हुर्रियत नेता से न हो बातचीत

पाकिस्तान पोषित आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर घाटी में जारी बवाल को 50 दिन से ज्यादा हो चुके हैं। 20 राजनीतिक दलों के 30 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में कश्मीर का दौरा करेगा। यह प्रतिनिधिमंडल चार और पांच सितम्बर को घाटी में रहेगा तथा जम्मू कश्मीर के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात के साथ साथ सभी राजनीतिक दलों के शिष्टमंडल से बातचीत करेगा। कश्मीर में बिगड़े हालात ठीक करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इसी बैठक घाटी में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने पर सहमति बनी थी। कश्मीर के हालात का जायजा लेने से पहले ही कुछ राजनीतिक दल हुर्रियत कान्फ्रेंस को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करने के लिए जोर डाल रहे हैं। माकर्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने हुर्रियत कान्फ्रेंस को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के लिए बुलाने की वकालत की है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता तारिक अनवर तो यूपीए सरकार के दौरान गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की विफलता की बात करने लगे हैं। शायद उन्हें अब बदले हालातों की जानकारी नहीं है।

यह बात जगजाहिर है कि हुर्रियत कान्फ्रेंस को पाकिस्तान कश्मीर घाटी में अलगाववादी भावनाएं भड़काने के लिए लंबे से आर्थिक सहायता दे रहा है। भारत से वार्ता करने से पहले पाकिस्तान हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेताओं को बातचीत करने के लिए बुलाता रहा है। कश्मीरी अलगाववादियों से विमर्श करने से नाराज भारत ने पिछले साल अगस्त में दोनों देशों के विदेश सचिवों के बीच वार्ता रद्द कर दी थी। अब उन्हीं अलगाववादी भारत विरोधी नेताओं को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के लिए बुलाने का मुद्दा उठाकर देश विरोधी ताकतों को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान के राजदूत अब्दुल बासित और येचुरी में एक समानता भी दिखाई दे रही है। दोनों ही अलगाववादी नेताओं से बातचीत की वकालत करते रहे हैं। हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेता लंबे समय से भारत विरोधी गतिविधियां चला रहे हैं। पाकिस्तान समर्थक जमायत ए इस्लामी संगठन के प्रमुख अलगाववादी नेता अली शाह गिलानी पर तो भारत विरोधी भावनाएं भड़काने के आरोप भी लगते रहे हैं।

सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में बुरहान वानी की मौत के बाद खुद गिलानी को दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखते देखा गया था। कश्मीर के अलगाववादी नेता भारत को अपना सबसे बड़ा दुश्मन कहते रहे हैं। पाकिस्तान से मिलने वाले धन से ही अलगाववादी नेता भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। कश्मीर की आजादी के लिए लड़ने वाले और आतंकवादियों को समर्थन देने वाले नेताओं से भारत को क्यों बातचीत करनी चाहिए। कश्मीर की आजादी के नाम पर अलगाववादियों ने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन किया था। 9 मार्च 1993 को को गठित किए इस संगठन में 28 दल शामिल थे। इनमें जमायत-ए-इस्लामी, मुस्लिम कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स लीग, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, इत्तेहाद-ए-मुसलमीन, अवामी कॉन्फ्रेंस और जेकेएलएफ इत्यादि प्रमुख हैं। पाकिस्तान के दखल को लेकर 2003 में संगठन के दो टुकड़े हो गए थे। पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता अली शाह गिलानी ने तहरीक-ए-हुर्रियत के नाम से 7 अगस्त 2004 को अपना अलग संगठन बना लिया। गिलानी आतंकवादियों को समर्थन देते रहे हैं। हाल ही में हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के सबसे बड़े बेटे डॉ. नईम के बैंक खातों की जांच की हैं। एनआईए की टीम उसके करीब 20 बैंक खातों की जांच कर रही है। इनमें  कुछ गड़बड़ियां मिली हैं। घाटी में गड़बड़ी फैलाने के लिए लोगों के खातों में पैसे भेजे जाने की सूचनाएं मिलने के बाद एनआईए ने कार्रवाई की है।

