नये निजाम के दामन पर भी है घर कब्जा करने का दाग

मुंबई। महाराष्ट्र के नए निजाम भी कोई दूध के धुले नहीं हैं। कांग्रेस आलाकमान ने अशोक चव्हाण को फर्जीवाड़े से फ्लैट पाने के आरोप में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की गद्दी से हटा दिया। लेकिन नए मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी उसी तरह के फर्जीवाड़े में गले तक डूबे हुए हैं। उन्होंने जितने बड़े बड़े झूठ बोलकर सरकार से फ्लैट हथियाए हैं वे कांग्रेस के लिए ज्यादा दागदार हैं।

पृथ्वीराज चव्हाण के चेहरे पर भ्रष्टाचार की कालिख नई नहीं है। सात साल पहले का मामला है। पृथ्वीराज चव्हाण ने 2003 में सरकार से सस्ते फ्लैट लेने के लिए सरकार के सामने गलत दस्तावेज सौंपे थे। मुंबई के वड़ाला स्थित भक्ति पार्क में उनका फ्लैट है, जो उन्होंने फर्जी दस्तावेज के आधार पर ही लिया है। अर्बन लैंड सीलिंग एक्ट के तहत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने 2003 में ये फ्लैट पृथ्वीराज चव्हाण को अलॉट किया था। और सबूत के जो कागजात सामने आए हैं, उनके मुताबिक जो इस फ्लैट को पाने के लिए पृथ्वीराज ने जो कई तरह के झूठ बोले। उनमें से एक झूठ यह भी है कि चव्हाण ने फ्लैट लेने के लिए खुद को आमदार यानि  महाराष्ट्र का एमएलए बताया था, जबकि उस वक्त पृथ्वीराज चव्हाण मध्‍यप्रदेश में थे। इसके अलावा एक झूठ यह भी है कि चव्हाण ने यह फ्लैट पाने के लिए तब अपनी सालाना कमाई सिर्फ 76 हजार रुपए ही बताई थी जबकि तब वे सांसद थे और भारत के किसी भी सांसद को साल भर में कितनी सैलरी मिलती है यह किसी से भी छुपा हुआ नहीं है। दरअसल, कहानी ये है कि महाराष्ट्र अर्बन लैंड सीलींग एक्ट के तहत  अपने विशेष कोटा में से पांच फीसदी फ्लैट बहुत ही कम कीमत पर मुख्यमंत्री किसी को भी अलॉट कर सकते हैं । लेकिन स्कीम के तहत पिछले सोलह साल में करीब 85 फीसदी फ्लैट नेताओं या उनके रिश्तेदारों को ही बांटे गए।

 

यही नहीं, ईमानदार और बेदाग छवि बताकर कांग्रेस ने जिन पृथ्वीराज चव्हाण  को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाकर भेजा है, उन पर चुनाव लड़ने के लिए दिए गए संपत्ति के घोषणापत्र में बी अपनी बहुत सारी संपत्ति छुपाने का आरोप भी है। पृथ्वीराज चव्हाण ने सासंद का चुनाव लड़ने के वक्त जो शपथपत्र दिया, उसमें अपनी सातारा की खेती की जमीन का भी कोई जिक्र ही नहीं किया। कांग्रेस ने पृथ्वीराज चव्हाण के बारे में ईमानदारी के बड़े – बड़े दावों और पाक साफ दामन की सोच-समझ के साथ महाराष्ट्र की गद्दी के लिए उनके नाम का एलान किया। पृथ्वीराज चव्हाण को गद्दी सैंपने के पीछे यह सोच भी रही कि अशोक चव्हाण की वजह से भ्रष्टाचार के जो दाग कांग्रेस के दामन पर लगे हैं,  उनको ये नए चव्हाण धो देंगे। लेकिन सियासत के जंगल में जब गड़े मुर्दे उखड़ते हैं, तो अच्छे – अच्छों के चेहरों पर कालिख पुती नजर आती हैं। पृथ्वीराज चव्हाण के चेहरे पर भी भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़े और झूठे हलफनामे देने के कलंक की जो कालिख पुती नजर आ रही है, उससे साप लगता है कि कांग्रेस के ज्यादातर लोगों के दामन दागदार ही है।

 

कुल मिलाकर कांग्रेस भले ही कितना ही प्रचार करे और पृथ्वीराज चव्हाण  को भले ही कितना भी ईमानदार और साफ छवि का घोष्त कहरे, लेकिन फ्लैट आवंयन के साथ साथ चुनाव आयोग के सामने दिए गए संपत्ति के शपथ पत्र की जांच करने के लिए मामले की तह में जाए और सारी बातों को ध्यान से देखें तो पृथ्वीराज चव्हाण का दामन भी कोई कम दागदार नही है। फ्लैट आवंटन में अशोक चव्हाण के तो रिश्तेदारों के ही नाम थे, लेकिन पृथ्वीराज चव्हाण तो खुद फर्जीवाड़ा करके फ्लैट पाने में कामयाब रहे हैं। भ्रष्टाचार का दलदल यहां भी है और अशोक चव्हाण पर तो  कीचड़ के कुछ छींटे ही उड़े हैं, पृथ्वीराज चव्हाण तो खुद उसके दलदल में गले तक डूबे हैं। इसीलिए कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र के नए निजाम भी कोई दूध के धुले नहीं हैं।