समाज

भारत में दरबदर होता कश्मीरी पण्डित

भारत ’’सर्वे भवन्तु सुखनः एवं वसुधैव कुटुंबकम’’ की भावना को लेकर चलता है। लेकिन देश में शैतानी शक्तियों का बढ़ता ...

मस्जिद जागीर नहीं किसी की

ये दुनिया बड़ी रंग-बिरंगी है, मोह-माया के इर्द-गिर्द जीवन शुरू हो अंत तक भटकता ही रहता है। जब अंत समय ...

चमार एवं खटिक जाति का गौरवशाली इतिहास..

सिकन्दर लोदी (१४८९-१५१७) के शासनकाल से पहले पूरे भारतीय इतिहास में 'चमार' नाम की किसी जाति का उल्लेख नहीं मिलता। ...

डन्डे मातरम्

बसपा के माननीय सांसद शफीकुर्रहमान बर्क कहते है, ‘यह सच है कि मै सांसद हूँ, पर मुसलमान पहले हूँ. मै ...

रिश्तों की वो गरमाहट चली गई…

ज़िंदगी की जद्दोजहद ने इंसान को जितना मसरूफ़ बना दिया है, उतना ही उसे अकेला भी कर दिया है. हालांकि ...

भ्रष्टाचार की शुरुआत कहाँ से…?

आजादी के बाद से अनेक मोर्चों पर मनमानी और भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ छोटे-बड़े अनेक आन्दोलन देश में होते रहे ...

रौशनी न देख पाने का दर्द

रात में कुछ देर के लिए बिजली चले जाए, तो लोग बेहाल हो जाते हैं. रौशनी के लिए वे क्या ...

भोजन में मीठा ज़हर

देश की एक बड़ी आबादी धीमा ज़हर खाने को मजबूर है, क्योंकि उसके पास इसके अलावा कोई दूसरा चारा नहीं ...

जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी… यानी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है. जन्म स्थान या अपने देश को मातृभूमि कहा जाता ...

वामपंथ का सच…

"सत्ता बन्दूक की नली से निकलती है..." का घोषवाक्य मानने वाले वामपंथी भारत में अक्सर मानवाधिकार और बराबरी वगैरह के ...