हिजबुल आतंकवादी बुरहान वानी के गत जुलाई में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के बाद घाटी में विरोध प्रदर्शनों और हिंसा में लगभग 70 लोग मारे जा चुके हैं और हजारों घायल हुए हैं। घाटी के लोग लगभग 50 दिन तक कर्फ्यू के साये में रहें। पाकिस्तान की शह पर कुछ लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा भी है कि केवल पांच फीसदी लोगों ने बाकी 95 फीसदी लोगों को जीना हराम कर दिया है। महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर में हिंसा के लिए अलगाववादियों और पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था।  वानी की मौत के बाद कई इलाकों में कर्फ्यू लागू रहा। शैक्षणिक संस्थान, मुख्य बाजार और सार्वजनिक परिवहन के साधन रहे। लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कर्फ्यू का सबसे ज्यादा असर पढ़ने वाले बच्चों पर पड़ रहा है। सुरक्षाबलों पर पत्थरों से हमले किए जा रहे हैं। पत्थरबाजी के पीछे कौन है, यह भी खुलासा हो गया है। ऐसे लोगों की पुलिस ने धरपकड़ भी शुरु की है। यह भी सामने आया है कि गिलानी पत्थऱबाजी के लिए लोगों को भड़का रहा है। अन्य अलगाववादी नेता भी लोगों को हिंसा के लिए भड़का रहे हैं। हैरानी की बात यह भी है कि सुरक्षाबलों पर पत्थर बरसाने वाले लोगों पर पैलेट गन से गोली चलाने का विरोध किया जा रहा है। क्या ऐसे में सुरक्षा बल पत्थरों की मार सहते रहे हैं। अलगाववादियों के समर्थन खड़े नेताओं को सुरक्षा बलों के 2500 से ज्यादा घायल हुए जवानों की कोई चिंता नहीं है। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी में प्रदर्शन कर रहे युवाओं के बारे में कहा था कि सेना के साथ मुठभेड़ में मारे गए प्रदर्शनकारी सुरक्षाबल के शिविरों और पुलिस थानों से टॉफी अथवा दूध खरीदने नहीं गए थे। घाटी में कर्फ्यू लगने के बावजूद लोग सड़कों पर हंगामा कर रहे हैं। ऐसे में सुरक्षाबलों को क्या करना चाहिए। हालात में काबू करने के लिए पुलिस लाठियां भी न भांजे और पैलेट गन न चलाएं। पाकिस्तान की शह पर आतंकवादी घटनाओं में हमारे अफसर और जवान मारे जा रहे हैं और दूसरी तरफ कुछ राजनीतिक दलों के नेता भारत विरोधी ताकतों को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं। पैलेट गन का इस्तेमाल केन्द्र में नरेंद्र मोदी सरकार के समय से शुरु हुआ नहीं है। कश्मीर में 2010 से प्रदर्शनों और हिंसा पर काबू पाने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल किया जा रहा है। छह साल बाद ऐसे हथियारों पर सवाल उठाना भी समझ से बाहर है।

सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या माकपा महासचिव सीताराम येचुरी को पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेताओं से बातचीत की सलाह पर उठा है। पाकिस्तानी पैसे पर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे नेताओं से क्या भारत के समर्थन में बात करने की उम्मीद की सकती है। इन नेताओं से भारत के समर्थन में खड़े होने की उम्मीद कभी नहीं की जा सकती है। सीताराम येचुरी को शायद भारत के खिलाफ बोलने की आदत हो गई है। बलूचिस्तान में लोगों पर पाकिस्तानी हुकूमत के जुल्मों के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी बोलने पर सीताराम येचुरी के पेट में दर्द हुआ था। येचुरी ने प्रधानमंत्री के बयान को पाकिस्तान के अन्दरूनी मामलों में दखल बताया था। अब येचुरी किस आधार पर पाकिस्तान समर्थन नेताओं से बातचीत करने की सलाह दे रहे हैं। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के दो दिन के दौरे के दौरान कश्मीर घाटी में भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने वाले चेहरों को उजागर करने की पहल करनी चाहिए। रविवार और सोमवार को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर के हालात का जायजा लेगा। इस दौरान क्या प्रतिनिधिमंडल को हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेताओं से मुलाकात करनी चाहिए, इस पर अपनी राय मुझे kvijayvargiya111@gmail.com देने का कष्ट करें। आपकी राय बहुत उपयोगी साबित होगी।