ममता की डर्टी पॉलिटिक्स

जो नोटबंदी के खिलाफ नहीं वो गद्दार-ममता बनर्जी

ममता बनर्जी ने कहा मोदी सरकार 'डाकू सरकार' बनी

पश्चिम बंगाल में सेना: ममता बनर्जी ने कानूनी कार्रवाई की धमकी दी

ममता ने नोटबंदी फैसले को जनविरोधी करार दिया और कहा कि यह एक अघोषित वित्तीय आपातकाल है

     यह चंद हेडलाइंस हैं पिछले कुछ दिनों के अखबारों की। बातें तो और भी हैं, उनका यहां जिक्र करना सही नहीं होगा। काले धन के खिलाफ केंद्र सरकार की कार्रवाई को लेकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दलों के साथ अन्य विपक्षी दल सड़क से लेकर संसद में हंगामा मचा रहे हैं। काले धन के खात्मे के लिए हजार-पांच सौ के नोट बंद करने को लेकर विपक्षी दलों के भारत बंद के बेअसर होने के कारण विपक्षी दल अलग-अलग फिजूल मुद्दों को लेकर संसद में हंगामा काट रहे हैं। गलतबयानी देकर संसद को काम करने से रोका जा रहा है और जनता को गुमराह किया जा रहा है। कभी सरकार पर शहीदों का अपमान करने का आरोप लगाया जाता है तो कभी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी की हत्या की कोशिश के मनगढंत आरोप लगाकर संसद में हंगामा मचाया जाता है। सेना पर पश्चिम बंगाल में बगावत के आरोप लगाकर तो ममता बनर्जी ने गंदी राजनीति कर हद कर दी है। ऐसी डर्टी पॉलिटिक्स को लेकर जनता भी पूछ रही है कि क्या सेना किसी राज्य में जाकर तख्ता पलट सकती है। सब जानते हैं कि भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत ही कोई सरकार जा सकती है। जनता ही वोट देकर किसी को सत्ता में लाती है और किसी को बेदखल कर देती है। सेना की रूटीन गतिविधियों को ममता ने तख्ता पलट के साथ ही आपातकाल करार दे दिया। कम से कम देश की सेना को लेकर ऐसी डर्टी पॉलिटिक्स मत करो दीदी।

     इसी तरह की डर्टी पॉलिटिक्स कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कर रहे हैं। कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में राहुल गांधी कहते हैं कि नरेंद्र मोदी अपनी छवि में कैद होकर रहना चाहते हैं। राहुल का आरोप है कि खुद को चमकाने के लिए मोदी आम जनता को भी परेशानी में डाल सकते हैं। इतिहास में नरेंद्र मोदी को राज्यों में भारत विरोध तत्वों को राजनीतिक रूप से स्पेस देने के लिए जाना जाएगा। पॉलिटिक्स में वैक्यूम बना दिया, जिससे आतंकियों को अपने मंसूबे अंजाम देने का मौका मिला। लेकिन इसकी कीमत कौन चुका रहा है? कम से कम पीएम और डिफेंस मिनिस्टर तो नहीं। उनकी बजाय हमारे सैनिक और उनके परिवार इसकी कीमत चुका रहे हैं। अब तक 85 सैनिक शहीद हुए हैं, जो बीते 10 सालों में सबसे ज्यादा है। राहुल गांधी को शायद यह याद नहीं है कि एक ही सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तानी सेना के50 से ज्यादा जवान मारे गए थे। सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर भी कांग्रेसी सदमे के कारण उल्टे बयान दे रहे थे। राहुल को चाहिए कि पाकिस्तानी सेना के कितने जवान मारे गए हैं। राहुल गांधी 2016 में मारे गए आतंकवादियों की भी पूरी सूची देख लेनी चाहिए। इसकी पूरी जानकारी लेकर ही केंद्र पर हमला बोले। इसीलिए ही शायद जनता में राहुल को पप्पू नाम से जाना जाता है। कमाल की बात यह है कि एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे ममता, राहुल और येचुरी के सुर संसद में एक जैसे निकल रहे हैं। उनकी मंडली में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती भी शामिल होकर केंद्र सरकार पर बरस रही है। यह सब कमरे में सजी माया की बर्बादी के चक्कर में हो रहा है।

     पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में टोल प्लाजा पर सेना की मौजूदगी को लेकर हंगामा काट रही ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेताओं की डर्टी पॉलिटिक्स की पोल तो खुल ही गई है। तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने झूठे आरोपों को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा मचाया। ममता बनर्जी के दावों को लेकर मीडिया ने सच्चाई को सामने रखा है। सेना की तरफ से भी सच्चाई को सामने रखा गया है। सेना की तरफ से कहा गया है कि कोलकाता पुलिस और संबंधित अधिकारियों को सूचित करने के बाद ही कुछ टोल प्लाजा पर नियमित अभ्यास के तहत जवानों को तैनात किया गया था। कुछ टोल प्लाजा में सेना के जवानों को नियमित अभ्यास के तहत तैनात किया गया था। इनमें एक हावड़ा में राज्य सचिवालय नाबन्ना के निकट और दूसरे हुगली पुल पर स्थित है। कोलकाता पुलिस के सहयोग से ही यह अभ्यास किया गया। राज्य पुलिस के कहने पर इस अभ्यास की तारीख भी बदली गई थी। माल ढुलाई वाले वाहनों के बारे में आंकड़े इकट्ठा करने के लिए सेना देश भर में वार्षिक अभ्यास कर रही है। जरूरत पड़ने पर सेना इनका इस्तेमाल करने के लिए ऐसा अभ्यास करती है। सेना ने केवल माल ढुलाई वाहन की पहचान की और उनके विवरण लिए। ऐसा अभ्यास पिछले वर्ष 19 से 25 नवंबर के बीच इसी क्षेत्र में किया गया था। पश्चिम बंगाल से पहले उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश जैसे नौ राज्यों में सेना का ऐसा ही ऑपरेशन चल चुका है। ममता बनर्जी डर्टी पॉलिटिक्स करने के लिए सचिवालय में डेरा जमा लेती हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयानबाजी करती रहीं। इतना ही नहीं ममता बनर्जी ने सेना के रूटीन अभ्यास को राजनीतिक, अलोकतांत्रिक, अनैतिक, बदले की भावना और असंवैधानिक कदम करार दिया। सेना के रूटीन अभ्यास को लेकर कांग्रेस, बसपा और दूसरे दलों ने संविधान के संघीय ढांचे पर हमला बताया। ममता यह भी कह रही है कि उन्होंने दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी बात की है और उन्हें बताया गया है कि उनके राज्य में सेना का ऐसा अभ्यास नहीं हुआ है। सीधी सी बात है यह पुलिस और सेना के बीच तालमेल करके होने वाला अभ्यास है। सेना अपनी गतिविधियों को चुपचाप अंजाम देती है। बाकी राज्यों ने सेना की रूटीन अभ्यास को कोई तूल ही नहीं दिया। तूल देने से सेना की गतिविधियों की गोपनीयता भी भंग होती है। दुश्मन देशों को यह जानकारी भी मिल रही होगी कि भारतीय सेना यह अभ्यास क्यों कर रही है। राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप तो चलते रहते हैं पर सेना पर कोई मुख्यमंत्री तख्ता पलट की साजिश रचने का आरोप लगाता है तो सचमुच इससे डर्टी पॉलिटिक्स कोई और नहीं हो सकती है। सेना को राजनीतिक फायदे के लिए विवादों में लाना घटिया राजनीति का हिस्सा है।

     सेना ने साफतौर पर ममता के आरोपों का जवाब दे दिया है। इसके बावजूद उनकी जुबान तीखी होती जा रही है। प्रधानमंत्री के खिलाफ घटिया भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि मीडिया की खबरों में भी यह बताया गया है कि सेना का इस अभ्यास में पुलिस सहयोग कर रही थी। एक टीवी चैनल ने सिलिगुड़ी से तस्वीरों का एक कोलाज न्यूज पैकेज में दिखाया कि सेना पश्चिम बंगाल की पुलिस के साथ मिलकर सर्वे का काम करती हुई दिखाई दे रही है। नोटबंदी को लेकर गलतबयानी और जनता का ध्यान भटकाने की ऐसी तरकीबों के कारण और संसद की कार्रवाई ठप करने से जनता में नाराजगी बढ़ रही है। सोशल मीडिया में भी ममता बनर्जी के आरोपों का जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। सेना पर तख्ता पलट के आरोपों से एक दिन पहले तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने संसद में ममता बनर्जी को मारने की साजिश का आरोप लगाया। ममता बनर्जी को लेकर जा रहे इंडिगो एयरलाइंस के एक प्लेन की कथित तौर पर देर से लैंडिंग के मामले को लेकर संसद में हंगामा मचाया गया।  यह प्लेन कोलकाता के नेताजी सुभाषचंद्र बोस इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर लैंड होने से पहले करीब आधे घंटे तक आसमान में चक्कर काटता रहा। तृणमूल का आरोप था कि प्लेन में कम फ्यूल होने के बावजूद उसे लैंड करने की देर से दी गई इजाजत पार्टी सुप्रीमो को मारने की साजिश थी। तृणमूल के का कांग्रेस ने भी दिया। कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ममता की जान को खतरा था। ममता ने प्लेन में बैठने से पहले पटना की सभा में कहा था कि जो नोटबंदी के खिलाफ नहीं है, वो गद्दार है। उन्होंने यह गाली बिना नाम लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दी। इस गाली पर जनता दल यू ने तो पलटवार किया और कहा है कि बंगाल सरकार चिट फंड घोटालों में शामिल लोगों पर कार्रवाई करने में असफल रही। उन लोगों ने न केवल राज्य बल्कि देश के पूरे पूर्वी इलाके के लोगों के हजारों करोड़ रुपये लूट लिए। घोटालों में तृणमूल नेताओं की भागीदारी भी है। जदयू की तरफ से यह भी कहा गया है कि बंगाल के साथ-साथ झारखंड, बिहार, असम,ओडिशा और त्रिपुरा के गरीबों के हजारों करोड़ रुपये लूटने के लिए चिट फंड का जाल बिछाया। तृणमूल नेता भी ठगी के उन वारदातों से जुड़े रहे। जदयू ने तो जवाब दे दिया है पर अब जनता की बारी अभी बाकी है। डर्टी पॉलिटिक्स से बाज आओ दीदी। जनता बर्बाद हुई माया को लेकर आपकी बौखलाहट को समझ रही है। मां, माटी और मानुष का नारा देने वाली दीदी आपको जनता की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। दिक्कत झेलकर भी जनता काले धन के खिलाफ मोदी सरकार का साथ दे रही है। मोदी के विरोधी नेता भी इसे अच्छा कदम मान रहे हैं। समझिए दीदी समझिए।

लेखक भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री हैं और राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक विषयों पर बेबाक राय के लिए जाने जाते हैं। यह उनके निजी विचार हैं।