हदीस से प्रेरित हो बोको हरम नन्‍हें बच्‍चों को Rape सिखा रहा है ?

30 दिसंबर 2016 को भारत के एक राष्‍ट्रीय न्‍युज पेपर के पोर्टल नवभारत टाइम्‍स ने एक खबर दिखाई कि कुख्यात आतंकी संगठन बोको हरम छोटे बच्चों को बंधकों से रेप करना सिखा रहा है। इन बच्चों की उम्र 13 साल तक है। सनद रहे कि यह खबर ब्रिटिश वेबसाइट डेलीमेल के हवाले से आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, नाइजीरियाई जिहादियों के चंगुल से बचकर निकले एक बच्चे ने ही इस बात का पूरा खुलासा किया है। और यह बच्चा इन जिहादियों के लिए अल्‍लाह के नाम पर लड़ रहा था। उसने बताया कि यहां वयस्क आतंकी छोटे आतंकी बच्चों को सिखाते हैं कि बंधकों का यौन उत्पीड़न करके कैसे ‘मजे’ लिए जाएं व उनका कैसे शारीरिक और मानसिक उत्‍पीड़न करें।

     नाइजीरिया के बागा इलाके से अगवा किए गए बच्चे ने आगे खुलासा किया कि उम्रदराज इस्‍लामिक जिहादियों ने दो दिन तक उन्हें सिखाया कि कैसे बड़े उम्रदराज महिलाओं का बलात्‍कार करें। इस दौरान उन्होंने बंधक बनाई गई महिलाओं और बच्चियों को निशाना बनाया और इसका बर्बरता पूर्वक प्रशिक्षण दिया। एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चों को सिखाया गया कि पीड़ितों को वश में कैसे किया जाए और महिलाओं को खुद पर कैसे हावी न होने दिया जाए।

      द डेली बीस्ट के मुताबिक, बोको हरम के चंगुल से निकली एक लड़की ने बताया कि छोटे बच्चों ने उसका किस तरह से रेप किया कैसे इतने दिनों तक बंदी बनाकर उसका उत्‍पीड़न किया गया है। लड़की ने अपने दर्द को आगे बयां करते हुए कहा कि  वह आसानी से उन बच्चों से बच सकती थी। उनमें से एक तो महज 13 साल का था। हालांकि, वह रेप करने में इसलिए कामयाब हो गया क्योंकि उसके पास बंदूक थी, यदि वह लड़की बचने का प्रयास करती तो वे जेहादी इस्‍लामिक आतंकी बच्‍चे उसे गोली मार डालते।

      चौंकाने वाली यह खबर ऐसे समय में आई है, जब यह दावा किया गया है कि बोको हरम के लड़ाके बीते हफ्ते अपने ठिकाने से भागने के लिए मजबूर हो गए। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि उनके कब्जे में 2014 में किडनैप की गई कुछ लड़कियां हैं, जिन्हें वे हवाई हमलों से बचने के लिए मानव ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।

आखिर ये इस्‍लामिक लड़ाके कहां से ऐसी शिक्षाएं लेते हैं। इसकी जब जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि इन जेहादियों के लिए इनके प्रेरणा स्रोत ग्रंथ कुरान और हदीस हैं उन्‍हें उससे काफी शिक्षा मिलती है जिसे आप स्‍वयं देख सकते हैं:

बलात्कार :जिहाद का हथियार

जिहाद दुनिया का सबसे घृणित कार्य और सबसे निंदनीय विचार है .लेकिन इस्लाम में इसे परम पुण्य का काम बताया गया है .जिहाद इस्लाम का अनिवार्य अंग है .मुहम्मद जिहाद से दुनिया को इस्लाम के झंडे के नीचे लाना चाहता था .मुहलामानों ने जिहाद के नाम पर देश के देश बर्बाद कर दिए .हमेशा जिहादियों के निशाने पर औरतें ही रही हैं .क्योंकि औरतें अल्लाह नी नजर में भोग की वस्तु हैं .और बलात्कार जिहाद का प्रमुख हथियार है .मुसलमानों ने औरतों से बलात्कार करके ही अपनी संख्या बढाई थी .मुहम्मद भी बलात्कारी था .मुसलमान यही परम्परा आज भी निभा रहे है .यह रसूल की सुन्नत है ,कुरान के अनुसार मुसलमानों को वही काम करना चाहिए जो मुहम्मद ने किये थे .कुरान में लिख है-

