योगी के तेवर ढीले पड़ते ही स्कूल-कॉलेजों के आसपास फिर मंडराने लगे रोमियों

     संजय सक्सेना की कलम से 

     उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभालते के बाद उनके सख्त तेवरों से रोमियों(मनचलों) की शामत आ गई थी,लेकिन योगी के तेवर ढीले पड़ते ही यूपी में फिर वही पुरानी बीमारी लौट आई है। एंटी-रोमियो स्क्वॉड की शुरुआत 2017 में हुई थी, जब योगी सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए इन दुष्टों पर नकेल कसी थी। लेकिन अब, 2025 में, जैसे ही सरकार के तेवर थोड़े ढीले पड़े, स्कूल और कॉलेजों के बाहर मनचले फिर मंडराने लगे हैं। पुलिस की गश्त गायब है, और स्कूल-कॉलेज जाती लड़कियां रोजाना छेड़छाड़ का शिकार हो रही हैं। यह न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि एक खुली चुनौती है उस सिस्टम को जो महिलाओं की इज्जत की रक्षा करने का दावा करता है। इन रोमियो बनने वाले गुंडों को अब सख्त सबक सिखाने का वक्त आ गया है, नहीं तो यह समाज की बेटियों को और कितना सहन करवाएगा?

      कल्पना कीजिए, जब एक 16 साल की स्कूली लड़की, किताबें थामे घर से निकलती है,तो वह कितनी सहमी रहती होगी। क्योंकि रास्ते में अथवा स्कूल गेट के बाहर, कॉलेज कैंपस के पास  हर जगह उसके साथ छेड़छाड़ करने वाले मनचले घात लगाए स्कूटी पर बैठे या गुट बनाकर खड़े नजर आ जाते हैं। फब्तियां कसना, सीटी मारना, पीछा करना, या हाथ लगाने की कोशिश, ये सब अब रोजमर्रा की बात हो गई है। जुलाई 2025 में ऊन्नाव जिले में एक स्कूली लड़की ने तंग आकर खुद ही आरोपी को सार्वजनिक रूप से थप्पड़ जड़ दिए। वीडियो वायरल हुआ, लेकिन क्या इससे समस्या हल हो गई? नहीं! यह तो सिर्फ एक उदाहरण है कि बेटियां अब खुद अपनी रक्षा करने को मजबूर हैं, क्योंकि पुलिस कहां है? 2023 में अंबेडकर नगर में एक साइकिल चलाती लड़की की छेड़छाड़ के कारण मौत हो गई थी, लेकिन 2025 में भी स्थिति जस की तस है। ये मनचले कौन हैं? ये वही कमजोर दिमाग वाले कायर हैं जो महिलाओं को कमजोर समझकर अपनी मर्दानगी दिखाते हैं। लेकिन हकीकत में ये समाज के कीड़े हैं, जो बेटियों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं।

एक कॉलेज स्टूडेंट रोजाना घर से निकलती है, लेकिन मन में डर रहता है ? क्या आज सुरक्षित पहुंचूंगी? ये डर इन रोमियो की वजह से है, जो खुद को हीरो समझते हैं लेकिन असल में विलेन हैं। समाज को इनसे घृणा करनी चाहिए। माता-पिता, शिक्षक, और युवा सबको मिलकर इनके खिलाफ आवाज उठानी होगी। सरकार से मांग है वह एंटी-रोमियो स्क्वॉड को फिर से पूरी तरह से एक्टिव करे, पुलिस को ट्रेनिंग दी जाये और स्कूल कॉलेजों के बाहर और आसपास सीसीटीवी लगाये जायें। ये मनचले समाज के दुश्मन हैं, इन्हें कुचलना जरूरी तो इन दुष्टों को बख्शना अपराध है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने अधिकारियों के पेंच कसना होगा, वह फिर से सख्त तेवर दिखाएंगे तभी हमारी बच्चियों को घर के बाहर सुरक्षा मिलेगी, नहीं तो ये रोमियो राज्य को बदनाम कर देंगे। महिलाओं की सुरक्षा कोई चुनावी वादा नहीं, बुनियादी हक है। आखिर कब तक बेटियां सहेंगी? अब वक्त है आक्रमक कार्रवाई का, इन रोमियो को जड़ से उखाड़ फेंकना जरूरी है!

