दक्षेस के सम्मेलन पहले भी कई बार स्थगित हुए हैं लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि पाकिस्तान में होने वाला यह 19 वां सम्मेलन इतनी बुरी तरह स्थगित हो रहा है। दक्षेस के आठ में से पांच सदस्यों ने इसमें भाग लेने से इंकार कर दिया है। पहले भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने मना किया और अब श्रीलंका ने भी मना कर दिया है। इस बहिष्कार का कारण क्या है?
ये सभी देश कह रहे हैं कि वह कारण आतंकवाद है। पाकिस्तान का कोई खुलकर नाम ले रहा है और कोई बिना नाम लिये ही उंगली उठा रहा है। अब बचे कितने देश? सिर्फ तीन! नेपाल, मालदीव और पाकिस्तान! नेपाल इसलिए चुप है कि वह इस सम्मेलन का आजकल अध्यक्ष और आयोजक दोनों ही है। पाकिस्तान तो चाहता है कि सम्मेलन हो। जहां तक मालदीव का प्रश्न है, वह आजकल भारत से खफा है। फिर भी वह अकेला नहीं पड़ना चाहेगा। वह भी अपनी गैर-हाजरी शीघ्र लगाएगा। वह न भी लगाए तो क्या माना जाएगा? क्या यह नहीं कि दक्षिण एशिया में पाकिस्तान अकेला पड़ गया है। अफगानिस्तान और बांग्लादेश-जैसे मुस्लिम राष्ट्र भी उसके साथ नहीं हैं। इसी तरह भारत द्वारा आतंकी अड्डों को उड़ाने की तारीफ दुनिया के सभी मुल्क कर रहे हैं। यहां तक कि रुस और चीन ने भी भारत की फौजी कार्रवाई को गलत नहीं बताया है?
क्या पाकिस्तान की फौज और नेतागण इससे कुछ सबक सीखेंगे? यदि वे यह सोच रहे हैं कि वे भारत के विरुद्ध कोई जवाबी कार्रवाई करें तो उन्हें पता होना चाहिए कि उनकी हर कार्रवाई अब आतंकी कार्रवाई मानी जाएगी। पाकिस्तान को दुनिया के देश आतंकवादी राष्ट्र या ‘गुंडा राज्य’ (रोग स्टेट) घोषित कर सकते हैं। इसके अलावा भारत किसी भी हमले के मुकाबले के लिए तैयार है। इसीलिए सबसे अच्छी नीति फिलहाल यही है कि पाकिस्तान पिछले तीन दिन से जो कहता रहा है, अब भी वही कहता रहे याने ‘भारत ने कोई अड्डे नहीं उड़ाए।’ जब भारत ने कुछ किया ही नहीं तो पाकिस्तान को भी कुछ भी करने की कोई जरुरत नहीं है।