"जो रसूल की रीति चली आ रही है और तुम उस रीति(सुन्नत )में कोई परवर्तन नहीं पाओगे "सूरा -अल फतह 48 :23

"यह अल्लाह की रीति है यह तुम्हारे गुजर जाने के बाद भी चलती रहेगी .तुम इसमे कोई बदलाव नहीं पाओगे .सूरा -अहजाब 33 :62

"तुम यह नहीं पाओगे कि कभी अल्लाह की रीति को बदल दिया हो ,या टाल दिया गया हो .सूरा -फातिर 33 :62

यही कारण है कि मुसलमान अपनी दुष्टता नही छोड़ना चाहते .जिसे लोग पाप और अपराध मानते हैं ,मुसलमान उसे रसूल की सुन्नत औ अपना धर्म मानते है .और उनको हर तरह के कुकर्म करने पर शर्म की जगह गर्व होता है .बलात्कार भी एक ऐसा काम है .जो जिहादी करते है –

1 -बलात्कार जिहादी का अधिकार है

"उकावा ने कहा की रसूल ने कहा कि जिहाद में पकड़ी गई औरतों से बलात्कार करना जिहादिओं का अधिकार है .

बुखारी -जिल्द 1 किताब 5 हदीस 282

"रसूल ने कहा कि अगर मुसलमान किसी गैर मुस्लिम औरत के साथ बलात्कार करते हैं ,तो इसमे उनका कोई गुनाह नहीं है .यह तो अल्लाह ने उनको अधिकार दिया है ,औ बलात्कार के समय औरत को मार मी सकते हैं"

बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 132

बुखारी -जिल्द 1 किताब 52 हदीस 220

2 -जिहाद में बलात्कार जरूरी है

सईदुल खुदरी ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि सामूहिक बलात्कार करने से लोगों में इस्लाम की धाक बैठ जाती है .इसलिए जिहाद में बलात्कार करना बहुत जरूरी है .बुखारी जिल्द 6 किताब 60 हदीस 139

3 -बलात्कार से इस्लाम मजबूत होता है

"इब्ने औंन ने कहा कि,रसूल ने कहा कि किसी मुसलमान को परेशां करना गुनाह है ,और गैर मुस्लिमों को क़त्ल करना और उनकी औरतों के साथ बलात्कार करना इस्लाम को आगे बढ़ाना है.बुखारी -जिल्द 8 किताब 73 हदीस 70

"रसूल ने कहा कि मैंने दहशत और बलात्कार से लोगों को डराया ,और इस्लाम को मजबूत किया .बुखारी -जिल्द 4 किताब 85 हदीस 220

"रसूल ने कहा कि ,अगर काफ़िर इस्लाम कबूल नहीं करते ,तो उनको क़त्ल करो ,लूटो ,और उनकी औरतों से बलात्कार करो .और इस तरह इस्लाम को आगे बढ़ाओ और इस्लाम को मजबूत करो.बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 464

4 -माल के बदले बलात्कार

"रसूल ने कहा कि जो भी माले गनीमत मिले ,उस पर तुम्हारा अधिकार होगा .चाहे वह खाने का सामान हो या कुछ और .अगर कुछ नहीं मिले तो दुश्मनों कीऔरतों से बलात्कार करो ,औए दुश्मन को परास्त करो .बुखारी -जिल्द 7 किताब 65 हदीस 286 .

