स्वदेशी एवं आत्मनिर्भरता से होगा भारत विकसित

      17 सितंबर को धार (मध्यप्रदेश) में आयोजित ‘स्वस्थ नारी – सशक्त परिवार’ अभियान प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर आयोजित विशाल जनसभा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से स्वदेशी अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने जनता से आग्रह किया कि “जो खरीदे वह देश में बना हो, जो खरीदे उसमें पसीना भारतीय का हो, जो खरीदे उसमें मिट्टी की महक हिन्दुस्तानी हो।” उन्होंने यह स्वदेशी का आह्वान केवल धार ही नहीं तो गत अनेक माह में अपने सार्वजनिक कार्यक्रम में किया है और स्वदेशी एवं आत्मनिर्भरता के मंत्र को ही विकसित भारत की गारंटी बताया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इस आह्वान से समस्त देशवासियों को जोड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने ‘विकसित भारत’ अभियान की रूपरेखा बनाई है। यह अभियान पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जन्म दिवस (25 सितंबर) से प्रारंभ होकर स्वदेशी के लिए प्रेरक महापुरुष महात्मा गांधी जी के जन्म दिवस (2 अक्टूबर) पर खादी खरीद के साथ भारतीय गौरव के प्रतीक स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस (25 दिसंबर) तक चलेगा। महात्मा गांधी जी ने स्वदेशी को परिभाषित करते हुए कहा था, “यह वह भावना है जो हमें आसपास की चीजों तथा सेवाओं का उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है। स्वदेशी का सार समीपस्थ की परिवार भाव से सेवा है।” पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भी कहा था, “नीति ऐसी हो जो ग्राम आधारित उद्यमिता और स्थानीय उत्पादन को प्राथमिकता दें।” प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी भाषा के स्वाभिमान सहित परमाणु विस्फोट कर भारतीय स्वाभिमान को बहुगुणित कर दिया था। इस कालावधि में चलने वाला अभियान स्वदेशी के साथ समाज को जोड़ने की सार्थक पहल है।

मनुष्य को अत्यधिक सुख देने के नाम पर व्यक्ति अथवा राज्य को केंद्र मानकर चलने वाली पूंजीवादी, साम्यवादी एवं समाजवादी सभी व्यवस्थाओं के द्वारा निर्मित खतरे आज संपूर्ण विश्व में दिखाई दे रहे हैं। यह सभी व्यवस्थाएं केंद्रीकरण की पक्षधर एवं वर्ग संघर्ष को उत्पन्न करने वाली हैं। इनका आधार केवल भोग को बढ़ावा देता है। यह प्राकृतिक संसाधनों पर अपना अधिकार मानने के कारण प्रकृति का शोषण करती है,

स्वदेशी विचार ग्राम केंद्रित छोटे-छोटे उद्योगों को विकसित करने का पक्षधर है। जिसमें रोजगार हो, पर्यावरण संरक्षण हो, कम ऊर्जा एवं पूंजी की आवश्यकता हो एवं परस्पर समाज संबंधों का निर्वहन हो। जिसको पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा, “अंत्योदय गरीब कल्याण की भावना यह है कि विकास का फल सबसे निचले स्तर तक पहुंचे। इसलिए लोकल उत्पाद का सशक्तीकरण नैतिक व आर्थिक आवश्यकता है।” ब्रिटिश हुकूमत के समय स्वदेशी आन्दोलन अंग्रेजों का विरोध एवं समाज को एकजुट करने का माध्यम बना। उस समय गणेशोत्सव, विदेशी वस्त्रों की होली एवं चरखा स्वदेशी के प्रतीक बने। आज जब हम स्वदेशी का विचार कर रहे हैं, तब हमारे उत्पाद वैश्विक स्तरीय बने

जिसके कारण पर्यावरण का संकट खड़ा हो रहा है। अल्प, अत्यधिक एवं बेमौसम वर्षा इसी प्रकृति के साथ खिलवाड़ का परिणाम है। एकाधिकारवादी मानसिकता के कारण अपने विरोधियों पर कब्जा करने के लिए टैरिफ अथवा युद्ध इन व्यवस्थाओं की देन हैं। विश्व को बाजार मानने के कारण इन व्यवस्थाओं ने मानव में प्रेम नहीं परस्पर संघर्ष उत्पन्न किया है। स्वतंत्रता के पश्चात् भारत भी इस विदेशी चकाचौंध से प्रभावित होकर पश्चिम एवं साम्यवादी व्यवस्था की नकल पर चला है। यह चक्र यदि अधिक समय चला तो मानवता एवं विश्वशांति के सम्मुख व्यापक खतरा खड़ा होगा।

