हिस्सेदारी दो नहीं तो……

हिस्सेदारी दो नहीं तो घर बैठो

बिहार के मुसलानों ने पूरे देश की तथा कथित सेकुलर पार्टियों को ये मैसेज दे दिया है कि

 बहुत हुई अब ताबेदारी

अब हम को दो हिस्सेदारी।

पैटर्न सेट है अब बंगाल महाराष्ट्र और उत्तर देश में अगर ये बात समझ आ जाए तो ठीक वर्ना आराम करो, मुसलानों ने बीजेपी या किसी और को हराने का ठेका नहीं ले रखा है।

अगर तुम्हें हुकूमत करना है तो हमारे मुद्दों पर बोलना होगा, हमें कुछ देना होगा वरना हम तो सत्तर सालों से सिर्फ खो ही रहे हैं और कुछ सालों खो लेंगे, लेकिन तुम हमारे कंधों पर चढ़ कर सत्ता की मलाई नहीं खा पाओगे।

हम बहुत कुछ तो नहीं कर पाएंगे लेकिन अच्छा खास नुकसान तो कर ही देंगे और यही राजनीति है, राजनीति में बगैर दबाव के कुछ नहीं होता और अब दबाव बनाने की हैसियत हो गई है हमारी।

गठबन्धन करो ऐश करो या फिर इतना मुसलानों को दे दो कि मुसलमान किसी और तरफ न देखे।

और हां अब कांग्रेस के चक्कर में न पड़ो, अखिलेश, मायावती और तेजस्वी देख चुके हैं कि कांग्रेस का जनाधार क्षेत्रीय इलेक्शन में कुछ भी नहीं होता।

हां लोक सभा में ज़रूर पूरे देश में पार्टी लड़ती और कुछ हद तक जीत जाती है लेकिन वहां भी क्षेत्रीय दलों के बगैर कुछ नहीं होगा।

कांग्रेस को चाहिए के अब अगर उसे कुछ बदलना है तो अपनी स्थिति का आंकलन करे और क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर लोक सभा इलेक्शन लड़े।

मुझे लगता है कि कांग्रेस जिस चीज से डरती थी अब वही होने जा रहा है यानी अगर किसी तरह भी हुकूमत बनती है तो क्षेत्रीय दल हावी होंगे और कांग्रेस ये बिलकुल नहीं चाहती थी।हो सकता है कि अब प्रधानमंत्री पद पर भी कांग्रेस को समझौता करना पड़े, यानी राहुल गांधी का फिलहाल प्रधानमंत्री पद पर बैठना संभव नज़र नहीं आ रहा है।

ऐसे में कांग्रेस कुर्बानी दे तो कुछ उम्मीद वरना सारे सेकुलर दल मिल कर भी प्रधानमंत्री नहीं बना पायेंगे, क्यों कि हर एक की अपनी डफ़ली अपना राग होगा।

 ये वक्त पूरी तरह से विपक्ष को दोबारा बैठने, सोचने और फिर उस पर कुर्बानी देने का है अगर हर दल खुद को बड़ा समझता रहा तो 47 तक वाकई में बीजेपी कहीं नहीं जा रही।

मुस्लिम वोट से न पहले कुछ होता था न अब होने वाला है क्षेत्रीय दलों का वोट खिसका है जब तक वो वापस नहीं आता तब तक कुछ नहीं होने वाला। इसलिए क्षेत्रीय दलों के अपने वो वोट बैंक पर मानसिक और ज़मीनी काम करना होगा वर्ना वही कुछ सीटें लेकर विपक्ष में हल्ला मचाते रहो।

मुहम्मद जाहिद अली मरकजी

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