(नोट -इसी हदीस के अनुसार बंगलादेश के युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने बलात्कार किया था )

5 -बलात्कार का आदेश '

"सैदुल खुदरी ने कहा कि रसूल ने अपने लोगों (जिहादियों )से कहा ,जाओ मुशरिकों पर हमला करो .और उनकी जितनी औरतें मिलें पकड़ लो ,और उनसे बलात्कार करो .इस से मुशरिकों के हौसले पस्त हो जायेंगे .बुखारी -जिल्द 3 किताब 34 हदीस 432

6 -माँ बेटी से एक साथ बलात्कार

"आयशा ने कहा कि .रसूल अपने लोगों के साथ मिलकर पकड़ी गई औरतों से सामूहिक बलात्कार करते थे .और उन औरतीं के साथ क्रूरता का व्यवहार करते थे .बुहारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 67

"सैदुल खुदरी ने कहा कि रसूल ने 61 औरतों से बलात्कार किया था .जिसमे सभी शामिल थे .औरतों में कई ऎसी थीं जो माँ और बेटी थीं हमने माँ के सामने बेटी से औए बेटी के सामने माँ से बलात्कार किया .मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3371 और बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 288

7 -बलात्कार में जल्दी नहीं करो

"अ ने कहा कि रसूल ने कहा कि ,पकड़ी गयी औरतो से बलात्कार में जल्दी नहीं करो .और बलात्कार ने जितना लगे पूरा समय लगाओ "

बुखारी -जिल्द 2 किताब 23 हदीस 446 .

अब जो लोग मुसलमानों और मुहम्मद को चरित्रवान और सज्जन बताने का दवा करते हैं ,वे एक बार फिर से विचार करे, इस्लाम में अच्छाई खोजना मल-मूत्र में सुगंध खोजने कि तरह है .आप एक बार मुस्लिम ब्लोगरो द्वारा इस्लाम और मुहम्मद के बारे में लिखी हुई झूठी बातों को पढ़िए फिर दिए तथ्यों पर विचार करके फैसला कीजिये

अधिक जानकारी के लिए यह अंगेजी ब्लॉग देखें

http://nakedmuhammad.blogspot.com/

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3-जिहाद में  बलात्कार गुनाह  नहीं 

 फतवा आलमगीरी   में कहा   है  कि अगर खलीफा  या  शहर   का  मुखिया जिहाद   का  हुक्म   कर दे  तो  सेना  या उसके साथी व्यभिचार  करें  या  बलात्कार   करें  ,तो  उन  पर  कोई सजा  नहीं   दी  जा  सकती   है "

“If the Caliph or the head of the city ordains legal penalties on people using his authority, personally goes on Jihad with the army and commits adultery, or he associates with the people at war and indulges in adultery,and rape  no legal penalty will be enforced on him.”

"إذا كان الخليفة أو رئيس المدينة يأمر العقوبات القانونية على الأشخاص الذين يستخدمون سلطته، ويذهب شخصيا على الجهاد مع الجيش ويرتكب الزنا، أو أنه يقترن مع الشعب في حالة حرب ويتمادى في الزنا، وسيتم فرض أي عقوبة قانونية على له "

Fatawa-e-Alamgiri,( فتاویٰ عالمگیری ) volume 3, page 266, Kitab al-Hudood,( published by Daar ul-Isha’at, Karachi.)

अश्लीलता  और  बेशर्मी   भी  इस्लाम   की  सौगात   है   , जो  इस हदीस  से    साबित   होती   है  ,

http://bhaandafodu.blogspot.in/search/label/%E0%A4%AF%E0%A5%8C%E0%A4%A8

रसूल का घरेलू व्यभिचार !

