कैसे करें Vajrasan

Vajrasan का मंतव्य है बलवान स्थिति। पाचनशक्ति, वीर्यशक्ति तथा स्नायुशक्ति  को मजबूती देने वाला होने यह आसन वज्रासन नाम से जाना जाता है। कोई भी व्यक्ति इसे 6 मिनट भी करता है तो उसे इसके असीम लाभ मिल सकते हैं।

Vajrasan करनें की विधि : 

बिछे हुए आसन पर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर एडि़यों के बल बैठ जायें। पैर के दोनों अंगूठे परस्पर एक दूसरे से स्पर्श करते  रहें। कमर बिल्कुल सीधी रहे, दोनों हाथ को कुहनियों से मोड़े बिना घुटनों पर रख अच्‍छी तरह रख दें। हथेलियाँ बिलकुल नीचे की ओर करें । दृष्टि पूरी तरह एकाग्र सामने स्थिर कर दें। छह  मिनट से लेकर आधे घण्टे तक वज्रासन का अभ्यास कर निरंतर कर सकते हैं।

Vajrasan के लाभ

वज्रासन के अभ्यास से शरीर का मध्यभाग एकदम सही और सीधा रहता है। श्वास की गति मन्द पड़ने से वायु बढ़नें लगती है। आँखों की ज्योति बढ़ने लगती है। वज्रनाड़ी अर्थात वीर्यधारा नाड़ी अत्‍यंत मजबूत बननें लगती है। वीर्य की उर्ध्‍वगति होने से शरीर वज्र जैसा निर्मित होनें लगता है। वज्रासन से मन की चंचलता दूर होकर व्यक्ति स्थिर बुद्धिवाला हो जाता है। शरीर में रक्ताभिसरण ठीक होकर काया निरोग और सुंदर हो जाता है।

भोजन के बाद इस आसन में बैठने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। कब्ज व अपच  दूर होता है। यह आसन पेट की वायु का नाश तीव्रता से करता है । कब्ज दूर होकर पेट के तमाम रोग शीघ्रता से नष्ट होनें लगते  हैं। इस आसन से  पाण्डुरोग दूर होता है। रीढ , कमर, जाँघ, घुटने और पैरों की शक्ति में वृद्धि होती  है। कमर और पैर का वायु रोग समाप्‍त होता है। स्मरणशक्ति इससे बढ़ने लगता है । स्त्रियों के मासिक धर्म की अनियमितता  जैसे रोग दूर समाप्‍त होने लगते हैं। शुक्रदोष, वीर्यदोष, घुटनों का दर्द आदि का नाश करनें  में वज्रासन सक्षम  है। स्नायु पुष्ट होते हैं।

आध्यात्मिक लाभ :

यह आसन स्फूर्ति बढ़ाने व मानसिक निराशा दूर करने के लिए अत्‍यंत उपयोगी है। आपको जानकर हर्ष होगा कि प्रभु श्रीराम के भक्‍त हनुमान जी का प्रमुख आसन बज्रासन था।   ध्यान के लिये भी बज्रासन सर्वोत्तम आसन  है। इसके अभ्यास से शारीरिक स्फूर्ति एवं मानसिक प्रसन्नता प्रकट होती है।

बज्रासन से शारीरिक बल में खूब वृद्धि होती है। इस आसन से व्यक्ति बुखार, सिरदर्द , कब्ज से, मंदाग्नि से या अजीर्ण जैसे रोग नहीं सताते क्योंकि रोग आरोग्य के साम्राज्य में प्रविष्ट होने का साहस ही नहीं कर पाते।

Vajrasan करनें से होने वाले लाभ : 

  • शरीर को सुडौल बनाए रखता है और वजन कम करने में मददगार हैं।
  • महिलाओ में मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती हैं।
  • रीढ़ की हड्डी मजबूत होती हैं और मन की चंचलता को दूर कर एकाग्रता बढ़ाता हैं।
  • अपचन, गैस, कब्ज इत्यादि विकारो को दूर करता हैं और पाचन शक्ति बढ़ाता हैं।
  • यह प्रजनन प्रणाली को सशक्त बनाता हैं।
  • सायटिका से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी अत्यंत फायदेमेंद  हैं।
  • इस आसन को नियमित करने से घुटनो में दर्द, गठिया होने से बचा जा सकता हैं।
  • पैरो के मांसपेशियों से जुडी समस्याओ में यह आसन लाभदायक  हैं।
  • इस आसान में धीरे-धीरे लम्बी गहरी साँसे लेने से फेफड़े मजबूत होते हैं।
  • वज्रासन से नितम्ब (Hips), कमर (Waist) और जांघ (Thigh) पर जमी हुई अनचाही चर्बी (Fats) कम हो जाती हैं और उच्च रक्तचाप कम होता हैं।

इस आसन को आप जब तक आरामदायक महसूस करे तब तक कर सकते हैं। शुरुआत में केवल 2 से 5 मिनिट तक ही करे।

Vajrasan से जुड़ी  सावधानियां :

    जोड़ो में दर्द से पीड़ित व्यक्ति वज्रासन बिलकुल न करें। जो व्यक्ति एड़ी के रोग से पीड़ित हो वह भी व्यक्ति वज्रासन न करे। अगर वज्रासन करने पर आपको कमर दर्द, कमजोरी या चक्कर आने जैसे कोई समस्या हो तो आसन बंद कर किसी योग विशेषज्ञ  की सलाह अवश्य लें।