Author: अर्पण जैन "अविचल"

कुनबे की कलह से ढहेगा समाजवादी साम्राज्य

समसामयिक: अखिलेश यादव के पार्टी से निष्कासन पर विशेष  ‘वंशवाद’शब्द नेहरू-गांधी परिवार की निंदा के लिए विद्वत्ता का मुखौटा लगाने का ...

विपक्षीय विरोध के ढीले कलपुर्जे

     घर से चौराहे तक, गली से गलियारे तक, झोपड़ी से महलों तक, किसान से कुबेर तक, संसद से सड़क तक, ...

अधूरी दास्ताँ

कुछ पुरानी यादें... और तुम्हारा साथ... वही पुराने प्रेम पत्र और अपनी बात... पलभर की गुस्ताख़ी, और अंधेरी रात... टूटें हुए मकान और सुना पड़ा खाट.. 'अवि' के ...

‘न फनकार तुझसा तेरे बाद आया, मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया’

     सस्ती लोकप्रियता और बालीवूड का बहुत पुराना नाता हैं , किंतु जब फन को लेकर निम्न स्तर उतर ...

तिजोरियों में जमा कालेधन को उजागर करने का मोदी का नया फंडा

500-1000 के नोट का चलन बंद विशेष: वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में देश के दूसरे बड़े राजनैतिक दल 'भारतीय जनता ...

पत्रकारिता : मानक नहीं मान्यता बदलना होगी

तेज गति से चलने वाले जनजीवन में पत्रकारो और पत्रकारिता का महत्व क्षणे-क्षणे कमतर होता जा रहा है, जनसामान्य ना ...

खून की दलाली बनाम राजनीतिक स्यापा

दिल्ली से लेकर दंतेवाड़ा, मुंबई से लेकर मीरपुर और बंगाल से बारामूला तक हिंद के जनमानस में केवल और केवल ...

पत्रकार हैं पक्षकार नही

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शहर मर भी रहा है

हर शहर की सरहद के उस पार से कुछ ठंडी हवाएँ हर बार जरूर आती है अपने साथ सभ्यताओं का एक पुलिंदा ...

प्रेम भी अपरिपक्व होने लगा हैं

स्त्री की देह तालाब-सी है, बिल्कुल ठहरी हुई सी उसमे नदी के मानिंद वेग और चंचलता कुछ नहीं फिर भी पुरुष उस ...