स्वदेशी विचार ग्राम केंद्रित छोटे-छोटे उद्योगों को विकसित करने का पक्षधर है। जिसमें रोजगार हो, पर्यावरण संरक्षण हो, कम ऊर्जा एवं पूंजी की आवश्यकता हो एवं परस्पर समाज संबंधों का निर्वहन हो। जिसको पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा, “अंत्योदय गरीब कल्याण की भावना यह है कि विकास का फल सबसे निचले स्तर तक पहुंचे। इसलिए लोकल उत्पाद का सशक्तीकरण नैतिक व आर्थिक आवश्यकता है।” ब्रिटिश हुकूमत के समय स्वदेशी आन्दोलन अंग्रेजों का विरोध एवं समाज को एकजुट करने का माध्यम बना। उस समय गणेशोत्सव, विदेशी वस्त्रों की होली एवं चरखा स्वदेशी के प्रतीक बने। आज जब हम स्वदेशी का विचार कर रहे हैं, तब हमारे उत्पाद वैश्विक स्तरीय बने। हमें उच्च तकनीक का उपयोग करते हुए समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में अपनी मेधा को प्रकट करना है। विश्व बाजार की प्रतिस्पर्धा में भारतीय उत्पाद अग्रणीय बनाने होंगे।

आत्मनिर्भरता के इसी मंत्र को आधार बनाकर 2014 के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने अनेक क्षेत्रों में सार्थक पहल की है। जिसका परिणाम आज केवल भारत ही नहीं दुनिया देख रही है। भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘मेक फॉर इंडिया’ नीति का ही परिणाम है कि रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी एवं आत्मनिर्भरता के संदेश के कारण आज हम ब्रह्मोस मिसाइल बना रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर में उसका परिणाम हम देख चुके हैं। अब हमारा रक्षा निर्यात लगभग 24,000 करोड़ का हो गया है। दुनिया के लगभग 100 देशों को हम अपने रक्षा उत्पाद बेच रहे हैं। सेमीकंडक्टर चिप बनाकर हमने सफलता का सोपान प्राप्त किया है। चंद्रयान व मंगलयान द्वारा अंतरिक्ष में हमारी पहुंच सभी को चौंकाने वाली है| एमएसएमई क्षेत्र का भारत की जीडीपी में 30% योगदान है। स्टार्टअप में भी हमने कीर्तिमान स्थापित किया है। वोकल

लाल किले की प्राचीर से बोलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आह्वान किया था कि हमें गुलामी की सभी प्रकार की मानसिकता से मुक्ति पानी है। स्वदेशी का संबंध केवल आर्थिकी तक ही सीमित नहीं है, हमें सभी क्षेत्रों जैसे भाषा, वेश-भूषा, परंपराएं एवं संस्कृति सभी के प्रति गौरव का भाव रखकर अपने जीवन में व्यवहार करना है। ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आह्वान करते हुए कहा था, “उपहार वही जो भारत में बना हो, पहनावा वही जो भारत में बुना हो, उत्सवों पर सजावट वही जो भारत में बने सामान से हो एवं रोशनी वही जो भारत में बनी झालरों से हो।”

फॉर लोकल को अपनाते हुए ओडीओपी के माध्यम से स्थानीय उत्पाद की विश्व बाजार में पहचान बनाई है। हम सैनिक एवं अर्धसैनिक बलों के उपयोग के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट विदेश से मंगवाते थे अब 100 देशों को निर्यात कर रहे हैं। आज मोबाइल फ़ोन निर्माण के क्षेत्र में 2014-15 में 1566 करोड़ रुपए की तुलना में 2023-24 में 1,20,000 करोड़ रुपए का निर्यात हो गया है। जेनरिक दवाई वैक्सीन 2014 में 11 बिलियन डॉलर की तुलना में 24 बिलियन डॉलर पहुंच गई है। खिलौनों के क्षेत्र में चीन से निर्भरता समाप्त कर अब हम निर्यात कर रहे हैं। रेल के सभी पैरामीटर्स पर सक्षम कोच निर्माण कर हम 10 देशों को दे रहे हैं। 100 से अधिक देशों को जैविक उत्पाद निर्यात कर रहे हैं। यह कुछ उदाहरण हमारी प्रतिभा को प्रकट करते हैं एवं हमें यह विश्वास भी दिलाते है कि हममें करने का सामर्थ्य है।

लाल किले की प्राचीर से बोलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आह्वान किया था कि हमें गुलामी की सभी प्रकार की मानसिकता से मुक्ति पानी है। स्वदेशी का संबंध केवल आर्थिकी तक ही सीमित नहीं है, हमें सभी क्षेत्रों जैसे भाषा, वेश-भूषा, परंपराएं एवं संस्कृति सभी के प्रति गौरव का भाव रखकर अपने जीवन में व्यवहार करना है। ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आह्वान करते हुए कहा था, “उपहार वही जो भारत में बना हो, पहनावा वही जो भारत में बुना हो, उत्सवों पर सजावट वही जो भारत में बने सामान से हो एवं रोशनी वही जो भारत में बनी झालरों से हो।” प्रधानमंत्री जी द्वारा इस आह्वान के आधार पर सामान्य समाज के व्यवहार से भारत के लोगों का रोजगार बढ़ेगा, विदेश की निर्भरता कम होगी, पूंजी भारत में रहेगी और भारत के विकास एवं गरीब कल्याण पर खर्च होगी। यही व्यवहार भारत की समृद्धि एवं विकसित भारत का शपथ पत्र होगा, समृद्धि आएगी एवं संस्कृति पोषित होगी।

 

सौजन्य : कमल संदेश
 

                                                                     (लेखक भाजपा के राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन)हैं)

 

 

  

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