स्त्री जीत नहीं सकती!

बिना हारे, स्त्री जीत नहीं सकती!

यह अवस्था अर्थात् तृप्ति या ऑर्गेज्म तो स्त्री की पुरुष के समक्ष हार या समर्पण का स्वाभाविक प्रतिफल होता है, ...