तिजोरियों में जमा कालेधन को उजागर करने का मोदी का नया फंडा

500-1000 के नोट का चलन बंद विशेष:

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में देश के दूसरे बड़े राजनैतिक दल 'भारतीय जनता पार्टी' ने काला धन वापस लाने को चुनावी मुद्दा बनाया और सत्ता पर काबिज हुए नरेंद्र मोदी | भारत में भ्रष्टाचार और इटली एवं स्विट्ज़रलैण्ड के बैंकों में जमा लगभग 400 लाख करोड़ रुपये के "काले धन" को स्वदेश वापस लाने की माँग करते हुए योगगुरु बाबा रामदेव भी मैदान में थे, उन्होने पूरे भारत की एक लाख किलोमीटर की यात्रा भी की। चूँकि कालाधन का मुद्दा देश की जनता से जुड़ा मुद्दा होने के साथ-साथ देशवासियों के हितार्थ मुद्दा था इसलिए मोदी को इस बात का भरपूर समर्थन मिला था | विगत दो वर्षों से लगातार पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी जनता की इसी सवालों को झेल रहे है क़ि 'काला धन वापस कब आयेगा?' |

                सरकार बनने के बाद संसद में ब्लैक मनी बिल पारित होने पर मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही थी दूसरी ओर उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बिल को विदेशों में जमा काला धन वापस लाने के लिहाज से बिल्कुल निरर्थक करार दिया था | यहाँ तक क़ि स्वामी ने ये भी दावा किया था केंद्र सरकार कालेधन को वापस लाने की गंभीर पहल नहीं कर रही, और न ही उसकी ऐसी मंशा दिखती है। और काले धन के मामले में ही भाजपा से निष्कासित नेता और जानेमाने वकील रामजेठमलानी ने भी सरकार की नियत पर संदेह जाहिर करते हुए कई आरोप लगाए थे |

 

नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के मुताबिक, काला धन वह इनकम होती है जिस पर टैक्स की देनदारी बनती है लेकिन उसकी जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को नहीं दी जाती है। और यह धन अनैतिक तरीकों से सरकार को बिना कर चुकाए अर्जित किया जाता है इसीलिए इस धन को संवैधानिक नहीं माना जाता |

भारत में काले धन को मापने का कोई भरोसेमंद और पक्का पैमाना नहीं है। ज्यादातर अनुमान पुराने हैं और उनमें कई तरह के नुक्स हैं। एनआईपीएफपी की एक स्टडी के मुताबिक, 1983-84 में 32,000 से 37,000 करोड़ रुपए की ब्लैक मनी थी। (यह जीडीपी के 19-21 फीसदी के बीच है।) 2010 में अमेरिका के ग्लोबल फाइनैंशल इंटीग्रिटी ने अनुमान लगाया था कि 1948 से 2008 के बीच भारत से 462 अरब डॉलर की रकम निकली है। सरकार ने तीन संस्थानों से ब्लैक मनी का अनुमान लगाने के लिए कहा है।

                                काले धन को सामने लाने के लिए सरकार ने मौजूदा संस्थानों को सशक्त किया है और नए संस्थान और नई व्यवस्था बनाई है। एंटी मनी लांड्रिंग कानून को मजबूत बनाया गया है और ज्यादा संस्थानों को उसके दायरे में लाया गया है। काले धन के प्रसार को रोकने के लिए भारत ग्लोबल मुहिम में शामिल हुआ है। उसने सूचनाएं बांटने के लिए कई देशों के साथ समझौता किया है। इनकम टैक्स रेट में लगातार कटौती से टैक्स नियमों का पालन बढ़ा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था को साल 2012 में अवैध वित्तीय लेन देन के चलते करीब 1.6 अरब डॉलर (क़रीब 85 अरब रुपए) का नुकसान उठाना पड़ा था , इतना ही नहीं बीते एक दशक के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को 123 अरब डॉलर (करीब 6,642 अरब रुपए) का नुकसान हुआ है | यह रकम कितनी बड़ी है इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि बीते एक दशक के दौरान भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे के निर्माण पर इससे कम खर्च हुआ है|

