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जो ज़िंदगी के लिए मौत को चुनते हैं…

पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के लिये अजमल कसाब सिर्फ एक ऐसा नाम है जो फिदायीन बनकर भी मौत को गले ...

औद्योगिक घरानों की लड़ाई में मीडिया की ढ़ाल

देश के दो औद्योगिक घरानों जी लिमटिड़ उद्योग और जिन्दल उद्योग में जंग छिड़ी है । जी ग्रुप के दो ...

जहाँ चप्पे चप्पे में सो रहा है इतिहास, वहाँ की नमन यात्रा

भारत ितब्बत सहयोग मंच ने इस वर्ष से तवांग यात्रा की शुरुआत की है । तवांग अरुणाचल प्रदेश का अंतिम ...

बिना हारे, स्त्री जीत नहीं सकती!

यह अवस्था अर्थात् तृप्ति या ऑर्गेज्म तो स्त्री की पुरुष के समक्ष हार या समर्पण का स्वाभाविक प्रतिफल होता है, ...

धारा 498-ए अप्राकृतिक व अन्यायपूर्ण!

"केवल एफआईआर में नाम लिखवा देने मात्र के आधार पर ही पति-पक्ष के लोगों के विरुद्ध धारा-498ए के तहत मुकदमा ...

क्योंकि देश गुस्से में है…

बेचैनी हर किसी में है। आम आदमी की बैचेनी परेशानी से जुझते हुये है। खास लोगों की बैचेनी सत्ता सुख ...

नितिन गडकरी का सवाल –भाजपा को पंचतंत्र के ठगों को परास्त करना होगा

भारतीय जनता पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष नितिन गडकरी पिछले कुछ दिनों से विवादों के घेरे में हैं । कम से ...

नेता मस्त, जनता त्रस्त

  गॉंधी कहा करते थे मैं अंग्रेजों के विरूद्ध नहीं  हूं लेकिन गुलामी, अत्याचार, शोषण, असमानता, लूट-खसोट के विरूद्ध हूं। इन ...

स्त्री का दरकता दर्जा

इतिहास गवाह है कि स्त्रियों के साथ हमेशा से दोयम दर्जे का व्यवहार ही होता आया है फिर बात चाहे ...

मन लगा यार अमीरी में

जब तक इस देश में गरीबी है तब तक ही अमीरी भी है। हकीकत में अमीरों का अस्तित्व गरीबों की ...