अपने अस्तित्व को बचाना हिंदुओं के लिए बहुत बड़ी चुनौती

पं. बाबा नंद किशोर मिश्रा
 

भूमंडलीकरण के इस दौर में हिंदुओं को अपने अस्तित्व को बचाना एक कड़ी चुनौती है। एक ओर जेहादी आक्रमण तो दूसरी ओर मिशनरियों  उपरोक्त तत्वों से गठजोड़ सत्य सनातनी  हिंदुओं के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।

यदि हम १९४७ में हिन्दु समाज की मुसलमान समाज के सामने जो स्थिति थी आज उससे भी भयानक स्थिति  हिन्दु समाज की है । देखा जाए तो १९४७ में भारतवर्ष  का सम्पूर्ण मुस्लिम समाज जिन्ना के पीछे खड़ा था  काफिर हिन्दुओं का कलकत्ता, नोवाखाली से लेकर सम्पूर्ण भारत में  भयानक नरसंहार हो रहा था और मुसरमानो का तथाकथित नेता जिन्ना अपने पीछे खड़े मुस्लिम समाज को अपनी बन्दूक कहते फिरते थे। इसी बन्दूक को हिन्दुओं के सर पर तानकर  जिन्ना ने कहा था या तो मै भारत का विभाजन करूँगा या भारत को पूरी तरह समाप्त करके चैन लूंगा।

और,  गाँधी और नेहरू ने देश का विभाजन भारत वर्ष में मुस्लिम समस्या करने के लिए किया और अंत में जिन्ना के प्रस्ताव पर हामी भर दिया।  

गाँध- नेहरू ने भारत विभाजन तो स्वीकार कर लिया पर जिन्ना की माँग हिन्दु मुस्लिम जनसंख्या की अदला-बदली पता नहीं क्यों नही स्वीकार किया। वे दोनों पाकिस्तान में २० लाख हिन्दुओं नरसंहार होने दिया और १.५ करोड़ हिन्दुओं को पाकिस्तान से उजड कर भारत आने दिया। जबकि भारत से मात्र १० प्रतिशत मुस्लिम ही पाकिस्तान गये ९० प्रतिशत भारत में  भारत को इस्लामिक राष्ट् बनाने के लिए यहीं रह गये, बचे हुए मुसलमान अपना कार्य बखूबी कर रहे हैं जिसका समर्थन कांग्रेस और धर्मनिरपेक्ष पार्टियां समर्थन कर रही हैं।

ज्ञात हो कि देश का विभाजना गांधी जी ने कहा था कि मेरी लाश पर होगा पर देश का विभाजन उनके जीते जी नाक के नीचे ही उनके हुआ और वे बस देखते रह गए। कांग्रेस को डर सताने लगा कि देश हा हिंदू उसे क्षमा नहीं करेगा इसलिए उसने हिन्दुओं को धोखा  देने के कारण १९५२ का चुनाव हारती दिखी इसलिए उसने सोची-समझी चाल के तहत मुसलमानो को अपना वोट बैंक बनाने के लिए रहने दिया और उन्हें सदा-सदा के लिए राज करने के लिए अपना फिक्स वोट बैंक बना लिया।

और रही वर्तमान की बात तो आज के दिन मुसलमानों का नेतृत्व  ओवैसी के हाथ में है। उसका उद्देश्य मुसलमानो को लड़ाकू बनाना है जिसमें वह पूरी रह सफल भी है। उसका भाई कहता है पुलिस को चौबीस घंटे के अंदर हटाकर हमारी ताकत देख लो। हमारी न्याय ब्यवस्था धर्मनिरपेक्षता के नाम पर पूरी तरह एक विशेष वर्ग का ही ख्याल रखने तक सिमट गई हैहै। वर्तमान न्याय व्यवस्था को  कोई हेट स्पीच दिखाई नही देता वही हिन्दु साधु सन्यासी हिन्दु समाज की पीड़ा भी बोलता है तो वह हेट स्पीच बन जाता है। और फिर उसे जेल भेज दिया जाता है।

ओवैशी कितनी निर्लज्जता से  २०११ की जनगणना के अनुसार १९४७ से २०११ तक मुसलमानो की जनसंख्या ६ गुना बढ़ी तो हिन्दु,सिख,ईसाई की जनसंख्या ३ गुणा बढ़ी,फिर भी कहता है मुसलमानो कि जन संख्या नही बढ़ी है। आज हिंदुओं की दशा इतनी विकट है कि कांग्रेस शासित राज्य ही नही भाजपा शासित राज्यों में  भी हिन्दुओं को अपना धार्मिक जुलुस निकालने पर मुस्लिमों का रास्ते की मस्जिद से आक्रमण झेलना पड़ता है। क्योंकि सरकार समान रूप से सबका हित और विकास चाहती और हिंदु वोटों पर जीतना भी। परन्तु हमें अब चौकन्ना रहना है पुन:  १९४७ की तरह पुनः जेहादी आक्रमण से बर्बाद नही हो सकते। हम कोई धार्मिक जुलुस निकाले तो आक्रमण न करें लेकिन आत्मसुरक्षा करें, ऐसा अपने आपको बनाना है।

याद रहे कि हमने १९४७ में २३  प्रतिशत मुसलमानो को उनकी माँग के हिसाब से पाकिस्तान के रूप में ३० प्रतिशत ज़मीन दे दिया गया है और रिज़र्व बैंक का २३ प्रतिशत रुपया ७५ करोड़ के रूप दे दिया गया है। भारत सरकार की अन्य सम्पत्ति यथा कुर्शी,टेबुल,किताब, इंजिन, बग्गी आदि मिले। अत: अब जितनी भी भूमि है वो सत्य सनातनी हिंदुओं की है और हमें अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना है। भारत की हिन्दु जनता को प्रशिक्षित करें उन्हें संपूर्ण इतिहास के बारे में बताया जाए। जिससे भविष्य में होने वाले धोखे से हिंदू अपने आपको बचा सके।

                                          (ये लेखक के अपने विचार हैं, यह आवश्यक नहीं कि भारत वार्ता इससे सहमत हो)