डॉ0 दयाराम आलोक
भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है।
*अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुध्द करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुध्द होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद मिलती है।
*अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं। किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।
*वजन घटाए -जो लोग वजन घटाना चाहते हैं उन्हें भी अपनी डाइट में मैदा छोड़ कर गेहूं खाना चाहिये।
*अन्कूरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित गेहूं का सेवन फायदेमंद है। अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं
*जो लोग दिल की बीमारी से पीडित हैं, वे अगर गेहूं खाएं तो उनका दिल मजबूत बनेगा।
*बुखार: एक बच्चा जिसे बार-बार हर महीने बुखार हो जाता था, कई बार एक्सरे कराने एवं रक्त की जांच कराने पर भी कुछ दोष पता नहीं चलता था। दूब घास के रस को तीन *महीने पीने के बाद कभी बुखार नहीं हुआ।
माइग्रेन (आधे सिर का दर्द): माइग्रेन के कुछ रोगियों को पहले ही दिन में तीन बार जवारों का रस पीने से 50 प्रतिशत तक लाभ हो जाता है।
*शारीरिक कमजोरी: एक रोगी को रक्तचाप बढ़ जाने से रक्तस्राव होकर अधरंग हो गया था। दवाइयां खाने से अधरंग और रक्तचाप पर तो काबू आ गया परंतु उनका वजन काफी कम हो गया और बहुत शारीरिक कमजोरी हो गई। उन्होने गेहूं के जवारे लेने शुरु कर दिए। 3 माह के अंदर पूरा कायाकल्प हो गया। कमजोरी का नामोनिशान नहीं रहा।
*गेहूं पेट के लिये बहुत हल्का होता है और आसानी से पचाया जा सकता है। आज की जनरेशन ने रोटी छोड़ कर मैदे से बने पीजा और बर्गर खाने शुरु कर दिये हैं, जिससे कई सारी स्वास्थ्य की समस्याएँ पैदा हो गई हैं।
*जुकाम एवं साइनस: एक रोगी को प्रतिदिन छींक आती रहती थी, जुकाम रहता था तथा साइनस का शिकार हो गया था। जवारों के 6 माह तक नियमित सेवन से रोग खत्म हो गया। इन्फेक्शन से गले की आवाज बैठ गई हो तो भी जवारों का रस या दूब के रस के सेवन से पांच दिनों में पूरा आराम मिलता है|
गेहूं में विटामिन ई, सीलियम और रेशे पाए जाते हैं जो कि कैंसर की सेल को पनपने से रोकते हैं।
*एनीमिया गेहूं से ब्लड सेल्स बनती हैं इसलिये अगर आप यह खाएंगे तो आपकी अंदर ब्लड सेल्स बनेंगी और एनीमिया दूर हो जाएगा।
*एक सज्जन को कोई 10-12 वर्ष से सोरियासिस नामक चर्म रोग था। उन्होंने गेहूं के जवारे खाना तथा जवारों का लेप शुरु कर दिया। पहले महीने में त्वचा के चकत्तां से खून आना तथा खुजली बंद हो गई। दूसरे माह में ये सभी सूखने शुरु हो गये, साथ ही चकत्तों की परिधि की त्वचा मुलायम होनी शुरु हो गई। इन्होंने प्रेडनीसोलोन नामक दवा खानी बंद कर दी। 4 महीनों में इनकी त्वचा सामान्य हो गई|
*अगर आपको भी हड्डी में सूजन या दर्द रहता है तो आपको रोटी या फिर गेहूं की ब्रेड खानी शुरु कर देनी चाहिये।
*अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर है तो आपको मैदा नहीं बल्कि गेहूं का आटा खाना चाहिये। इसेस हाई बीपी की समस्या एकदम कंट्रोल में रहती है।
*जिन लोगों को गेहूं से एलर्जी हो, वे जौ के जवारे इस्तेमाल कर सकते हैं। गेहूं के जवारों, दूब घास आदि के नियमित प्रयोग से अन्य फायदे शरीर की प्रतिरोध क्षमता बढ़ जाती है। हिमोग्लोबिन द्वारा आॅक्सीजन ले जाए जाने की मात्रा बढ़ जाती है।
* जिन लोगों का रात की पार्टी में शराब या नशे के पदार्थों के सेवन से सुबह सिर भारी रहता है, उनको भला चंगा करने के लिए 1 कप जवारों का सेवन कुछ घंटे में जादू का सा असर करता है। कब्ज को दूर करते हैं और कब्ज के कारण होने वाले रोगों जैसे बवासीर, एनल फिशर एवं हर्नियां से बचाते हैं।