विश्व  में भारतीय  संस्कृति और परम्परा  को महान  माना  जाता  है  .क्योंकि  इस में  स्त्रियों  को  देवी   की  तरह  सम्मान दिया  जाता   है .यहाँ   तक  मौसी  ,  बुआ   चचेरी  बहिन  और पुत्र वधु  पर सपने   में  भी  बुरी  दृष्टि    रखने को   महापाप  और अपराध   माना   गया  है . लेकिन  इन्हीं  कारणों   से  कोई  भी  समझदार  व्यक्ति  इसलाम   को धर्म   कभी  नहीं   मानेगा  , क्योंकि मुहम्मद  साहब  अपनी  वासना  पूर्ति  के लिए कुरान   का  सहारा  लेकर ऎसी   ही स्त्रियों  से सहवास   करने  को वैध  बना  देते  थे  ,  जिसका   पालन  मुसलमान  आज  भी  कर  रहे  हैं .इस  विषय  को स्पष्ट   करने  के  लिये  कुरान   की  उन  आयतों  , हदीसों और  उनकी  ऐतिहासिक  प्रष्ट भूमि  को देखना  होगा  , कि मुहम्मद  साहब  ने  अपनी  सगी  मौसी    , चचेरी   बहिन  और अपने  दत्तक  पुत्र  की पत्नी  से  सहवास  कैसे  किया  था  . और इस  पाप   को   कुरान  की आयत  बना  कर  कैसे   जायज  बना दिया  .

इस्लामी  परिभाषा  में  अपने  शहर  को छोड़  कर  पलायन   करने  को  हिजरत (Migration )  कहा  जाता   है . लगभग  सन 622  में   मुहम्मद  साहब  को   मक्का  छोड़  कर  मदीना   जाना  पडा  था .उनके  साथ   कुछ  पुरुष  और  महिलायें  भी  थी . साथ   में  उनकी   प्रिय  पत्नी  आयशा  भी  थी . इसी  घटना   की  प्रष्ट भूमि   में  कुरआन  की  सूरा  अहजाब की  वह  आयतें    दीगयी   हैं  जिनमे मौसी, चचेरी  बहिन  , और पुत्रवधु   से  शादी  करना  या उनसे  सम्भोग  करने  को जायज   ठहरा  दिया गया  है  .ऐसी  तीन  औरतों  के  बारे में  इस  लेख  में  जानकारी  दी  जा  रही  है , जिन  से मुहम्मद   साहब  ने  कुरान   की  आड़  में  अपनी  हवस  पूरी   की  थी .

1–मौसी  के साथ कुकर्म

मुहम्मद  साहब  की  हवस  की शिकार  होने  वाली  पहली  औरत  का  नाम  " खौला बिन्त  हकीम अल सलमिया  – خولة بنت حكيم السلمية  "  था  . और  उसके  पति  का  नाम "उसमान  बिन  मजऊम –  عثمان بن مظعون‎ "  था  . खौला  मुहम्मद  साहब  की  माँ  की  बहिन  यानि  उनकी  सगी  मौसी  ( maternal aunt ) थी  . इसको  मुहम्मद  साहब  ने अपना  सहाबी  बना  दिया  था . मदीना  की  हिजरत  में मुहम्मद आयशा  के साथ  खौला को  भी  ले गए  थे .यह  घटना  उसी  समय  की  है इस  औरत  ने  अय्याशी  के  लिए  खुद  को  मुहम्मद   के  हवाले  कर  दिया  था .यह बात  मुसनद   अहमद  में   इस प्रकार दी  गयी  है .

"खौला बिन्त  हकीम  ने रसूल  से पूछा  कि जिस औरत  को सपने में  ही स्खलन   होने  की  बीमारी  हो , तो  वह औरत  क्या  करे  , रसूल  ने  कहा  उसे  मेरे  पास लेटना  चाहिए "

"Khaula Bint Hakim al-Salmiya,asked the prophet about the woman having a wet dream, he said she should lay with    me "

 محمد بن جعفر قال حدثنا شعبة وحجاج قال حدثني شعبة قال سمعت عطاء الخراساني يحدث عن‫حدثنا """ ‫سعيد بن المسيب أن خولة بنت حكيم السلمية وهي إحدى خال ت النبي صلى ال عليه وسلم سألت النبي صلى ال ‫عليه وسلم عن المرأة تحتلم فقال رسول ال صلى ال عليه وسلم لتغتسلTranslation:26768 –

Musnad Ahmad (‫مسند أدحمد  )hadith-26768

 तब  खौला  मुहम्मद  साहब  के पास  सो  गयी  , और  मुहम्मद  साहब  ने उसके  साथ सम्भोग  किया .

