क्या यह सभी टुकड़े ‘टुकड़े गैंग’ के ‘राष्ट्र विरोधी’ व ‘राम द्रोही’ हैं ? 

   18 वीं लोकसभा के लिये होने जा रहे आम चुनावों में सभी राजनैतिक दल चुनाव प्रचार में कूद पड़े हैं। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी व उसके सहयोगी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एन डी ए ) को जहाँ अपने दस वर्ष के शासनकाल के दौरान उपजी सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है वहीँ विपक्ष भी इस बार एकजुट होकर INDIA नामक गठबंधन बनाकर भाजपा का मुक़ाबला करते हुए देश की अधिकांश लोकसभा सीटों पर भाजपा व उसके सहयोगी एन डी ए घटक दलों के एक उम्मीदवार के सामने  INDIA  गठबंधन का भी एक ही उम्मीदवार चुनौती दे रहा है। यानी स्थिति कुछ 1977 के चुनाव जैसी दिखाई दे रही है। भाजपा चूंकि अपने संरक्षक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ बहुसंख्यकवादी राजनीति करते हुये अपने दूरगामी हिंदूवादी एजेंडे पर काम कर रही है इसलिये वह किसी भी सूरत में सत्ता से हटना नहीं चाहती। इससे निपटने के लिये नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ऐसे अनेक हथकंडे अपना रही है जो भारतीय राजनीति के इतिहास में यहाँ तक कि आपातकाल के उस दौर में भी नहीं देखे गये जिसे कांग्रेस की तानाशाही का दौर कहा जाता था। भाजपा सरकार अपने विपक्षी नेताओं व विरोधी दलों को राजनैतिक प्रतिद्वंदी समझने के बजाय उनके साथ व्यक्तिगत दुश्मन जैसा बर्ताव कर रही है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अनेक नेताओं को यहाँ तक कि अनेक भ्रष्ट नेताओं को प्रवर्तन निदेशालय ई डी,सी बी आई या इनकम टैक्स का भय दिखाकर तो किसी को कथित तौर पर धन या पद की लालच देकर अपनी पार्टी में शामिल किया जा रहा है। जो नेता इनके इस जाल में नहीं फंसता उसे किसी न किसी बहाने जेल भेजा जा रहा है। कई विपक्षी पार्टियों में फूट डलवाई जा रही है। और इन सबके बावजूद भी जो इनके पक्ष में नहीं आता उसे तरह तरह की संज्ञाओं से नवाज़ा जा रहा है। किसी को राष्ट्रविरोधी बताया जाता है तो किसी को राम विरोधी। कोई टुकड़े टुकड़े गैंग का सदस्य तो कोई पाकिस्तान परस्त। कोई भ्रष्ट तो कोई परिवारवादी। कोई हिन्दू विरोधी तो कोई अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करने वाला। कोई 'ख़ालिस्तानी तो कोई 'रेवड़ी बाँटने वाला। यहाँ तक कि भाजपा नेता विशेषकर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जोकि  कभी अपनी छाती 56 इंच की बताते हैं वही मोदी भावनात्मक कार्ड खेलने से भी नहीं  चूकते। भाजपा नेता कभी गाँधी-नेहरू का अपमान करते हैं तो कभी गोडसे-सावरकर का महिमामंडन करते हैं और कभी संविधान बदलने की बात करते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि विपक्षी दलों के नेताओं को जिन 'विशेषणों ' से प्रधानमंत्री व उनकी पार्टी के तमाम नेता नवाज़ते रहते हैं और स्वयं को ही भारतीय राजनीति का अब तक का सर्वश्रेष्ठ राजनीतिज्ञ बताने की कोशिश करते हैं तो क्या उनका विरोध केवल कांग्रेस या INDIA  गठबंधन के ही नेता करते हैं या करते रहे हैं ?        

    किसी ज़माने में वरिष्ठ अधिवक्ता स्व०  राम जेठमलानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े समर्थकों में से एक थे। जेठमलानी मोदी के इतने बड़े समर्थक थे कि 2015 में उन्होंने नरेंद्र मोदी को विष्णु का अवतार तक बता डाला था। जेठमलानी को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी काले धन की वापसी करेंगे। वह सैनिकों को वन रैंक, वन पेंशन  देंगे। भ्रष्टाचार और विदेश नीति पर अच्छा काम करेंगे। परन्तु जल्द ही जेठमलानी को मोदी की राजनीति की सच्चाई का पता चल गया। आख़िरकार उनको कहना पड़ा कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की मांग का समर्थन करना उनकी सबसे बड़ी  नासमझी थी। उन्होंने खुद को इसके लिए गुनहगार और ठगा हुआ बताया था। उन्होंने यह कहना भी शुरू कर दिया था कि  प्रधानमंत्री की बातों का भरोसा ना करें। आख़िरकार ' 9 जून 2015 को  राम जेठमलानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने संबंधों को 'तोड़ने' की घोषणा भी कर दी थी। इसके बाद कई मामलों वे खुलकर मोदी व उनकी सरकार के ग़लत फ़ैसलों के विरुद्ध अदालत में भी पेश हुये। 

