सामाजिक

करना होगा ऐसे दरिंदों का सामाजिक बहिष्कार

हर आँख नम है हर शख्स शर्मिंदा है क्योंकि आज मानवता शर्मसार है इंसानियत लहूलुहान है।  एक वो दौर था जब नर ...