ये आकलन वाशिंगटन स्थित शोध संस्थान ग्लोबल फाइनेंसियल इंटेग्रिटी (जीएफआई) का है| संस्था ने काली और जाली अर्थव्यवस्था पर अध्ययन कर ये रिपोर्ट जारी की थी| रिपोर्ट के मुताबिक इस दशक में काली अर्थव्यवस्था के चलते नुकसान के मामले में भारत आठवें नंबर पर हैं| जीएफआई के निदेशक रेमंड बाकर ने कहा था- “भारत में अवैध लेन देने के लिहाज से पिछले कुछ सालों में स्थिति सुधरी है लेकिन अब भी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है|”

                                                भारत में रामजेठमलानी से लेकर रामदेव तक स्विस बैंकों में जमा भारतीय रकम को एक बड़ा मुद्दा बनाए हैं। रकम इतनी बड़ी है और सस्पेंस इतना सम्मोहक कि बहुत सारे लोग इस अभियान में जुड़ गए हैं और वे वास्तव में देशभक्त हैं। इनके हिसाब के अनुसार, अगर स्विस बैंकों में जमा पूरा पैसा भारत आ जाता है, तो उसका सारा कर्ज खत्म हो जाएगा, अगले 30 साल तक टैक्स फ्री बजट आएगा और हर परिवार के हिस्से में यानी उसके भारतीय बैंक खाते में ढाई लाख रुपये जमा हो जाएंगे। दिल बहलाने को यह ख्याल अच्छा है।

अब अचानक चमत्कार के तौर पर प्रकट हुए जूलियन असांज के नाम पर फिर से उत्साह की नई लहर जागी । कहा जा रहा है कि जूलियस बेयर बैंक के एक भूतपूर्व अधिकारी ने विकिलीक्स को इतना बता दिया है कि दुनिया भर के अरबों डॉलर के हिसाब सामने आ जाएंगे। सूची में 33 भारतीय नाम भी हैं, जिनमें अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियां और एक निजी अकाउंट है। एक हसन अली का नाम भी है, जो भारतीय आथिर्क और जासूसी एजेंसियों के लिए पहेली बन गए हैं। उनके बारे में सिर्फ इतना कहा जाता है कि वह पुणे के रहने वाले हैं और राज्यसभा में 4 अगस्त 2009 को दी गई जानकारी के मुताबिक भारत के सबसे बड़े टैक्स चोर हैं। उन्होंने 50 हजार करोड़ रुपये का टैक्स नहीं दिया है। हसन को दाऊद इब्राहिम का फाइनैंसर भी बताया जाता है और कहा जाता है कि स्टॉक एक्सचेंज से लेकर घुड़दौड़ के मैदान तक उनकी पूंजी आज भी दौड़ती है। लेकिन जिस विकिलीक्स, जूलियन असांज और रुडोल्फ एल्मर के दम पर हम किसी महाखुलासे की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह हमारे लिए दिल तोड़ने वाला माहौल है।

वैसे काले धन की सूची में चीन अव्वल स्थान पर है| 2001 से 2010 के दौरान अवैध वित्तीय लेनदेन के चलते चीन को 2740 बिलियन डॉलर( 1,47,960 अरब रुपए) का नुकसान हुआ है| इसके बाद मैक्सिको, मलेशिया, सऊदी अरब, रूस, फिलीपींस और नाइजीरिया को भी अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है|

“विकासशील देशों में अवैध वित्तीय लेनदेन- 2001 से 2010” के नाम से जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सभी विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को 2010 में 858.8 अरब डॉलर (करीब 46,375 अरब रुपए) का नुकसान हुआ है|

यह बीते एक दशक में नुकसान के हिसाब से दूसरा सबसे ख़राब साल साबित हुआ है| इससे पहले 2008 के दौरान विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को 871.3 अरब डॉलर( करीब 47,050 अरब रुपए) का नुकसान सहना पड़ा था|

