मनुष्य को मानवता का धर्म कभी नहीं छोड़ना चाहिए

   "बड़े भाग मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ सब ग्रंथन गावा", राम चरितमानस  की ये लाइन तुलसी दास ने यूं ही नहीं कहा था। ये मनुष्य शरीर बहुत मुश्किलों से मिलता है, इसका सदुपयोग करना चाहिए। सृष्टि के समस्त जीवों की सेवा ईश्वर समझ कर करना चाहिए क्योंकि ईश्वर कण-कण में हैं। जब हम पशु- पक्षियों या दूसरे जीवो के प्रति दया भाव रखते हैं तो उसे मानवता कहते हैंं और सचमुच यही परमात्मा की सच्ची सेवा है।

     हमें परमात्मा के द्वारा बनाए गए जीवों के प्राणोें की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। मनुष्य के बाद पशुओं में गाय सर्वश्रेष्ठ है जिसकी रक्षा करना हम सबका दायित्व है।

    हमारे पूर्वजों ने गाय को सर्वोच्चतम दर्जा देते हुए मॉं का रूप माना है किंतु इस पृथ्वी के कुछ मनुष्य उसे अपने स्वार्थ के लिए उसकी तश्करी करते हैं, उसके मांस को खाते हैं जो एकदम मानवता के विरूद्ध है, क्योंकि गाय से हमें दूध, दही, घी, मक्खन सहित उसके गोबर से देशी खाद आदि बनते हैं किंतु मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए काट डाले ये मानवता को लज्जित करने वाले घृिणत कार्य है। और इसके साथ-साथ जब भी हम किसी से बातें करें तो मधुर भाषा में ही बात करे।

    क्योंकि, हमारी बोली अनमोल होती है और जब इसे बोल दिया जाता है तो फिर इसे वापस नहीं लिया जा सकता है। जिस प्रकार तर्कस से निकला तीर वापस नहीं लिया जा सकता है उसी प्रकार मनुष्य को कटु बचन बोलकर किसी को दु:खी करने पर फिर पुन: बोली हुई बात को वापस नहीं लिया जा सकता इसलिए हमें किसी को कटु वचन बोलकर आहत नहीं करना चाहिए। आज विश्व में मानवता की बहुत आवश्यकता है क्योंकि बिना मानवता के बहुत से प्राणियों के उपर संकट के बादल छा जाएंगे और हमें महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। इसके साथ शास्त्रों में नारियों की बहुत महिमा गाई गई है।

     लेिकन आज पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, सऊदी अरब अमीरात जैसे मुस्लिम देशों में स्त्रियों की स्तिथि अत्यंत खराब है। उपरोक्त देशों में पुरुष उनका शोषण करते हैं। स्त्रियां अपने मन से कोई काम नहीं कर सकती हैं। उनको घर के कामों के लिए ही समझा जाता है। उनको बाहर जाकर नौकरी करने की आज्ञा नहीं है। उन प्रकार तमाम प्रकार से रोक लगाकर उनकी स्वतंत्रता का हनन किया जाता है।

अभी सबसे ताजा मामला ईरान का ही है जहां पर महिलाओं पर भयंकर जुल्मो-सितम की इंतहा हो रही है। ज्ञात हो कि ईरान में गत 16 सितंबर को महसा अमीनी नामक एक क़ुर्द लड़की की पुलिस हिरासत में हुई मौत हो गयी। वहां से आए मीडिया समाचारों के अनुसार अपनी तेहरान यात्रा के दौरान अपने सिर को हिजाब से न ढकने के आरोप में कुछ सुरक्षा कर्मियों द्वारा महसा अमीनी को अत्यंत क्रूरता पूर्वक मारा गया कि 22 साल की इस युवती की पुलिस हिरासत में दम तोड़ दिया। इसके विरोध में चंद दिनों के भीतर ही लगभग पूरा ईरान हिजाब विरोधी प्रदर्शनों का अड्डा बन गया। तमाम विदेशों से भी हिजाब विरोध में प्रदर्शनकारियों का लोग समर्थन करने लगे। मामला चूंकि ईरान से  जुड़ा था इसलिये पश्चिमी देश भी ईरान की हिजाब नीति के विरुद्ध प्रबल समर्थन किया। महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में हुये हिजाब विरोधी प्रदर्शनों में अब तक 300 से अधिक लोगों के मारे जाने का समाचार है। इस तरह का अत्याचार एक प्रकार से महिलाओं का विरोध ही है। हमें महिलाओं के प्रति दया दिखानी चाहिए उनके प्रति इतना क्रूर नहीं होना चाहिए, क्योंकि महिला ही अपने बच्चों को नौ महीने गर्भ में रखकर फिर जन्म देकर बच्चे को समाज में जीने लायक बनाती है।

     समाज में घूसखोरी, भ्रष्टाचार, दुष्कर्म, पुलिस का भ्रष्टाचार जैसी चीजें बढ़ती जा रही हैं। ऑफिस में महिलाओं के साथ किया गया अभद्र व्यवहार, यौन शोषण ऐसी कुछ प्रमुख समस्याएं हैं जो यह बताती हैं कि आज मानवता खतरे में है। हमें  ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे मानवता पर हो रहे हमले को निष्क्रिय किया जा सके।

 यदि हम असहाय, गरीब व दबे-कुचले लोगों की सहायता करते हैं तो हम मानवता का धर्म पालन करते हैं। यदि हमने ठान लिया कि हम असहायों को सहायता करने से पीछे नहीं हटेंगे तो आप हमेशा सेवा का कार्य मिल जाता है। यदि सड़क पर कोई

पत्थर पड़ा है तो आप उस पत्थर को हटा देते हैं तो यह भी मानवता की सेवा है, आपने गुटका पान मसाला खाकर यदि सार्वजनिक जगहों पर नहीं थूकते हैं यह भी देश-समाज की सेवा है, किसी घायल को अस्पताल छोड़ते हैं तो यह भी मानवता की सेवा है, कोई भूखा है तो उसे भोजन देते हैं तो ये सब मानवता की सेवा में आएगा।

     हमें परमात्मा से जो चीजें मिली है सदैव उसका उसे धन्यवाद करना चाहिए जबकि होता यह है कि हम कभी परमात्मा का धन्यवाद नहीं करते लेकिन जो चीजें हमारे पास नहीं होती उसके लिए प्रभु को पानी पी-पीकर कोसते हैं, अत: हमें पहले परमात्मा का धन्यवाद करना चाहिए कि उसने हमें इतनी चीजें दी हैं उसके लिए उस परमात्मा को बहुत-बहुत धन्यवाद।