जनता फ्लैट में दारू का ठेका खुलने से लोगों में जनाक्रोश

                        -विकास आनन्द की कलम से

दिल्ली। दिल्ली सरकार द्वारा दक्षिणी दिल्ली के मदनगीर इलाके में स्थित जनता फ्लैट में दारू का ठेका खोले जाने से वहां के लोगों में भारी आक्रोश हो गया है। वहां खासकर महिलाओं में भारी असंतोष है। डीडीए आवासीय कल्याण समिति के महासचिव वेद प्रकाश कनौजिया ने कहा कि शराब की दुकान को नियमों को धता बताते हुए लाइसेंस प्रदत्त किया गया है। इस मामले पर उच्च न्यायालय में न्याय के लिए फ्लैट के रिहायशी जनों ने एक याचिका भी लगाई है और दिल्ली सरकार को कोर्ट का नोटिस भी भेजा जा चुका है। वहां के लोगों ने दारू के ठेका को बंद कराने के लिए एक मुहिम चला रखी है।

सनद रहे कि विकास प्राधिकरण (डीडीए) निर्मित उपरोक्त जनता फ्लैट है। इस रिहायशी इलाके के पास में मंदिर, अस्पताल, कोचिंग केंद्र भी हैं। परन्तु दो घर ऐसे हैं, जहां शराब की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। यहां शराब की बिक्री लाइसेंस मिलने के बाद एक माह पहले ही इसे खोला गया है।

मदनगीर स्थित डीडीए के जनता फ्लैट में गली नंबर 19/553 में खुली शराब की दुकान यहां के लोगों के लिए विशेषकर महिलाओं के लिए बहुत ही दु:खदाई बन गई है क्योंकि जहां से बहन-बेटियां गुजर रही हों वहां शराब का ठेका आम जन के साथ महिलाओं को बिलकुल रास नहीं आ रहा है।  रिहायशी जनों का आरोप है कि भूतल में जहां शराब की शाप है, वह डीडीए का मकान है। इसके पहले तल पर शराब का एक गोदाम भी बन गया है।

 वहीं, दूसरे तल पर कोचिंग केंद्र है जहां बच्चे पढ़ने आते हैं जो बच्चों के दिमाग पर बुरा असर छोड़ रहा है। देखा जाए तो अभी तक डीडीए के किसी भी मकान में शराब की दुकान खोलने की आज्ञा नहीं दी गई है, मात्र मदनगीर की इस दुकान को छोड़कर।

सूत्रों के अनुसार शराब की दुकान यहां पहली बार खुली है जिससे महिलाओं व बच्चों का चलना दूभर हो गया है। शराब की दुकान को लेकर काफी प्रदर्शन हो चुका है और स्थानीय नेता भी इसे बंद करवाने का वायदा कर चुके हैं।

ऐसा लगभग दिल्ली के बहुत सारे इलाके में हो रहा है। केजरीवाल सरकार के वोट-लुभावन नीति के वजह से दिल्ली सरकार के खाजाने पर अच्छा ख़ासा असर पड़ा है। इसलिए सरकार दारु के ठेके जगह—जगह खुलवा रही है ताकि उससे सरकार को अधिक से अधिक आय हो सके। दिल्ली में कभी भी स्कूलों के शिक्षको का वेतन देर से नहीं मिली है किन्तु दिल्ली सरकार के कुनीतियों के कारण गत तीन से चार महीनो तक शिक्षको का वेतन मिलना दुर्लभ हो गया है। ठीक ऐसा ही दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित महाविद्यालयों का भी यही हाल है। चूंकि दिल्ली हमेशा से रेवेन्यू सरप्लस वाला राज्य रहा है किन्तु वर्तमान राज्य सरकार नीतियों ने दिल्ली के खजानों पर बहुत ही नकारात्मक असर डाला है।  

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)