
राहुल एक साधारण सा युवक था, दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय हिंदू परिवार से। सुबह उठते ही वह अपने फोन को हाथ में लेता, और सोशल मीडिया की दुनिया में खो जाता। इंस्टाग्राम, यूट्यूब शॉर्ट्स, टिकटॉक ये प्लेटफॉर्म उसके लिए दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुके थे। लेकिन पिछले कुछ महीनों से कुछ अजीब सा हो रहा था। उसके फीड में छोटे-छोटे वीडियो आते, जिनमें हिंदू परिवारों के घरों में झगड़े दिखाए जाते। एक वीडियो में एक मां अपने बेटे से चिल्ला रही थी, तुम्हारा ये सनातन धर्म क्या बिगाड़ लाया है? रोज मंदिर जाना, पूजा-पाठ, बस झगड़े ही झगड़े! दूसरे में पिता और पुत्र के बीच बहस, जहां पिता कहते, ये पुरानी रस्में अब बोझ बन गई हैं, छोड़ दो इन्हें! ये वीडियो इतने रीयल लगते कि राहुल का दिल बैठ जाता। क्या सच में सनातन धर्म हिंदू घरों को तोड़ रहा था?राहुल ने सोचा, शायद ये संयोग है। लेकिन जैसे-जैसे वीडियो बढ़ते गए, उसे शक होने लगा। एक दिन, उसके चचेरे भाई अजय ने फोन किया। भाई, देखा वो वीडियो? हमारी तरह के परिवार में ही तो हो रहा है। मेरा दोस्त का घर टूट गया, वजह धर्म की रस्में!" राहुल ने वीडियो चेक किया। ये सब एक जैसे थे: 15-30 सेकंड के क्लिप्स, ड्रामेटिक म्यूजिक के साथ, कैप्शन में लिखा "सनातन का काला सच परिवार बर्बाद! हैशटैग्स जैसे #HinduFamilyFights, #SanatanCurse। ये वीडियो वायरल हो रहे थे, लाखों व्यूज, हजारों शेयर्स। राहुल ने गूगल किया, तो पता चला कि ये ट्रेंड पूरे भारत में फैल रहा है। दक्षिण भारत से उत्तर तक, हर जगह हिंदू परिवारों को निशाना बनाया जा रहा था।
राहुल एक आईटी इंजीनियर था, कोडिंग और डेटा एनालिसिस उसका शौक। उसने फैसला किया, खुद जांच करेगा। सबसे पहले, उसने वीडियोज के मेटाडेटा चेक किया। कई वीडियो एक ही आईपी एड्रेस से अपलोड हो रहे थे, जो विदेशी सर्वर से जुड़े थे। एक वीडियो का बैकग्राउंड चेक किया, तो पाया कि वो स्टॉक फुटेज था अमेरिका के किसी स्टूडियो से लिया गया, लेकिन एडिट करके भारतीय घर जैसा दिखाया गया। आवाजें डब की गई, हिंदी में, लेकिन एक्सेंट गलत। राहुल का शक पक्का हो गया। ये छोटे-छोटे वीडियो कोई संयोग नहीं, एक सुनियोजित कैंपेन थे। अब सवाल था, इससे सनातन को कितना नुकसान हो रहा है? राहुल ने अपने दोस्तों से बात की। एक दोस्त ने बताया, "मेरा कजिन धर्म छोड़ने की सोच रहा है। कहता है, ये वीडियो देखकर लगता है सनातन ही परिवारों का दुश्मन है। राहुल ने सोशल मीडिया एनालिटिक्स टूल्स का इस्तेमाल किया। आंकड़े चौंकाने वाले थे। इन वीडियोज ने 10 करोड़ से ज्यादा व्यूज जेनरेट किए थे। कमेंट्स में लोग लिख रहे थे हिंदू बनना बंद करो, ये बोझ है! युवा पीढ़ी प्रभावित हो रही थी। सनातन धर्म, जो सदियों से एकता, शांति और परिवार की नींव पर टिका है, अब सोशल मीडिया पर बदनाम हो रहा था। मंदिरों में आने वाले लोग कम हो रहे थे। परिवारों में बहसें बढ़ रही थीं बुजुर्ग कहते, 'पूजा करो' तो युवा जवाब देते, ये झगड़े ही तो पैदा करता है! आध्यात्मिक विश्वास कमजोर पड़ रहा था। सनातन की मूल भावना 'वसुधैव कुटुंबकम' पर चोट पहुंच रही थी। ये वीडियो न सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर तोड़ रहे थे, बल्कि समुदाय को बांट रहे थे। हिंदू एकता कमजोर हो रही थी, जो किसी भी बाहरी साजिश के लिए खतरा बन सकती थी।
पिता ने कहा, बेटा, सनातन मजबूत है, ये साजिशें इसे नहीं तोड़ सकतीं। नुकसान हुआ था, लेकिन जागृति भी आई। सूत्रधार पकड़े गए फखर को अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया। भारतीय फ्रीलांसरों पर मुकदमा चला। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने ऐसे वीडियोज बैन किए। राहुल समझ गया, सनातन का असली हथियार जागरूकता है।
