हैं। यह हंगामा हो रहा है, पाकिस्तानी पंजाब की विधानसभा में। लाहौर के सारे विपक्षी नेता इस मंदिर को गिराने के खिलाफ हैं। वे विधानसभा में मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ मानहानि का प्रस्ताव ले आए हैं।

मानहानि इसलिए कि पिछले माह ही उन्होंने एक प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया था कि इस मंदिर को किसी भी हालत में गिराया नहीं जाएगा। परसों जब इस मंदिर को ढहा दिया गया तो शाहबाज सरकार के खिलाफ विधानसभा में विरोधियों ने जमकर नारे लगाए, प्रदर्शन किया और सदन से उठ कर बाहर चले गए। मुमताज कमाल नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने पंजाब सरकार के विरूद्ध अदालत की मानहानि का दावा भी ठोक दिया है।

मुमताज का कहना है कि जनवरी में लाहौर हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि ऐतिहासिक महल की किसी भी इमारत से 200 फुट की दूरी में कोई मेट्रो आदि नहीं बनाई जाएगी। लेकिन पंजाब सरकार ने अदालत के इस आदेश का उल्लंधन कर दिया है। अब मंदिर की जमीन पर से ही मेट्रो गुजरेगी।

यह मंदिर जैन मंदिर था और अनारकली बाजार में बना हुआ था। इसे मैंने भी कई बार देखा था। यह कम से कम 1000 साल पुराना था। इस मंदिर के कारण अनारकली बाजार का वह चौक जैन मंदिर चौक कहलाता था। इस मंदिर में आजकल भारत से गए मुस्लिम शरणार्थिर्यों ने अपने घर और दुकानें बना ली थीं। उसमें एक मदरसा भी चलता था लेकिन दिसंबर 1992 में एक उत्तेजित भींड़ ने इस मंदिर को गिराने की कोशिश की थी। अयोध्या की बाबरी मस्जिद कांड के बाद।

उन्हीं दिनों लाहौर और कराची के प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबारों ने सरकार से मांग की थी कि इस ऐतिहासिक जैन मंदिर का पुर्नर्निमाण किया जाए।

इस मंदिर के साथ-साथ कपूरथला हाउस और महाराजा बिल्डिंग को भी गिरा दिया गया है। इन्हें इसलिए गिराया गया है कि ये भवन लाहौर में बन रही मेट्रो के रास्ते में आ रहे हैं। अन्य 10-12 ऐसे स्थान भी आ रहे हैँ, जिनमें कई दरगाह हैं, कई बाग हैं, कई ऐतिहासिक भवन हैं, और एक गिरजाघर भी है। देखें, अब पंजाब की सरकार क्या करती है? पाकिस्तान में जैन-परिवार तो अब लगभग है ही नहीं, लेकिन क्या मुसलमान और ईसाई भी चुप बैठ जाएंगे? शाहबाज शरीफ ने पहले लाहौर के मॉडल टाउन में डेढ़ साल पहले कादिरी के भक्तों से मुठभेड़ करके गुस्सा पैदा किया था। अब उन्हें बहुत-बहुत फूंक-फूंककर कदम उठाना होगा।