Author: पुण्य प्रसून बाजपेयी

पुण्य प्रसून बाजपेयी के पास प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 20 साल से ज़्यादा का अनुभव है। प्रसून देश के इकलौते ऐसे पत्रकार हैं, जिन्हें टीवी पत्रकारिता में बेहतरीन कार्य के लिए वर्ष 2005 का ‘इंडियन एक्सप्रेस गोयनका अवार्ड फ़ॉर एक्सिलेंस’ और प्रिंट मीडिया में बेहतरीन रिपोर्ट के लिए 2007 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड मिला।

सियासत तले दबे किसानों का दर्द कौन समझेगा ?
किसानों के हक में है कौन, यह सवाल चाहे अनचाहे भूमि अधिग्रहण अध्यादेश ने राजनीतिक दलों की सियासत तले खड़ा ...
हिन्दुत्व के नाम झूलते संघ और सरकार
या तो हिन्दुत्व या हिन्दू राष्ट्र को लेकर राषट्रीय स्वयसेवक संघ की जो समझ है वह देश के सामने कभी ...
जनादेश ने भरे हर जख्म, उभारे हर जख्म !!
आज मां की आंखों में आंसू हैं। पिता की नजरें उठी हुई हैं। बेटे को गर्व है । बेटी पिता ...
दिल्ली, जहां इतिहास झांकता है इतिहास रचने के लिये
कहते है दिल्ली में सांप की आंख सा आकर्षण है। जो आता है बस इसी का होकर रह जाता है। ...
संघ की उड़ान को थामना सोनिया-राहुल के बस में नहीं
जिस सियासी राजनीतिक का राग नरेन्द्र मोदी ने छेड़ा है और जिस हिन्दुत्व की ढपली आरएसएस बजा रही है, कांग्रेस ...
डल लेक में बेमौसम कमल खिलाकर जम्मू ने सियासत उलट दी !
चुनावी लोकतंत्र फेल हुआ तो बंदूक थामी। सिस्टम को लेकर गुस्सा चरम पर पहुंचा तो पत्थर उठाया। और जिन्दगी जीने ...
जिस कश्मीर को खून से सींचा वह कश्मीर किसका होगा?
जिस कश्मीर को खून से सींचा वह कश्मीर हमारा है। तो बैनर और पोस्टर से जगमगाता कश्मीर का यह आसमान ...
सियासत का फिल्मी सिनेमा है ‘कालाधन’, जो हमेशा हिट होती है
ठीक 25 बरस पहले वीपी सिंह स्विस बैंक का नाम लेते तो सुनने वाले तालियां बजाते थे। और 25 बरस ...
तो ठाकरे खानदान का सपना कल स्वाहा हो जायेगा !
बीते ४५ बरस की शिवसेना की राजनीति कल स्वाहा हो जायेगी। जिन सपनों को मुंबई की सड़क से लेकर समूचे ...