खतरा पत्रकारिता के भविष्य पर…

अखबारों और पत्रकारों कॊ अब नए प्रकार के खतरे का सामना करना पड़ सकता है,जिसका संकेत रोबोट पत्रकार ने दे दिया है।यकीनन आश्चर्यजनक बात और ख़बर है कि,रोबोट ने पत्रकार की तरह भीड़ की ख़बर मात्र 1सेकंड में लिख दी है। ये खतरनाक कारनामा

पहली बार अखबार में छपा रोबोट पत्रकार का लेख देखकर समझा जा सकता है। इस बात से बीजिंग (चीन) के मीडिया कर्मचारियों में बेचैनी  है,क्योंकि यहाँ के एक अखबार में पहली बार एक रोबोट पत्रकार का 300 शब्दों का एक लेख छपा है,जिसे उसने महज 1 सैकेंड में लिखा था। गुआंगझोऊ के अखबार ‘सदर्न मेट्रोपोलिस डेली’ में प्रकाशित उक्त  लेख वसंत उत्सव के दौरान यात्रियों की भारी भीड़ से संबंधित ख़बर पर है।ख़बर के रुप में इस तरह के रोबोट का अध्ययन वाकई चौंकाने वाला है,जिससे आने वाले करीब 10 साल बाद खतरे की घंटी तो सुननी-समझनी ही चाहिए। सुनने में अजीब ही है कि,इसका विकास करने वाली टीम के नेतृत्वकर्ता और पेकिंग विश्वविद्यालय के प्रो. वान शियाओजुन के अनुसार रोबोट शियाओ नान ने 1 सेकंड में ही खबर लिख दी और वह छोटी खबर एवं लंबी खबर दोनों लिख सकता है। इनके मुताबिक ‘सहयोगी संवाददाताओं से तुलना की जाए तो पत्रकार शियाओ नान की आंकड़े के विश्लेषण की क्षमता बेहतर है और वह ज्यादा तेजी से खबर लिखता है।’

अभी तो चाइना डेली अखबार भी यही कह रहा है कि,रोबोट सबकी जगह नहीं ले सकता है,पर खतरा सिर पर मँडरा रहा है और समय रहते इससे सचेत होना होगा। हालाँकि,इसका यह मतलब भी नहीं है कि बुद्धिमान रोबोट जल्द ही संवाददाताओं की पूरी तरह जगह ले लेंगे,पर खतरे की इस दस्तक से समय की चाल कॊ समझकर हर त्वरित तकनीक से और जुड़ना होगा। मीडिया जगत में कम होती नौकरियाँ,निवेश की तंगी से घटते अखबार और योग्यता कॊ ध्यान में रखकर भविष्य में नौकरियाँ जाने की उम्मीद से इनकार नहीं किया जा सकता है। अभी तो इस तरह के प्रयोगों से केवल सरकारी मीडिया संगठनों के कर्मचारियों में ही बेचैनी का माहौल है,क्योंकि उन्हें डर है कि भविष्य में वह अपनी नौकरियां गंवा सकते हैं,पर इसका फैलाव निजी क्षेत्र तक भी आना तय है। असंवेदनशील

रोबोट अभी तो व्यक्तिगत साक्षात्कार नहीं ले सकते हैं ,पर मानकर चलिए कि,विदेशों सहित भारत में ऐसा भी होने ही लगेगा।आने वाले कुछ सालों में इतनी आधुनिक तकनीक आ ही जाएगी कि,रोबोट बाद के सवालों का भी सोच-समझकर जवाब दे सकने में सक्षम होंगे। जैसे बरसों पहले किसी कॊ कहा जाता था कि,हवा में कोई यंत्र (प्लेन) उड़ सकता है,तो सुनने वाले उस पर हँसते थे,पर आज कोई भी नहीं हँसता है। यानि,जो कभी हुआ नहीं हो,उस पर पहले सभी हँसते हैं,पर फ़िर असलियत में उसकी सफलता कॊ स्वीकार कर लेते हैं।ऐसे ही रोबोट का भी होगा,अभी तो ये साक्षात्कार या बातचीत में खबर का कोण नहीं पकड़ सकते हैं ,पर ये कमी भी भविष्य में दूर हो जाएगी। भविष्य में यह भी होगा कि,रोबोट अखबारों एवं संबंधित मीडिया और साथ ही संपादकों एवं संवाददाताओं की अतिरिक्त सहायकों के रूप में मदद ही  नहीं करेंगे,वरन इंसान की नौकरी भी कम करने की बड़ी वजह बनेंगे। ऐसा नहीं है,कि पत्रकार और इनके सहायक काम ही नहीं कर पाएंगे,संवेदना और ख़बर की समझ के स्तर पर तो इंसान की आवश्यकता होगी ही, लेकिन किसी अखबार के आधे पदों पर रोबोट ही काम करते पाए जाने की बेहद प्रबल सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।