विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी 12) स्विट्जरलैंड के जिनेवा में 12 जून से 17 जून तक संपन्न हुआ, जिसमें भारत और अन्य विकासशील देशों के लिए कई अनुकूल परिणाम निकले। इस दौरान पांच दिनों तक चली लंबी बातचीत में भारत की अहम भूमिका रही। गरीब और विकासशील देश भारत की ओर अनुकूल और न्यायपूर्ण परिणाम को हासिल करने के लिए उम्मीद भरी दृष्टि से देख रहे थे। इस सम्मेलन में मुख्य रूप से खाद्य सुरक्षा और कृषि, मत्स्य पालन सब्सिडी, कोविड-19 टीकों और महामारी को लेकर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स से छूट, डब्ल्यूटीओ सुधार: ई-ट्रांसमिशन पर सीमा शुल्क पर स्थगन का विस्तार आदि को लेकर चर्चा हुई।
भारत और खाद्यान्न खरीद
केंद्रीय वाणिज्य और व्यापार मंत्री श्री पीयूष गोयल ने विश्व व्यापार संगठन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सामने सबसे महत्वपूर्ण चिंता न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भारत के खाद्यान्न खरीद कार्यक्रम का बचाव करना था। यह किसानों और उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए देश के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में से एक है। अन्य विकासशील देशों को भी इस सार्वजनिक खरीद योजना से लाभ होगा। विकसित देशों ने इसे व्यापार मानदंडों के उल्लंघन के रूप में देखा है। हालांकि, भारत ने विश्व व्यापार संगठन के मौलिक सिद्धांतों के आधार पर अपना पक्ष रखा, जिसके अनुसार विशेष और विभेदक व्यवहार की बात कही गयी है। भारत खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के दीर्घकालिक समाधान की तलाश में अपनी बात रख रहा था। यह वार्ता अगले मंत्रिस्तरीय सम्मेलन तक के लिए स्थगित कर दी गई।
भारत और मत्स्य पालन सब्सिडी
पिछले 20 वर्षों से मत्स्य पालन सब्सिडी को सीमित करने की चर्चा चल रही है। विश्व व्यापार संगठन उन सब्सिडी को सीमित करना चाहता है, जो अधिक मछली पकड़ने वाले क्षेत्रों को दी जा रही है। विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों को समझौते पर हस्ताक्षर करने के सात साल के भीतर सब्सिडी समाप्त करनी होगी। सात साल की अवधि 2030 में समाप्त हो जाएगी। भारत और अन्य गरीब देश अपने मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए इस अवधि को सात साल के बजाय 25 साल करने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर भारत ने सफलतापूर्वक अपने पक्ष का बचाव किया। ओवरफिशिंग सब्सिडी पर सात साल के प्रतिबंध का प्रस्ताव करने वाले विवादास्पद खंड को हटा दिया गया है। सब्सिडी का बचाव हमारे मछुआरों के लिए महत्वपूर्ण है। लगभग चार मिलियन से अधिक लोगों अपनी अाजीविका के लिए मत्स्य पालन पर निर्भर है। उनकी स्थिति इतनी परिपक्व नहीं है कि सरकारी सुरक्षा के बिना वह जीवित रह सके।
भारत और ई-ट्रांसमिशन
विश्व व्यापार संगठन के सदस्य 1998 से इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर कोई सीमा शुल्क लगाने के पक्ष में नहीं हैं। विकसित दुनिया इस पर स्थायी रोक चाहती है। भारत कस्टम ड्यूटी पर स्थायी रोक के विरोध में मुखर रहा है। भारत ने दावा किया कि इससे विकासशील देशों को नुकसान हो रहा है। सीमा शुल्क छूट से विकसित देशों को असमान रूप से लाभ हुआ। भारत का दावा है कि विकासशील देशों की डिजिटल उन्नति के लिए स्थगन पर पुनर्विचार करना महत्वपूर्ण है। अंत में, भारत स्थगन को केवल 18 महीने के लिए बढ़ाने पर सहमत हुआ।
महामारी को लेकर भारत और विश्व व्यापार संगठन की प्रतिक्रिया
इस मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कोविड के टीकों के पेटेंट पर छूट का मुद्दा प्राथमिकता से लिया गया, क्योंकि यह कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण है। वर्तमान परिस्थिति में विकसित देशों में अधिकांश जनसंख्या का टीकाकरण अभी नहीं हो पाया हैं। डब्ल्यूटीओ ने कोविड के टीकों पर पांच साल की पेटेंट से छूट देने पर सहमति जताई है। हालांकि, इस छूट का चीन ने विरोध किया। अगले पांच वर्षों के लिए भारत और अन्य विकासशील देश मूल निर्माताओं से अनुमति प्राप्त किए बिना टीकों का निर्माण और निर्यात कर सकते हैं। यह दुनिया के कुछ सबसे गरीब देशों में भी लोगों के जीवन की रक्षा करेगा और अन्य देशों में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने में भारतीय कंपनियों की सहायता करेगा।
भारत और विश्व व्यापार संगठन में सुधार
भारत डब्ल्यूटीओ सुधारों का समर्थन करता है, जो विशेष और विभेदक व्यवहार (एस एंड डीटी) को संरक्षित करते हैं, जैसेकि सर्वसम्मति-आधारित निर्णय लेना और इसे गैर-भेदभावपूर्ण बनाना। सदस्य देश विश्व व्यापार संगठन के संचालन को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए। संगठन का कार्य पारदर्शी होना चाहिए और सभी सदस्यों, विशेष रूप से विकासशील देशों की जरूरतों को पूरा करने पर तरजीही दी जानी चाहिए।
इस बहुपक्षीय चर्चा में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता के अनुकूल परिणाम निकालने के लिए कई देशों के साथ मिलकर काम किया।