मोदी का मास्टर स्ट्रोक, मुस्लिम महिलाओं को दिलाई तीन तलाक की मुसीबत से मुक्ति

 “कर सके जो दर्द कम किसी का, जीवन सफल होता है उसी का” अमेरिका के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘प्रेजिडेंटल मेडल ऑफ फ्रीडम’ से 1964 में सम्मानित बधिर और दृष्टिहीन अमेरिका लेखिका और शिक्षिका हेलेन केलर द्वारा कहे गए शब्द किसी को भी प्रभावित करने के लिए काफी है ।  भारत के महान लेखक  मुंशी प्रेमचंद ने कहा था कि ‘जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में है, उनका सुख लूटने में नहीं’। उपनिषद् भी कहते हैं कि ‘र्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्’ अर्थात्  संसार में सब सुखी रहें, सब नीरोग या स्वस्थ रहें, सबका कल्याण हो और विश्व में कोई दुःखी न हो। सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक की लड़ाई जीतने वाली सहारनपुर की अतिया साबरी बेहद खुश है।  देश में हजारों ऐसी मुस्लिम महिलाएं हैं, जिनकी जिंदगी तीन बार कहे गए तलाक की वजह से तबाह हो गई। तीन तलाक एक हंसती खेलती जिंदगी की खुशियां को पलभर में तबाह कर देता है।

 

तीन तलाक बिल राज्यसभा में 30 जुलाई, 2019 को पास हो गया

मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाये गए ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’ 2019 को आखिरकार लोकसभा के बाद राज्यसभा में मंगलवार 30 जुलाई, 2019 को पास हो गया है। राज्यसभा में तीन तलाक बिल के समर्थन में 99, जबकि विरोध में 84 वोट पड़े। इस तरह से 15 वोटों से तीन तलाक बिल को राज्यसभा ने मंजूरी दे दी। इस बिल को पास कराने के लिए सभापति ने डिविजन के जरिए वोटिंग प्रक्रिया का सहारा लिया।  मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 के तहत मुस्लिम महिलाओं को अब मौखिक, लिखित या किसी भी अन्य माध्यम से तीन तलाक कहकर वैवाहिक संबंध समाप्त करना गैरकानूनी होगा। विधेयक में ऐसा करने वाले पति के लिए तीन साल के कारावास की सजा का प्रावधान  है।

 

राष्ट्रपति ने तीन तलाक बिल को मंजूरी दी
 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 31, जुलाई , 2019 बुधवार देर रात को तीन तलाक बिल को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब तीन तलाक कानून बन गया है। यह कानून 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा।
 

क्या है तीन तलाक?
 

मुस्लिम समाज में पति तीन बार ‘तलाक’ लफ्ज बोलकर अपनी पत्नी को छोड़ सकता है। उर्दू अखबार ‘रोजनामा’ के पूर्व एडिटर असद रजा के मुताबिक, "कुरान में ट्रिपल तलाक का जिक्र कहीं नहीं है। ये सीधे तौर पर मुस्लिम महिलाओं के सम्मान पर किया जाने वाला हमला है।" भारत एक ऐसा देश है जहां शौहर बीवी को लगातार तीन बार तलाक बोलकर वैवाहिक संबंध खत्म लेते हैं और दूसरा ब्याह कर लेते हैं।

 

25 जुलाई, 2019 को लोकसभा में तीन तलाक बिल पहले ही पास हो चुका है
 

उल्लेखनीय है कि लोकसभा में तीन तलाक बिल 25 जुलाई, 2019 को पहले ही पास हो चुका है। तब तीन तलाक बिल  के पक्ष में 303 वोट पड़े थे, वहीं विपक्ष में इस बिल के खिलाफ 82 वोट डले थे। जेडीयू और टीएमसी बहस से अलग रहे थे। इन दलों ने बहिष्कार कर दिया था। बीजेडी ने बिल के पक्ष में वोट किया। टीआरएस और वायएसआर कांग्रेस ने बिल के विपक्ष में वोट किया।

 