      एंटी-रोमियो स्क्वॉड का क्या हुआ? 2017 से 2025 तक इस स्क्वॉड ने 1.4 करोड़ लोगों को चेतावनी दी, 32,077 पर चालान काटे और केस दर्ज किए। मार्च 2025 में डीजीपी ने बताया कि 24,000 से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं। लेकिन अब? अगस्त 2024 में स्क्वॉड को फिर से एक्टिवेट करने के आदेश दिए गए थे, मुख्यमंत्री योगी ने महिलाओं की सुरक्षा पर जोर दिया था। मई 2025 में लखनऊ में इसे 'महिला सुरक्षा टीम' नाम दिया गया। फिर भी, जमीनी हकीकत अलग है। फरवरी 2025 में रिपोर्ट्स आईं कि 2022 चुनावों से पहले आलोचना के कारण स्क्वॉड को स्केल बैक कर दिया गया था। अब पुलिस स्कूल-कॉलेजों के बाहर नजर नहीं आती। मनचले बेखौफ हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि सजा का डर कम हो गया है। यह ढीलापन नहीं, अपराध को बढ़ावा देना है!

ये रोमियो बनने वाले शैतान सिर्फ छेड़छाड़ नहीं करते, वे महिलाओं की आजादी छीनते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 90 प्रतिशत महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर छेड़छाड़ का शिकार होती हैं। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में, जहां बेटियां शिक्षा के लिए संघर्ष कर रही हैं, ये घटनाएं उन्हें घर बैठाने पर मजबूर कर देती हैं। याद कीजिए 2017 को, जब एंटी-रोमियो स्क्वॉड ने शुरुआत की थी, तब मनचलों में खौफ था। लेकिन अब? ये स्क्वॉड कभी-कभी मोरल पुलिसिंग में बदल गए, कभी प्राइवेसी का उल्लंघन करने लगे, लेकिन मूल मकसद तो महिलाओं की सुरक्षा था। आज जरूरत है सख्ती की, न कि नाम बदलने की। लखनऊ से लेकर उन्नाव तक, हर जिले में पुलिस को 24×7 गश्त करनी चाहिए। इन मनचलों को पकड़कर ऐसी सजा दो कि वे जिंदगी भर याद रखें। कानून तो है, आईपीसी की धारा 354 (महिला की गरिमा भंग करना), लेकिन अमल कहां?

      सोचिए, एक कॉलेज स्टूडेंट रोजाना घर से निकलती है, लेकिन मन में डर रहता है ? क्या आज सुरक्षित पहुंचूंगी? ये डर इन रोमियो की वजह से है, जो खुद को हीरो समझते हैं लेकिन असल में विलेन हैं। समाज को इनसे घृणा करनी चाहिए। माता-पिता, शिक्षक, और युवा सबको मिलकर इनके खिलाफ आवाज उठानी होगी। सरकार से मांग है वह एंटी-रोमियो स्क्वॉड को फिर से पूरी तरह से एक्टिव करे, पुलिस को ट्रेनिंग दी जाये और स्कूल कॉलेजों के बाहर और आसपास सीसीटीवी लगाये जायें। ये मनचले समाज के दुश्मन हैं, इन्हें कुचलना जरूरी तो इन दुष्टों को बख्शना अपराध है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने अधिकारियों के पेंच कसना होगा, वह फिर से सख्त तेवर दिखाएंगे तभी हमारी बच्चियों को घर के बाहर सुरक्षा मिलेगी, नहीं तो ये रोमियो राज्य को बदनाम कर देंगे। महिलाओं की सुरक्षा कोई चुनावी वादा नहीं, बुनियादी हक है। आखिर कब तक बेटियां सहेंगी? अब वक्त है आक्रमक कार्रवाई का, इन रोमियो को जड़ से उखाड़ फेंकना जरूरी है!

                                                          (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उसके स्वयं के विचार हैं)

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