Author: अर्पण जैन "अविचल"

आवश्यक है ‘गणतंत्र’ की घर वापसी

पचहत्तर वर्षीय आज़ादी का यशस्वी गौरव, मरते-जीते योद्धा, क्रांति के नायकों का मेला, जश्न मनाते भारतीय और फिर इसके साथ ...

हिन्दी आख़िर क्यों ?

संवाद की समरूपता में निहित है राष्ट्र की प्रगति   भाषा किसी दो सजीव में संवाद स्थापित करने का माध्यम है। जीव-जन्तु, ...

काव्यांजलि कवि सम्मेलन का आयोजन

इंदौर। शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु के शहादत दिवस के उपलक्ष्य में साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश के उपक्रम पाठक ...

गाँधी दर्शन और भाषा समस्या

विचारों की परिपक्वता, विस्तार का आभामंडल, सत्य के लिए संघर्ष, सत्य कहने के कारण नकारे जाने का भी जहाँ भय ...

एक राष्ट्र-एक भाषा का समाधान गाँधी दर्शन में

भारत विभिन्नताओं में एक एकता के सूत्र से संचालित राष्ट्र है, जहाँ बोली, खानपान, संस्कृति, समाज एवं जातिगत व्यवस्थाओं का ...

मासूम सा सवाल, मासूम सी जिंदादिली

कश्मीर की आज़ादी, 370 का हटना, 35ए का समाप्त होना, कश्मीरियत का हिंदुस्तानी तिरंगे में लिपट-सा जाना, चश्म-ए-शाही का मीठा ...

कमरे में कौन है किसका हत्यारा ?

हत्या किसकी पार्टी या विचारधारा की, नेता या नेतृत्व की, जनता या जनादेश की, जनमत या ध्वनिमत की, वंशवाद या ...

विद्रोह के पथ पर ‘यायावर गणतंत्र’

गणतंत्रीय गरिमा के प्रभुत्व से आलौकिक, जन के तंत्र के साथ मजबूती से सामंजस्य बनाता भारत का संविधान और एक ...

सनद रहे ! देश में आम चुनाव है…

अफरा-तफरी का दौर शुरू हो गया, आवाजाही पर संदेह शुरू है, बैण्ड बाज़ा बारात भी तैयार है, हर तरफ चुनावी ...

हिन्दी साहित्य का पक्ष रखने के लिए प्रवक्ताओं की आवश्यकता

हजारों-हजार सालों का हिन्दी का समृद्धशाली इतिहास और गौरवशाली वर्तमान जिस पर सम्पूर्ण विश्व अपना समाधान खोजता है। बात यदि ...