दुनिया के 22 देश जहां बैन है तीन तलाक

भारत से पहले दुनिया के 22 ऐसे देश हैं जहां तीन तलाक पूरी तरह बैन है। मिस्र, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इराक, श्रीलंका, सीरिया, ट्यूनीशिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, साइप्रस, जॉर्डन, अल्जीरिया, ईरान, ब्रुनेई, मोरक्को, कतर और संयुक्त अरब अमीरात समेत 22 मुस्लिम बाहुल्य देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध है ।

 

क्या है तीन तलाक बिल में प्रावधान:
 

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रानिक रूप से या किसी अन्य विधि से तीन तलाक देता है तो उसकी ऐसी कोई भी 'उदघोषणा शून्य और अवैध होगी। इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि तीन तलाक से पीड़ित महिला अपने पति से स्वयं और अपनी आश्रित संतानों के लिए निर्वाह भत्ता प्राप्त पाने की हकदार होगी। इस रकम को मजिस्ट्रेट निर्धारित करेगा।

 

तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान करीब 25 सांसद अनुपस्थित/गैर हाजिर रहे

राज्यसभा में मंगलवार 30 जुलाई, 2019 को तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान बसपा- सभी 4, सपा- 7,एनसीपी- 2,पीडीपी- सभी 2,कांग्रेस- 5,टीएमसी- 1,लेफ्ट-1,आरजेडी -1,डीएमके -1, वाईएसआर कांग्रेस- 1 सांसद वोटिंग के दौरान गैर हाजिर रहे। एनडीए के 16 दलों ने इस बिल का बहिष्कार किया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया ।  वहीं, विपक्ष की ओर से एनसीपी, बसपा, आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने इस बिल का बॉयकट किया।

 

सुप्रीम कोर्ट ने घोषित कर दिया था तीन तलाक को असंवैधानिक
 

अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक और गैर-कानूनी करार दिया था।अलग-अलग धर्मों वाले 5 जजों की बेंच ने 3-2 से फैसला सुनाते हुए सरकार से तीन तलाक पर छह महीने के अंदर कानून लाने को कहा था।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जताया सभी सांसदों का आभार
 

राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूरे देश के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई। बिल पास होने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर सभी सांसदों का आभार जताया है । पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है। सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है। इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं’।

 

बिल पास होने के बाद कानून मंत्री ने कहा कि यह एक उन्नतिशील भारत की शुरुआत
 

बिल पास होने के बाद देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जब इस्लामिक देश अपने यहां अपनी महिलाओं की भलाई के लिए बदलाव की कोशिश कर रहे हैं तो हम तो एक लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष देश हैं ।  हमें यह काम क्यों नहीं करना चाहिए?  बिल पास होने के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है ।  दोनों सदनों ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिया है ।  यह एक उन्नतिशील भारत की शुरुआत है । 

 

गौरतलब है कि देश भर में लगातार मामूली विवाद पर ही,छोटी सी बात पर हुए झगड़े, पति-पत्नी के बीच होने वाली कहासुनी और पारिवारिक विवाद की वजह से 'तीन तलाक' की वजह से कई महिलाएं की जिंदगी नासूर बन चुकी है । आये दिन देश में तलाक के नए नए मामले सामने आ रहे हैं। कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को फेसबुक पोस्ट के जरिए तलाक, कोई मुस्लिम पति स्पीड पोस्ट भेजकर तलाक,  कोई ई-मेल, व्हाट्सअप, मोबाइल, मैसेज या चिठ्ठी से भेजकर तलाक दे देता है।

 

तीन तलाक की प्रथा से जूझ रही मुस्लिम महिलाओं के चेहरे पर तीन तलाक विधेयक यानी मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 एक मीठी मुस्कान लेकर आया है । अब यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रानिक रूप से या किसी अन्य विधि से तीन तलाक देता है तो उसकी ऐसी कोई भी उद्घोषणा शून्य और अवैध होगी।

 

लेखक अकिडो कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बहादुरगढ़ जिला झज्जर, हरियाणा में रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत हैं