भारत से बांग्‍लादेश  को गायों की तस्करी में BSF के अधिकारियों का हाथ

(इस लेख को पढ़कर आपके उड़ जायेंगे होश, इस अपराध में हिन्दू भी शामिल)

डॉ संतोष राय की कलम से

नई दिल्ली। भारत के राजस्थान, हरियाणा और पंजाब से गाएं पश्चिम बंगाल के पशु बाजारों में लाई जाती हैं, ये सारे बाजार बांग्लादेशी सीमा पर हैं, संगठित गैंग इन गायों को बाजारों से खरीदते हैं और 2,400 किलोमीटर की सीमा पर अलग अलग जगहों से उनकी तस्करी करते हैं, गायों की तस्करी करने वाले लोग भारतीय पुलिस, बीएसएफ और कस्टम अधिकारियों को अपने काम के लिए रिश्वत देते हैं, एक तस्कर कालू के मुताबिक, “कभी कभी बीएसएफ के जवानों के साथ टक्कर होती है, खासकर रिश्वत के मामले में । अगर गायों को ले जाने वाला कीमत चुकाने से मना कर देता है तो फिर वह परेशानी उठाता है, इसमें उसकी पिटाई या फिर कुछ मामलों में जान से मार देने की स्थिति भी आ जाती है, आरोप है कि इस तस्करी के लिए भारत की पुलिस, बीएसएफ और कुछ नेताओं को भी उनका हिस्सा मिलता है ।

बीएसएफ प्रमुख के पद से रिटायर होने वाले उत्थान कुमार बंसल ने भारत की वर्तमान नीति पर सवाल उठाया है और वो कहते हैं की भारत में गाय पवित्र जानवर है, यह अफरातफरी तभी खत्म होगी जब सीमा पार व्यापार को कानूनी बना दिया जाएगा, इसका अर्थ यह है की गाय को बांग्लादेश भेजकर उसे कटने के लिए क़ानूनी रूप दिया जाय शर्म आती है ऐसे व्यत्व्यों से और मुझे सूत्रों से पता चला की उत्थान बंसल जैसे कई अधिकारी ही गाय तस्करी को बढावा देते हैं ।

BSF के एक जवान के अनुसार अधिकारी खुलेआम तस्करों को आने-जाने देते हैं और कहते हैं कि ये जी और एच क्लास के लोगों का सामान है। यानी इन्हें सीमा पार लांबिग के लिए भेजा जाता है और इसी की आड़ मे तस्करी का खेल चलता है। ये अधीकारी सीमा पर लगे बाड़ को काटते और जोड़ते भी रहते हैं। इन तमाम घटनाओं का विरोध करना एक जवान को भारी पड़ा और अधिकारियों को ये भी पता लग गया कि उनके गुनाहों को वह अपने मोबाइल कैमरे मे कैद कर रहा तो उसका मोबइल जब्त कर लिया गया। उसको बंद कर सिगरेट से जलाकर दबाव बनाया गया कि अपनी शिकायत वापस ले ले। एक दिन उसे अहसास हुआ कि शायद उसकी हत्या कर दि जाये तो डर के वो भाग निकला ! वो इतना डरा है कि वापस नौकरी मे नहीं जाना चाहता। उसे ये भी डर है कि उसे भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा। जवान ने बताया कि अक्सर सीमा से खबर आती है कि जवानों की तस्करों ने गला काट कर हत्या कर दी या जवान ने अपनी ही बंदूक से आत्महत्या कर ली लेकिन ऐसा नहीं होता। बल्कि जो अधिकारियों के रास्ते मे आता है उसे हटा दिया जाता है। अगर वो नहीं भागता तो शायद उसका भी यही हश्र होता। अब इस जवान का कहना है कि वह सिर्फ इतना चाहते है कि उसके ऊपर भगोड़ा होने का आरोप न लगे। ताकि वह समाज में इज्जत से जी सके।

दिनांक 1 जून 2016 को दिल्ली में मुझे एक व्यक्ति मिला जिसका नाम “सुमित पटनायक” मुझे किसी के माध्यम से मिला और उसने कहा की राय साहब सुना है की आपके कई मित्र और जान पहचान वाले BSF और CRPF में है क्या आप कुछ कार्य करवा सकते हैं तो मैंने पूछा की कौन सा काम – तो उसने तुरंत बोला की भारत और बांग्लादेश सीमा पर गायों को बांग्लादेश जाने दिया जाय तो जो संभव होगा कीमत देंगे, बस इतना सुनते ही मैंने उसका गला पकड़ा और जमीन पर गिरा दिया और उसकी गर्दन मैंने अपने हाथों से पकड़ ली, लेकिन मेरे साथ खड़े Umesh Kumar Dhingra जी तुरंत मुझे पकड़कर बाहर ले गए और मामला शांत हुआ ! मैंने उससे कह दिया था की में गऊ की रक्षा हेतु किसी की जान ले भी सकता हूँ और अपनी दे भी सकता हूँ ! बाद में मुझे पता चला की बंगाल और आसाम में कई गिरोह हैं जो की ज्यादातर हिन्दुओं द्वारा ही संचालित किये जाते हैं और उनके सहयोगी मुसलमान भी है ।

में फिर गहराई में जाते हुए अपने कई BSF और CRPF के मित्रों से बात की तो उन्होंने मुझे इन सबसे अवगत करवाया ! इतना तो पता चल गया की हिन्दू समाज जब निश्चय कर ले की गऊ हत्या या तस्करी नही होगी तो किसकी हिम्मत है की वो हमारी गायों की बांग्लादेश भेजने के लिए तस्करी करे । इस अपराध को रोकने हेतु हमें अब असम और पश्चिम बंगाल से लगी सीमा पर ध्यान देकर तस्करी को रोकना होगा और जो अधिकारी तस्करी में लिप्त पाया जाय उसके घर के आसपास बताया जाय की यह व्यक्ति गऊ हत्यारा है और देशद्रोही भी है ।

मैंने जो भी लिखा है वह तथ्यों और परिस्तिथियों पर आधारित है और कुछ भी काल्पनिक नहीं है ! इस लेख का आधार BSF के कुछ जवानों के बयानों और तस्करों की कारगुजारियां हैं ।