प्रतिबंधित हो मानव बलि लेने वाली अंधविश्वास पूर्ण तंत्र-मंत्र विद्या

    भारतवर्ष एक ऐसा अद्भुत देश है जहां 80 करोड़ लोगों को निःशुल्क अनाज देकर उसी देश के लोगों को यह भी समझा दिया जाता है कि यदि तीसरी पारी में सत्ता हासिल हुई तो देश को विश्व की तीसरी महाशक्ति बना देंगे। शायद इन्हीं 'राशन लाभार्थियों ' के बल पर ? जहाँ चंद्रयान छोड़े जा रहे हों विकास की नित नई गाथायें लिखने के दावे किये जा रहे हों। उसी देश में आज के आधुनिक व वैज्ञानिक दौर में अंधविश्वास व पाखंड से भरी ऐसे अनेक ख़बरें आये दिन सुनाई देती हैं जिन्हें देख पढ़ कर रूह काँप जाती है। इंसान यह सोचने के लिए मजबूर हो जाता है कि धर्म-आस्था व अंधविश्वास के इस घालमेल ने मनुष्य को कितना क्रूर,अमानवीय व हिंसक बना दिया है ? रोज़ कहीं न कहीं गांव-मुहल्ले के बलशाली लोग किसी न किसी ग़रीब परिवार के किसी व्यक्ति को ख़ासकर महिला को चुड़ैल,भूतनी या डायन बता कर उसपर मनमाना अत्याचार करते हैं। किसी की पीट पीटकर हत्या कर दी जाती है तो किसी को रस्सियों या लोहे की ज़ंजीरों से जकड़कर किसी पेड़ से बाँध दिया जाता है। उसे भूखा प्यासा रखकर प्रताड़ित किया जाता है। ऐसी अनेक पीड़िताओं के साथ दुष्कर्म भी किये जाते हैं। ऐसे मामलों में नाममात्र कार्रवाई भी होती है। परन्तु इस देश में जितना न्याय किसी ग़रीब को मिलता है यहां भी उतना ही न्याय किसी पीड़ित व प्रताड़ित व्यक्ति को भी मिलता है अर्थात नाममात्र या बिल्कुल नहीं।  

     इसी अंधविश्वास की श्रेणी में आती है तांत्रिक विद्या। इस विद्या पर भी धर्म व अन्धविश्वास का जामा चढ़ाकर हमारे देश में जमकर हैवानियत का खेल खेला जा रहा है। इसी की आड़ में बलात्कार,हत्या,धन ऐंठना,ब्लैक मेलिंग आदि न जाने क्या क्या हो रहा है। शत प्रतिशत झूठ व पाखंड पर आधारित तांत्रिक विद्या का इतना बड़ा प्रभाव क्षेत्र है कि प्रायः पढ़े लिखे लोग यहाँ तक कि मंत्री व अधिकारी भी किसी न किसी लालचवश इस जाल में फँस जाते हैं। देश में तमाम ऐसे तांत्रिक हुए हैं जिनकी पहुँच सत्ता के सर्वोच्च  शिखर तक भी रही है। परन्तु चूँकि इस तरह की अंधविश्वास,झूठ व पाखंड पूर्ण विद्याओं को विज्ञान कोई महत्व नहीं देता, इसमें किसी तरह की नाममात्र तार्किकता व तर्कशीलता नहीं होती इसलिये झूठ आधारित इस स्वयंभू विद्या को जड़मूल से समाप्त करने में ही हमारे समाज का भला है। परन्तु बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि चुड़ैल,भूतनी या डायन तथा तांत्रिक विद्या के चक्करों में सदियों से उलझे हमारे देश की सरकारें भी इस 'नासूर ' रुपी अन्धविश्वास व पाखण्ड से देश को निजात नहीं दिला सकीं। इसका कारण भी बड़ा रोचक है। दरअसल सरकारें व इसमें शामिल तमाम शातिर नेता चाहते भी यही हैं कि देश की भोली भाली जनता इन्हीं बे सिर पैर की बातों में उलझी रहे। अंधविश्वास में डूबी रहे। विज्ञान,तर्क और शिक्षा की बात ही न करे। तंत्र मन्त्र और छू मन्तर के बल पर अपनी समस्याओं का समाधान तलाशे। ऐसा करने से अन्धविश्वास को बढ़ाने व संरक्षण देने वाले तमाम निठल्ले लोगों को रोज़गार मिल जाता है। ऐसे लोगों पर धर्म की अफ़ीम का गहरा रंग चढ़ता है। बाद में यही लोग 80 करोड़ लाभार्थियों की श्रेणी में आकर उस सत्ता के एहसानमंद होते हैं जिसने उन्हें मुफ़्त में राशन देने का वादा किया है।

