Author: फ़िरदौस ख़ान

पाणिग्रहण संस्कार पर मुग्ध हुए विदेशी

भारत विभिन्न संस्कृतियों का देश है. हर संस्कृति की अपनी-अपनी परंपराएं और अपने रीति-रिवाज हैं. यहां अमूमन सभी त्योहारों और ...

क़र्ज़ माफ़ी की ज़रूरत किसे है

ग़रीब हमेशा अपनी मेहनत की कमाई खाता है. वह किसी से क़र्ज़ लेगा, तो ब्याज़ समेत उसे देगा. ग़रीबों का ...

दहेज प्रथा की शिकार हव्वा की बेटियां

हिंदुस्तानी मुसलमानों में दहेज का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है. हालत यह है कि बेटे के लिए दुल्हन तलाशने ...

लुप्त होती कठपुतली कला

भारतीय संस्कृति का प्रतिबिंब लोककलाओं में झलकता है. इन्हीं लोककलाओं में कठपुतली कला भी शामिल है. यह देश की सांस्कृतिक ...

रिश्तों की वो गरमाहट चली गई…

ज़िंदगी की जद्दोजहद ने इंसान को जितना मसरूफ़ बना दिया है, उतना ही उसे अकेला भी कर दिया है. हालांकि ...

देह प्रदर्शन का पर्याय बनते विज्ञापन

अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी हिन्दी कविता की ये पंक्तियां पारंपरिक भारतीय समाज ...

रौशनी न देख पाने का दर्द

रात में कुछ देर के लिए बिजली चले जाए, तो लोग बेहाल हो जाते हैं. रौशनी के लिए वे क्या ...

भोजन में मीठा ज़हर

देश की एक बड़ी आबादी धीमा ज़हर खाने को मजबूर है, क्योंकि उसके पास इसके अलावा कोई दूसरा चारा नहीं ...

जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी… यानी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है. जन्म स्थान या अपने देश को मातृभूमि कहा जाता ...

प्लास्टिक कचरा : गहराता पर्यावरणीय संकट

प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए एक गंभीर संकट बना हुआ है. हर परिवार हर साल क़रीब तीन-4 किलो प्लास्टिक थैलों ...