रिपोर्ट के मुताबिक 2001 से 2010 के दौरान दुनिया भर के विकासशील देशों को काले धन के चलते 5860 अरब डॉलर (3,16,440 अरब रुपए) का नुकसान हुआ है|

ग्लोबल फाइनेंसियल इंटेग्रिटी ने दुनिया भर के नेताओं से अपील की है कि वे काले धन के लेन देन पर अंकुश लगाने के लिए अपने अपने देशों में पारदर्शी व्यवस्था को बढ़ावा दें|

                                                इसी काले धन को लेकर चिंतित रहने वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार और कालाधन पर रोक लगाने के लिए मंगलवार को कड़ा कदम उठाया। देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि मंगलवार रात 12 बजे से 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने की घोषणा भी कर दी और यह भी कहा जिनके पास 500 और 1000 रुपये के नोट हैं वो 10 नवंबर से 30 दिसंबर तक बैंक और प्रमुख डाकघरों में जमा कराकर उसके बदले में वैध रकम ले सकते हैं|

मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले दशकों में हम यह अनुभव कर रहे हैं कि देश में भ्रष्टाचार और कालाधन नामक बीमारियों ने अपनी जड़ें जमा ली हैं| भ्रष्टाचार और कालेधन का जाल तो तोड़ने के लिए सरकार सख्त कदम उठा रही है और परिणाम भी दे रहे हैं| प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद की भयावहता कौन नहीं जानता. आतंकवाद और जाली नोटों का जाल देश को तबाह कर रहा है. इन आतंकियों को कहां से पैसा नसीब होता होगा. काले धन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ हमने एसआईटी बनाई, कानून बनाया. विदेशों का काला धन लाने के लिए समझौते किए|

भ्रष्टाचारियों से हम सवा लाख करोड़ रुपये का काला धन वापस लाए| उन्होंने कहा कि 500 से 1000 रुपये के नोट 80 से 90 फीसदी हो गए हैं|

इन सब के पीछे कूटनीतिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा चाहे जो कुछ भी हो, किंतु प्रथम दृष्टया यह आदेश देश में जमा अघोषित नगदी के बारे में पता लगा कर आगामी कार्यवाही करना ही नज़र आ रहा है| भारत की अर्थव्यवस्था की उन्नति में देशवासियों का आय से अधिक खर्च न करने की मानसिकता भी कारगर है इसी को ध्यान में रखते हुई तिजोरियों में जमा अघोषित पूंजी को सामने लाने के लिए भी इस तरह का आदेश लाया जा सकता हैं इसमे कोई अतिशयोक्ति नहीं हैं| यह सत्य है क़ि जब आप बेंक या डाकघर में अपने 500 और 1000 के नोट एक्सचेंज करने जाओगे तो वे संस्थान आपके द्वारा दिए गये नोटों का हिसाब भी मय आपके नाम एवम् विवरण रखेगी | इस तरह जो पूंजी अब तक तिजोरियों की शान बन रही थी वे अब घोषित संपत्ति के रूप में अपना स्वरूप देश को अर्पण कर देगी | इसी तरह शायद मोदी विदेशों मे तो ठीक है किंतु देश के भीतर जमा अघोषित संपतियों का आंकलन ले आए | खेर मंशा और रणनीति कुछ भी हो किंतु कदम स्वागत योग्य हैं | इस तरह देश में जमा काला धन तो घोषित होगा |  500 और 1000 के नोट को बंदकर जिस तरह से मोदी ने देश के अंदर जमा अघोषित संपत्ति की उजागर करने का रास्ता अपनाया है और अर्थव्यवस्था और कालेधन के मद्देनजर इतिहास के सबसे बड़े फ़ैसले को लेकर नरेंद्र मोदी ने फिर एक बार साबित कर दिया के वे अच्छे नेतृत्व करता ही नहीं बल्कि एक कुशल कूटनीतिककार भी हैं |