राहुल ने गहराई से खोजा। एक रात, वह डार्क वेब पर पहुंचा वहां एक फोरम मिला, जहां 'ऑपरेशन डिवाइड' नाम का ग्रुप सक्रिय था। ये ग्रुप विदेशी फंडिंग से चल रहा था। सूत्रधार कौन? राहुल को पता चला, ये एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क था इसमें कुछ कट्टरपंथी संगठन शामिल थे, जो भारत को कमजोर करना चाहते थे। मुख्य मास्टरमाइंड एक पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट था, नाम फखर अहमद, जो दुबई से ऑपरेट कर रहा था। उसके साथ कुछ भारतीय 'फ्रीलांसर' थे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, जो पैसे के लालच में काम कर रहे थे। ये लोग एआई टूल्स का इस्तेमाल करके वीडियो जनरेट करते। एक स्क्रिप्ट लिखी जाती हिंदू परिवार में सनातन रस्मों पर झगड़ा। फिर डीपफेक टेक्नोलॉजी से चेहरे बदले जाते, भारतीय कपड़े पहनाए जाते। आवाजें वॉयस सिंथेसाइजर से हिंदी में डब की जातीं। ये वीडियो बॉट्स के जरिए वायरल किए जाते फेक अकाउंट्स से लाइक्स, शेयर्स। फंडिंग आती थी विदेशी एनजीओ से, जो 'सेकुलरिज्म' के नाम पर काम करते, लेकिन असल में धार्मिक विभाजन फैलाते।
राहुल ने एक उदाहरण ढूंढा। एक वीडियो में दिखाया गया था, एक ब्राह्मण परिवार में लड़ाई। लेकिन जांच पर पता चला, वो परिवार असली नहीं, बल्कि लॉस एंजिल्स के किसी एक्टर का था। स्क्रिप्ट लिखी गई थी एक भारतीय नाम के फ्रीलांसर ने, जो मुंबई में रहता था लेकिन पैसे के लिए बिक गया। ये साजिश का हिस्सा था सनातन को 'अंधविश्वास' दिखाकर युवाओं को अलग करना। नुकसान गहरा था सनातन की छवि 'प्रगतिशील न होने' वाली बन रही थी। महिलाएं कह रही थीं, ये धर्म हमें दबाता है, जबकि पुरुष "ये पुरानी परंपराएं बोझ हैं। समुदाय में अविश्वास बढ़ा। मंदिर दान कम हुआ, योग और ध्यान जैसे सनातन के वैज्ञानिक पहलू भुलाए गए। कुल मिलाकर, ये एक सांस्कृतिक हमला था, जो पीढ़ियों को प्रभावित कर सकता था।
राहुल ने फैसला किया, चुप नहीं बैठेगा। उसने अपने दोस्तों एक पत्रकार प्रिया और एक साइबर एक्सपर्ट विक्रम को शामिल किया। टीम बनी। प्रिया ने स्टोरी ब्रेक करने की तैयारी की। विक्रम ने ट्रेसिंग की। एक हफ्ते में, उन्होंने फखर अहमद के सर्वर को हैक कर लिया वहां साबित हो गया, 500 से ज्यादा वीडियो इसी कैंपेन का हिस्सा थे। भारतीय फ्रीलांसरों के नाम भी मिले एक था राजेश शर्मा, जो खुद हिंदू था लेकिन कर्ज चुकाने के लिए बिक गया। दूसरा था नेहा खान, जो मिश्रित बैकग्राउंड से थी और बदले की भावना से काम कर रही। क्लाइमेक्स वह रात था जब राहुल दुबई के एक होटल में घुसा विक्रम की मदद से। फखर अहमद मीटिंग कर रहा था। राहुल ने छिपकर रिकॉर्डिंग की। फखर बोला, ये हिंदू एकता तोड़ दो, तो भारत कमजोर हो जाएगा। सनातन को बदनाम करो, परिवारों को बांटो। राहुल ने वीडियो लीक कर दिया। प्रिया ने न्यूज चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज चलाई। सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। लोग जागे। #SaveSanatan ट्रेंड करने लगा। असली हिंदू परिवारों ने काउंटर वीडियो बनाए जहां दिखाया, सनातन कैसे एकता सिखाता है।
कहानी का अंत सकारात्मक था। राहुल का परिवार एकत्र हुआ। पिता ने कहा, बेटा, सनातन मजबूत है, ये साजिशें इसे नहीं तोड़ सकतीं। नुकसान हुआ था, लेकिन जागृति भी आई। सूत्रधार पकड़े गए फखर को अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया। भारतीय फ्रीलांसरों पर मुकदमा चला। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने ऐसे वीडियोज बैन किए। राहुल समझ गया, सनातन का असली हथियार जागरूकता है। छोटे-छोटे वीडियो नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन सच्चाई हमेशा जीतती है। सनातन के खिलाफ साज़िश का सबसे बड़ा सबूत यही है कि इस तरह की ‘रील’ में किसी और धर्म के लोगों, उनके परिवार, उनकी पूजा-पद्धति, धर्मगुरुओं और उनके आराध्य के खिलाफ कोई बोलने की हिम्मत नहीं करता है। इसीलिए ‘धरती चपटी है और सूरज पश्चिम से निकलता है’ कहने वाली कौम पर कोई नहीं बोलता, क्योंकि सर तन से जुदा होने लगता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)