2-आयशा  ने खौला  को  धिक्कारा

जब  आयशा  को पता  चला  कि  रसूल  चुपचाप  खौला  के साथ  सम्भोग  कर रहे  हैं तो उसने  खौला को  धिक्कारा और उसकी  बेशर्मी   के  लिए फटकारा  यह  बात इस हदीस  में  दी  गयी  है ,

"हिशाम  के  पिता  ने  कहा  कि  खौला  एक ऎसी  औरत थी  जिसने  सम्भोग  के लिए  खुद  को रसूल  के सामने  प्रस्तुत  कर  दिया था .इसलिए आयशा  ने उस  से  पूछा ,क्या तुझे एक पराये  मर्द  के सामने खुद  को पेश  करने  में  शर्म  नही  आयी ?  तब रसूल  ने  कुरान  की  सूरा  अहजाब 33:50  की  यह  आयत सुना दी , जिसमे  कहा  था  " हे नबी  तुम सम्भोग  के  लिए  अपनी  पत्नियों  की  बारी ( Turn )  को  टाल  सकते  हो .इस  पर आयशा  बोली  लगता  है  तुम्हारा अल्लाह  तुम्हें  और  अधिक  मजे  करने  की इजाजत  दे  रहा  है ."( I see, but, that your Lord hurries in pleasing you)

"حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ سَلاَمٍ، حَدَّثَنَا ابْنُ فُضَيْلٍ، حَدَّثَنَا هِشَامٌ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ كَانَتْ خَوْلَةُ بِنْتُ حَكِيمٍ مِنَ اللاَّئِي وَهَبْنَ أَنْفُسَهُنَّ لِلنَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم فَقَالَتْ عَائِشَةُ أَمَا تَسْتَحِي الْمَرْأَةُ أَنْ تَهَبَ نَفْسَهَا لِلرَّجُلِ فَلَمَّا نَزَلَتْ ‏{‏تُرْجِئُ مَنْ تَشَاءُ مِنْهُنَّ‏}‏ قُلْتُ يَا رَسُولَ اللَّهِ مَا أَرَى رَبَّكَ إِلاَّ يُسَارِعُ فِي هَوَاكَ‏.‏ رَوَاهُ أَبُو سَعِيدٍ الْمُؤَدِّبُ وَمُحَمَّدُ بْنُ بِشْرٍ وَعَبْدَةُ عَنْ هِشَامٍ عَنْ أَبِيهِ عَنْ عَائِشَةَ يَزِيدُ بَعْضُهُمْ عَلَى بَعْضٍ‏.‏

बुखारी -जिल्द 7 किताब  62  हदीस 48

3-आयशा  को ईर्ष्या  हुई

कोई  भी  महिला  अपने  पति की दूसरी   महिला  से अय्याशी  को  सहन   नहीं  करेगी  . आयशा  ने  रसूल से  कहा  कि  मुझे  इस औरत से ईर्ष्या  हो  रही  है . यह  बात  इस  हदीस  में  इस प्रकार  दी  गयी  है

"आयशा ने  कहा  कि  मैं  रसूल से  कहा मुझे  उस  औरत   से  जलन  हो रही  है जिसने  सम्भोग  के लिए खुद  को तुम्हारे  हवाले  कर  दिया . क्या एसा  करना  गुनाह  नहीं  है . तब रसूल ने   सूरा अहजाब  की 33:50 आयत  सुना  कर  कहा  इसमे  कोई  पाप  नहीं  है  ,क्योंकि  यह अल्लाह  का  आदेश  है . तब  आयशा ने  कहा  लगता  है , तुम्हारे  अल्लाह  को तुम्हें  खुश  करने  की  बड़ी  जल्दी  है "(It seems to me that your Lord hastens to satisfy your desire. )

