गाँव की समस्या

उल्टी समझ को शीर्षासन

जातिवाद का जहर भारत की नस-नस में फैल चुका है। अगर कोई इससे लड़ना चाहे तो वह उसे ही लील ...

देश की एकता के लिए खतरा बनती ‘आक्रामकता

                भारतवर्ष की पहचान दुनिया में एक ऐसे देश के रूप में बनी हुई है जहां विभिन धर्मो,जातियों, भाषाओं तथा ...

दलितों के नाम पर नौटंकी

गुजरात के ऊना में हुई घटना ने राष्ट्रीय नौटंकी का रुप धारण कर लिया है। इसमें शक नहीं कि मरी ...

न तो हैण्‍डपंप ही बना न तो हैण्‍डपंप खराब करने वाले दबंगों के विरूद्ध एफआईआर

परियत, जौनपुर, उप्र। न तो हैण्‍डपंप ही बना न तो हैण्‍डपंप खराब करने वाले दबंगों के विरूद्ध एफआईआर ऐसा कहना ...

सूखे पर सबकी आंखें गीली

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को जैसी मार लगाई है, वैसी कम ही लगाई जाती है। दस राज्यों में सूखे ...

बुद्धिष्ट नहीं तो क्या सनातनी हो ?

बिना किसी लागलपेट के मुझे यह मानने और स्वीकारने में कोई हिचक नहीं है कि ओबीसी के महामानव ज्योतिबा फूले ...

मूलवासी बनाम सवर्ण

भारत के स्वाभाविक और प्राकृतिक वासी, इस देश के आदिनिवासी और मूलवासी कहे जाते हैं। इन्हें ही संयुक्त राष्ट्र संघ ...

क़र्ज़ माफ़ी की ज़रूरत किसे है

ग़रीब हमेशा अपनी मेहनत की कमाई खाता है. वह किसी से क़र्ज़ लेगा, तो ब्याज़ समेत उसे देगा. ग़रीबों का ...

जाति से पिंड कैसे छूटे?

जन्मना जाति-व्यवस्था भारत का अभिशाप है। उसे भंग करने का नारा महर्षि दयानंद और डॉ राममनोहर लोहिया जैसे समाज सुधारकों ...