Author: निरंजन परिहार

‘न्यू इंडिया’ के लिए राष्ट्रपति कौन… ये, वो या फिर कोई और ?

राजनीति की रपटीली राहों पर राष्ट्रपति चुनाव की बिसात बिछनी शुरू हो गई है। पांच राज्यों में चुनाव हो गए। ...

जिन्ना हाउस ध्वस्त होना ही चाहिए, आखिर भारत के विभाजन की निशानी है

पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मोहम्मद अली जिन्ना ने भारत के टुकड़े करने के लिए जिस जगह का उपय़ोग किया, वह जिन्ना ...

प्रशांत किशोर की उस्तादी खतरे में, धंधा बंद होने की कगार पर

देश के राजनीतिक पटल पर चुनाव प्रबंधन के उस्ताद के रूप में अचानक प्रकट हुए प्रशांत किशोर की उस्तादी खतरे ...

राहुल गांधी में दम है, तो कांग्रेस का दम क्यों निकल रहा है ?

कांग्रेस की हालत खराब होती जा रही है। लगातार होती हार पर हार राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक ...

कांग्रेस नहीं, अमरिंदर जीते पंजाब में !

क्या यूपी में नरेंद्र मोदी ने खुद आगे बढ़कर चुनाव लड़ा, वैसे अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी इज्जत दांव पर ...

करुणानिधि के अवाक करते अंदाज की असलियत में अखिलेश का यादवी अक्स

 राजनीति में रिश्तोंदारों का कुनबा खड़ा करने में करुणानिधि तो मुलायम सिंह यादव से भी ज्यादा मजबूत रहे हैं। लेकिन ...

अभागे ओम पुरी का असली दर्द

ओम पुरी की मौत पर उस दिन नंदिता पुरी अगर बिलख बिलख कर रुदाली के अवतार में रुदन – क्रंदन ...

मोदी होने के मायने

नरेंद्र मोदी जीत गए। भारतीय लोकतंत्र के अब तक के सबसे प्रचंड बहुमत को साथ बीजेपी को लेकर वे संसद ...

सिनेमा और जिंदगी के असली आदमी थे देवानंद

देव आनंद (देवानंद) खबरों में रहें हों या न रहे हों लेकिन वे हमेशा बहुत महत्वपूर्ण बने रहे। वैसे वे ...

कमीशन की कमाई पर लोकतंत्र से लड़ाई

कुल मिलाकर दो बार। पहली बार एक लाख बहत्तर हजार डॉलर। और दूसरी बार एक लाख सत्तानवे हजार डॉलर। दोनों ...