सही मुस्लिम -किताब 8  हदीस 3453

4-चचेरी  बहिन  से सहवास

मुहम्मद  साहब  के  चाचा अबू  तालिब  की बड़ी    लड़की  का  नाम "उम्मे  हानी  बिन्त  अबू तालिब – أُمِّ هَانِئٍ بِنْتِ أَبِي طَالِبٍ  "  था  .जिसे   लोग "फकीतः और  " हिन्दा "  भी  कहते  थे .यह  सन 630  ईसवी  यानि  8   हिजरी  की  बात  है . जब  मुहम्मद साहब  तायफ़  की  लड़ाई  में  हार  कर  साथियों  के साथ जान  बचाने  के  लिए  काबा  में  छुपे  थे .लकिन  मुहम्मद  साहब   चुपचाप  सबकी  नजरें   चुरा   कर   उम्मे  हानी  के घर  में  घुस  गए ,लोगों   ने  उनको  काबा  में  बहुत  खोजा  .और आखिर  वह उम्मे  हानी  के घर में  पकडे  गए  .इस  बात  को छुपाने  के  लिए मुहम्मद  साहब  ने एक कहानी  गढ़  दी  और  लोगों  से  कहा कि  मैं  यरुशलेम  और  जन्नत  की  सैर  करने  गया  था .मुझे अल्लाह  ने बुलवाया  था .उस समय  उनकी पहली पत्नी खदीजा  की  मौत  हो चुकी थी वास्तव में  .मुहम्मद  साहब उम्मे  हानी  के  साथ  व्यभिचार  करने  गए  थे .उन्होंने  कुरान  की सुरा अहजाब   की आयत 33:50 सुना  कर सहवास  के  लिए  पटा   लिया  था .यह  बात हदीस  की  किताब  तिरमिजी   में  मौजूद  है . जिसे  प्रमाणिक  माना  जाता  है . पूरी  हदीस  इस प्रकार  है ,

"उम्मे हानी  ने  बताया उस रात  रसूल  ने मुझ से अपने  साथ शादी  करने   का  प्रस्ताव  रखा  , लेकिन मैं इसके  लिये  उन  से  माफी  मागी  . तब  उन्होंने  कहा  कि अभी  अभी  अल्लाह  की तरफ  से  मुझे एक  आदेश   मिला  है ".हे  नबी हमने  तुम्हारे   लिए वह पत्नियां  वैध  कर दी हैं ,जिनके मेहर  तुमने  दे दिये  .और  लौंडियाँ  जो युद्ध  में  प्राप्त  हो ,और चाचा  की  बेटीयाँ  , फ़ूफ़ियों  की  बेटियाँ ,मामू  की बेटियाँ,खालाओं  की  बेटियाँ और  जिस औरत ने तुम्हारे  साथ  हिजरत  की  है ,और वह ईमान  वाली  औरत  जो खुद को  तुम्हारे  लिए समर्पित  हो  जाये "  यह  सुन  कर  मैं  राजी  हो गयी  और  मुसलमान  बन  गयी "

" عَنْ أُمِّ هَانِئٍ بِنْتِ أَبِي طَالِبٍ، قَالَتْ خَطَبَنِي رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم فَاعْتَذَرْتُ إِلَيْهِ فَعَذَرَنِي ثُمَّ أَنْزَلَ اللَّهُ تَعَالَى ‏:‏ ‏(‏إنَّا أَحْلَلْنَا لَكَ أَزْوَاجَكَ اللاَّتِي آتَيْتَ أُجُورَهُنَّ وَمَا مَلَكَتْ يَمِينُكَ مِمَّا أَفَاءَ اللَّهُ عَلَيْكَ وَبَنَاتِ عَمِّكَ وَبَنَاتِ عَمَّاتِكَ وَبَنَاتِ خَالِكَ وَبَنَاتِ خَالاَتِكَ اللاَّتِي هَاجَرْنَ مَعَكَ وَامْرَأَةً مُؤْمِنَةً إِنْ وَهَبَتْ نَفْسَهَا لِلنَّبِيِّ ‏)‏ الآيَةَ قَالَتْ فَلَمْ أَكُنْ أَحِلُّ لَهُ لأَنِّي لَمْ أُهَاجِرْ كُنْتُ مِنَ الطُّلَقَاءِ ‏.‏ قَالَ أَبُو عِيسَى لاَ نَعْرِفُهُ إِلاَّ مِنْ هَذَا الْوَجْهِ مِنْ حَدِيثِ السُّدِّيِّ ‏.‏  "-هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ صَحِيحٌ