      परन्तु सत्ता के इस स्वार्थ और लोगों को अशिक्षित रखने के चलते इस देश में कुछ ऐसी घटनायें भी हो जाती हैं जिससे हमारे देश की न केवल बदनामी होती है बल्कि दुनिया यह भी सोचने के लिये मजबूर हो जाती है कि चंद्रयान छोड़ने वाले देश में आख़िर हो क्या रहा है ? मिसाल के तौर पर गत दिनों कानपुर देहात के घाटम पुर इलाक़े के भदरस गांव की एक क्रूरतम घटना को लेकर एक अदालती फ़ैसला आया जिसने तीन वर्ष पूर्व यानी 14 नवंबर 2020 की भयावह घटना की याद फिर ताज़ा कर दी। दरअसल कानपुर देहात के घाटम पुर इलाक़े के भदरस गांव  में 14 नवंबर 2020 को छः वर्ष की एक मासूम बच्ची का अपहरण कर पहले उसके साथ रेप किया गया फिर उसकी हत्या कर दी गई थी। इतना ही नहीं बल्कि आरोपियों ने वहशीपन की सारी हदें पार करते हुए  उसका कलेजा निकालकर रोटी के साथ खाया था। इस वहशीपन का कारण यह था कि किसी तांत्रिक ने एक दम्पति को बेटा पैदा करने के लिये यह उपाय बताया था।  इसी मामले में स्थानीय अदालत ने चार दोषियों को सज़ा सुनाई है। तीन साल तक चली सुनवाई के बाद पिछले दिनों कानपुर देहात के अपर ज़िला जज शमीम रिज़वी की अदालत ने आरोपी दंपती परशुराम व सुनैना को आजीवन कारावास और 20-20 हज़ार अर्थदंड की सज़ा सुनाई है। वहीं दंपत्ति के भतीजे अंकुल और उसके साथी वीरेन को पूरे जीवन काल का कारावास और 45-45 हज़ार अर्थदंड का लगाया है।

        यह इस देश की पहली घटना नहीं है। ऐसे तांत्रिकों के चक्कर में लाखों लोगों की जानें जा चुकी हैं,सामूहिक आत्म हत्याएं तक देश की राजधानी दिल्ली में हो चुकी हैं। परन्तु इन सबके बावजूद तांत्रिकों का व्यवसाय फल फूल रहा है। तांत्रिक विद्या व व्यवसाय का प्रचार करने वाले तमाम पोस्टर हैंडबिल पम्फलेट सार्वजनिक स्थानों,बसों ट्रेन्स पार्कों में यहाँ वहां चिपके देखे जा सकते हैं। इनमें उनके संपर्क नंबर और पता भी होता है। परन्तु सरकार व प्रशासन आँखें मूँद कर झूठ व मक्कारी आधारित इस व्यवसाय को फलते फूलते देखती रहती है। और देखे भी क्यों न ? जब स्वयं सरकार के मंत्री नींबू और हरी मिर्च लटकाकर टोटके करते फिरें, पूजा पाठ दुआ ताबीज़ का सहारा लेकर अवैज्ञानिकता को बढ़ावा देते दिखाई दें तो इसका मक़सद साफ़ है कि ऐसे सभी अंधविश्वासी व पाखंडपूर्ण गतिविधियों को सरकार का संरक्षण हासिल है। और सरकार स्वयं चाहती है कि लोग आज के आधुनिक व वैज्ञानिक दौर में भी अंधविश्वास व पाखंड में उलझे रहें। अन्यथा एक कुशल,प्रगतिशील व वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने वाली सरकार को तो देशवासियों को  अंधविश्वास व पाखण्ड से मुक्ति दिलाने व ग़रीबों की जान माल सुरक्षित करने हेतु पूरे देश में तंत्र मन्त्र विद्या और दूसरे सभी ढोंग,झाड़ा,तावीज़,कण्डा आदि तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर देना चाहिए और लोगों को अंधविश्वास से दूर रखना तथा उनमें वैज्ञानिक सोच का संचार करना चाहिये।