     उसके बाद भारतीय जनता पार्टी के ही यशवंत सिन्हा,सुब्रमण्यम स्वामी व शत्रुघ्न सिन्हा जैसे वरिष्ठ नेताओं व पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने नरेंद्र मोदी की अनेक ग़लत नीतियों  का खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया। यशवंत सिन्हा व शत्रुघ्न सिन्हा जैसे नेता तो पार्टी छोड़कर भी चले गये परन्तु मोदी हमेशा इसी ग़लत फ़हमी का शिकार रहे कि उनसे अच्छी राजनीति की समझ कोई भी नहीं रखता। इस आशय की स्वप्रशंसा वाली कई बातें स्वयं मोदी संसद से लेकर जनसभाओं तक में कहते भी रहते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी तो अभी भी भाजपा में ही रहकर मोदी व उनकी सरकार को आईना दिखते रहते हैं। ख़ासकर वित्तीय व विदेश नीति को लेकर और अति विशेष रूप से चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र पर किये गये हालिया अतिक्रमण को लेकर। उसके बाद भाजपा के ही सांसद वरुण गांधी और भाजपा नेता व पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक के बयानों को सुन लीजिए। किसान विरोधी नीतियों को लेकर इन भाजपा नेताओं ने अक्सर प्रधानमंत्री मोदी को खरी खोटी सुनाई। वरुण गांधी ने किसानों व बेरोज़गारी व मंहगाई के मुद्दे उठाये। जनसमस्याओं से जुड़ी आवाज़ें बुलंद कीं। तो पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक ने संघ के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने से लेकर पुलवामा में हुये चालीस भारतीय जवानों की शहादत जैसे अति गंभीर विषय पर मोदी को कटघरे में खड़ा किया। परन्तु इसके जवाब में भाजपा ने वरुण गांधी को लोकसभा का प्रत्याशी नहीं बनाया तो सतपाल मलिक के राज्यपाल का कार्यकाल नहीं बढ़ाया। उल्टे सतपाल मलिक से सम्बंधित 29 ठिकानों पर सी बी आई के छापे ज़रूर मारे गये।

     और अब इन्हीं लोकसभा चुनावों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति प्रसिद्ध अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर के बयानों से पूरे देश में सनसनी फैली हुई है। उन्होंने दावा किया है कि 'अगर बीजेपी को इस बार भी लोकसभा चुनाव में जीत मिलती है तो देश में दोबारा चुनाव नहीं होंगे'। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि "मणिपुर जैसी स्थिति पूरे देश में पैदा हो सकती है।अर्थशास्त्री प्रभाकर के अनुसार 2024 में अगर फिर से मोदी प्रधानमंत्री बने और यह सरकार वापस आई तो देश में फिर कभी भी चुनाव नहीं होंगे। देश का संविधान बदल जाएगा।  मोदी ख़ुद ही लाल क़िले से नफ़रती भाषण देंगे और लद्दाख-मणिपुर जैसी स्थिति पूरे देश में बन जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि अभी आपके पास जो देश का संविधान और नक़्शा है, यह पूरी तरह से बदल जाएगा। आप इसे पहचान भी नहीं पाएंगे। अभी आपको पाकिस्तान भेजने, इसे मारने या भगाने की बातें जो धर्म संसद जैसी जगहों से सुनाई दे रही हैं, वो बातें आप लाल क़िले से सुनेंगे। इस तरह की बातों को लेकर एकदम खुला खेल होगा। यही सबसे बड़ा ख़तरा है। " अर्थशास्त्री प्रभाकर के अनुसार अभी आपको लग रहा है कि हिंसा मणिपुर में हो रही है, इसलिए हमारे यहां होने की कोई संभावना नहीं है? ऐसा आपको सोचने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि जो आज मणिपुर में हो रहा है, वो कल को आपके या हमारे राज्य में भी हो सकता है। अभी लद्दाख़, मणिपुर में जैसे हालात हैं या फिर किसानों के साथ जैसा व्यवहार हुआ है, वैसा पूरे देश में हो जाएगा।" निर्मला सीतारमण के इन्हीं अर्थशास्त्री पति ने मोदी सरकार पर कोरोना काल प्रबंधन को लेकर भी बड़ा हमला बोलते हुये कहा था कि "उस समय भी मोदी सरकार लोगों को कोरोना से बचाने के उपाय करने के बजाय हेडलाइन मैनजमेंट में लगी हुई थी।" सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा करने और उनसे सवाल करने वाले उपरोक्त सभी लोग भी क्या टुकड़े टुकड़े गैंग के सदस्य हैं? क्या यह सब भी पाक परस्त,भ्रष्ट ,'राष्ट्र विरोधी' व राम द्रोही हैं ? 

 

                                                 (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार है और यह लेखक के स्वयं के विचार हैं)

                                                          

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