साजिशेँ कर गई हवा लेकिन…

साजिशेँ कर गई हवा लेकिन,

मैँ तेरी राह मेँ रूका लेकिन।

रस्म-ए-उल्फत निभाई है मैनेँ,

लोग कहते हैँ बेवफा लेकिन।

हर शमां बुझ गई अंधेरे मेँ,

मेरे दिल का दीया जला लेकिन।

फूल बरसे थेँ तेरी महफिल मेँ,

संग सिर पर मेरे गिरा लेकिन।

ऐब मेरे गिना दिए तुमने,

आईना खुद को अब दिखा लेकिन।

लब थेँ खामोश हुस्न के आगे,

मुझसे जो भी बना कहा लेकिन।

तेरे कूचे से चला जाऊँगा,

मुझको मेरा पता बता लेकिन।

चारागर ने तो दवा दे दी है,

कौन देगा मुझे दुआ लेकिन।

चाँद दिलकश है फूल प्यारे हैँ,

तेरी कुछ और है अदा लेकिन।

जो न होना था हो गया साहब,

वो जो होना था न हुआ लेकिन।

लोग देखेँ न तेरे जुल्म-ओ-सितम,

देखता तो है वो खुदा लेकिन।