तिरमिजी -जिल्द 1किताब  44  हदीस 3214  पे.522

5-पुत्रवधु  से  सहवास

मुहम्मद  साहब  के  समय अरब  में दासप्रथा प्रचलित  थी .लोग युद्ध  में  पुरुषों  , औरतों  , और बच्चों  को पकड़  लेते  थे .और उनको  बेच  देते थे .ऐसा  ही  एक लड़का मुहम्मद  साहब  ने  खरीदा  था  . जिसका  नाम " जैद बिन  हारिस  –  زيد بن حارثة‎  " था .(c. 581-629 CE) मुहम्मद  साहब  ने उसे आजाद  करके  अपना दत्तक  पुत्र  बना  लिया था अरबी  में . दत्तक  पुत्र (adopt son ) को " मुतबन्ना "  कहा  जाता  है . यह एक मात्र  व्यक्ति  है  जिसका  नाम कुरान सूरा  अह्जाब  33:37  में    मौजूद  है .इसी  लिए  लोग जैद  को " जैद मौला "या  " जैद बिन  मुहम्मद  भी  कहते  थे .यह बात इस हदीस से  साबित  होती  है ,

""حَدَّثَنَا قُتَيْبَةُ، حَدَّثَنَا يَعْقُوبُ بْنُ عَبْدِ الرَّحْمَنِ، عَنْ مُوسَى بْنِ عُقْبَةَ، عَنْ سَالِمِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عُمَرَ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ مَا كُنَّا نَدْعُو زَيْدَ بْنَ حَارِثَةَ إِلاَّ زَيْدَ بْنَ مُحَمَّدٍ حَتَّى نَزَلَتْ ‏:‏ ‏(‏ ادعُوهُمْ لآبَائِهِمْ هُوَ أَقْسَطُ عِنْدَ اللَّهِ ‏)‏ ‏.‏ قَالَ هَذَا حَدِيثٌ صَحِيحٌ ‏.‏   "

तिरमिजी -जिल्द 1 किताब 46 हदीस  3814

कुछ  समय  के बाद् जैद की  शादी  हो गयी  उसकी पत्नी  का  नाम "जैनब बिन्त जहश – زينب بنت جحش‎     " था वह  काफी सुन्दर और  गोरी थी  . इसलिये  मुहम्मद  साहब   की  नजर खराब  हो गयी .उन्होंने घोषित  कर  दिया  कि  आज  से  मेरे  दत्तक  पुत्र  को मेरे  नाम  से  नहीं  उसके असली  बाप  के  नाम  से  पुकारा  जाय .और  इसकी  पुष्टि  के  लिये  कुरान  की सूरा 33:5  भी ठोक  दी .यह  बात  इस  हदीस  से  सबित  होती  है  ,

6-रसूल  की  नीयत  में  पाप

जैनब  को हासिल करने  के  लिए मुहम्मद  साहब  ने  फिर कुरान का दुरुपयोग   किया .और   लोगों  से  जैद को   मुहम्मद  का   बेटा  कहने  से मना  कर दिया , ताकि  लोग जैनब  को  उनके  लडके  की  पत्नी  नहीं  मानें .

