भजनलाल के जरिए फिर भौंचक किया मोदी ने!

भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार वही किया, जिसकी आशंका थी। अप्रत्याशित रूप से भजनलाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री घोषित करके सभी को चौंका दिया है, वे पहली बार विधायक बने हैं और कोई संसदीय व प्रशासनिक अनुभव भी नहीं है। मोदी ने हाल ही में जीते हुए तीनों प्रदेशों, सबसे पहले छत्तीसगढ़, फिर मध्य प्रदेश और आज राजस्थान में नए चेहरों को आगे किया। बीजेपी ने राजस्थान के लिए अपने मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा कर दी है। भजनलाल शर्मा जयपुर के सांगानेर विधायक से विधायक हैं और पहली बार विधायक बनकर अब राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं। विद्याधर नगर की विधायक दीया कुमारी और दूदू के विधायक प्रेमचंद बैरवा उप मुख्यमंत्री होंगे और वासुदेव देवनानी को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है।

शर्मा का चयन भविष्य की भाजपा का निर्माण

मुख्यमंत्री  के रूप में भजनलाल शर्मा राजस्थान में उन अशोक गहलोत का स्थान लेंगे, जो तीन बार राजस्थान में कांग्रेस की ओर से प्रदेश के शीर्ष पद पर रहे हैं। शर्मा के नाम के ऐलान के बाद  बीजेपी हाईकमान के बारे में कहा जा सकता है कि जो नेता विधायक बनने तक की आकांक्षा पालने के आगे सपने में भी नहीं सोच पाते हैं, उनके दिलों में भी बीजेपी सियासी समंदर की लहरें लपलपाने की उम्मीद जगाती है। प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद राजस्थान में एक जो सबसे बड़ा सवाल हर कोई हर किसी से पूछ रहा है, वह यही सवाल है कि भाजपा ने राजस्थान में इस शीर्ष पद के लिए आखिर क्यों दिग्गज बीजेपी नेताओं को नजरअंदाज करके पहली बार विधायक बने भजनलाल का चयन किया? राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भविष्य के भारत की भाजपा बना रहे हैं, तो ऐसे में पुराने किसी भी नेता के मुख्यमंत्री बनने का कोई सवाल ही नहीं था। परिहार कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय और मध्य प्रदेश में मोहन यादव जैसे बिल्कुल पिछली कतार में बैठे विधायकों के मुख्यमंत्री बनने से पहले ही स्पष्ट हो गया था कि राजस्थान में क्या हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषक परिहार कहते हैं कि पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने साफ संदेश दिया है कि कोई भी कार्यकर्ता अगर समर्पित भाव से काम करे, तो किसी भी पद तक पहुंच सकता है।

पहली बार के विधायक और संघ के कार्यकर्ता

मुख्यमंत्री बन रहे भजन लाल शर्मा राजस्थान बीजेपी के महामंत्री हैं और भरतपुर के रहने वाले हैं। बाहरी होने के आरोप के बावजूद सांगानेर से उन्होंने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। शर्मा ने कांग्रेस के पुष्पेंद्र भारद्वाज को 48081 वोटों से हराया। भजनलाल शर्मा को संघ और संगठन दोनों का करीबी माना जाता है। शर्मा राजस्थान में शीर्ष पद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भगवा पार्टी की पसंद हैं। यहां भगवा शब्द इसलिए उपयोग में है क्योंकि 2024 का आम चुनाव भगवा में रंगा होगा और राम मंदिर के नाम पर होने जा रहा है तथा मुख्यमंत्री के लिए चुने गए भजनलाल शर्मा खुद भी भगवा यानी संघ परिवार के समर्पित रहे हैं। नवनियुक्त मुख्यमंत्री शर्मा को 12 दिसंबर को जयपुर में तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पांडे की उपस्थिति में, विधायकों की एक बैठक में चुना गया। भजनलाल शर्मा चार बार प्रदेश बीजेपी में महामंत्री के तौर पर कार्य करते रहे हैं। संगठन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें मुख्यमंत्री पद का सौंपा गया है।

कांग्रेस को इस फैसले से सीख की जरूरत

राजनीतिक विश्लेषक संदीप सोनवलकर मानते हैं कि बीजेपी जिस तरह से वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह जैसे लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों को भी पीछे रखकर अपेक्षाकृत युवा नेतृत्व की ओर जा रही है, ऐसे में कांग्रेस को भी आत्म मंथन करना होगा। वे कहते हैं कि राहुल गांधी ने सही कहा कि राजस्थान में युवाओं को उम्मीदवारी दी होती, तो कांग्रेस चुनाव जीत सकती थी। कांग्रेस के बारे में चिंता करने वाले प्रदेश कांग्रेस के पूर्व सचिव सुशील आसोपा मानते हैं कि कांग्रेस को अपने भीतर बदलाव लाने होंगे। आसोपा कहते हैं कि कांग्रेस को जब राजस्थान में 2018 में मौका मिला था, तो वह पार्टी को जिताने वाले युवा नेता सचिन पायलट को दरकिनार करके अशोक गहलोत जैसे बुजुर्ग को मुख्यमंत्री बनाकर उनके साथ खड़ी हो गई थी। आसोपा की बात में दम है और इसी संदर्भ में कहा जा सकता है कि कांग्रेस को अपने चिर प्रतिद्वंद्वी बीजेपी से सीख लेकर अब युवा पीढ़ी को महत्व देना होगा और प्रादेशिक नेताओं के मुकाबले केंद्रीय नेतृत्व को भी अपनी अहमियत दिखानी होगी।

लोकसभा में 25 सीटें जीतना अहम लक्ष्य

अब, अधिकतर लोग मान रहे हैं कि प्रशासनिक व संसदीय राजनीतिक अनुभव न होने के बावजूद नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश में सरकार आसानी से चल जाएगी, क्योंकि बीजेपी बहुमत में तो है ही, और अगले महीने से सभी लोग लोकसभा चुनाव की तैयारियों में भी लग जाएंगे। मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले भी, और उससे वंचित रह जाने वाले भी, मुख्यमंत्री बनने वाले भी और इससे महरूम रह जाने वाले भी, सारे ही लोकसभा चुनाव जिताने में लगेंगे। आखिर प्रदेश की सभी 25 सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल करनी है और यही नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए सबसे अहम चुनौती है। इसी वजह से समझा जा रहा है कि राजस्थान की राजनीति के भविष्य की असली तस्वीर लोकसभा चुनावों के बाद ही साफ होगी।

-आकांक्षा श्रीवास्तव