"  जैनब कुरैश कबीले  की  सब से सुंदर लड़की  थी .और  जब  अल्लाह   ने  अपनी  किताब   में  जैद  के  बार में  सूरा 33  की  आयत 5  नाजिल    कर दी , जिसमे  कहा  था  कि  आज  से  तुम  लोग  जैद  को उसके असली  बाप  के  नाम  से  पुकारा   करो .,क्योंकि अल्लाह  की  नजर  में  यह  बात   तर्कसंगत  प्रतीत   लगती  है .और यदि तुम्हें  किसी  के  बाप  का नाम  नहीं पता हो ,तो उस  व्यक्ति  को  भाई  कह  कर  पुकारा  करो ,

मलिक मुवत्ता -किताब  30  हदीस 212

 7-कुरान की  सूरा 33:5  की  व्याख्या

कुरान की  सूरा अहजाब की आयत 5  के अनुसार दत्तक पुत्र  जैद  को असली  पुत्र  का  दर्जा  नहीं  दिया  गया  , इस आयत  की  व्याख्या यानी तफ़सीर "जलालुद्दीन सुयूती –  جلال الدين السيوطي‎ " ने  की  है . इनका  काल c. 1445–1505 AD है .इन्होने  कुरान  की  जो तफ़सीर   की  है ,उसका  नाम " तफ़सीर जलालैन –تفسير الجلالين  "  है .इसमे  बताया  गया  है  कि रसूल  ने  जैद को अपने  पुत्र  का दर्जा नहीं   देने  के  लिए  यह  तर्क  दिए  थे ,1 .दत्तक  पुत्र रखने की  परंपरा  अज्ञान काल  है , अब इसकी कोई  जरुरत  नहीं  है .2 . मैंने  जिस समय  जैद  को खरीदा  था  ,उस समय अल्लाह ने  मुझे रसूल  नही  बनाया था .3. लोग  जैद  को  मेरा  सगा  बेटा  मान   लेते  थे . जिस  से  मेरी  बदनामी  होती  थी .4.  जैद  ने मुझ  से  जैनब  को तलाक  देने  का  वादा  कर  रखा  है .

{ وَإِذْ تَقُولُ لِلَّذِيۤ أَنعَمَ ٱللَّهُ عَلَيْهِ وَأَنْعَمْتَ عَلَيْهِ أَمْسِكْ عَلَيْكَ زَوْجَكَ وَٱتَّقِ ٱللَّهَ وَتُخْفِي فِي نَفْسِكَ مَا ٱللَّهُ مُبْدِيهِ وَتَخْشَى ٱلنَّاسَ وَٱللَّهُ أَحَقُّ أَن تَخْشَاهُ فَلَمَّا قَضَىٰ زَيْدٌ مِّنْهَا وَطَراً زَوَّجْنَاكَهَا لِكَيْ لاَ يَكُونَ عَلَى ٱلْمُؤْمِنِينَ حَرَجٌ فِيۤ أَزْوَاجِ أَدْعِيَآئِهِمْ إِذَا قَضَوْاْ مِنْهُنَّ وَطَراً وَكَانَ أَمْرُ ٱللَّهِ مَفْعُولاً }

Tafsir al-Jalalayn – (تفسير الجلالين )Sura -ahzab  33:5

इन्हीं  कुतर्कों  के आधार पर लगभग सन625  ईसवी  में  मुहम्मद  साहब  ने अपने दत्तक  पुत्र  जैद  की  पत्नी  से शादी  कर  डाली .यानी  जैनब  के साथ   व्यभिचार  किया .

देखिये  विडिओ -Prophet Muhammad lusts after & steals his adopted son's wife Pt. 2

http://www.youtube.com/watch?v=wp3pMgmGuVo

अपने  निकट सम्बन्ध  की स्त्रियों  के साथ  शारीरिक संबंध  बनाने  को इनसेस्ट (incest )  कहा  जाता  है , विश्व  के सभी  धर्मों  और हर  देश   के  कानून  में  इसे पाप  और  अपराध  माना  गया  है . लेकिन  मुहम्मद साहब  अपनी वासना  पूर्ति  के  लिए   तुरंत कुरान  की  आयत  सूना  देते  थे  . और इस  निंदनीय   काम  को  जायज  बना  देते थे .कुरान  की इसी  तालीम  के  कारण हर  जगह   व्यभिचार  और बलात्कार  हो रहे  हैं .क्योंकि  मुसलमान  इन  नीच  कर्मों  को गुनाह  नहीं  मानते  ,बल्कि  रसूल  की सुन्नत   मानते  हैं .