अयोध्या के आईने में नये भारत की नयी तस्वीर

–संजय राय-

नयी दिल्ली, 5 अगस्त। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य मंदिर के निर्माण का भूमि पूजन कर दिया है। इसके साथ ही विश्व के करोड़ों हिंदुओं का एक बहुत बड़ा सपना पूरा हुआ। इस दौरे बारे में सरकार की तरफ से कोई भी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गयी थी। जाहिर जैसा कि विश्व हिंदू परिषद् की तरफ से बताया गया, ‘प्रधानमंत्री का यह दौरा पूरी तरह धार्मिक था’। श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट की तरफ से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। तकनीकी तौर पर देखा जाये तो इसमें सरकार की सीमित भूमिका थी।

राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण के लिये भूमि पूजन करने के बाद एक समारोह में प्रधानमंत्री ने संबोधन किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कई महत्वूर्ण बातें कहीं। उन्होंने कहा, ‘राम अनेकता में एकता का संदेश देते हैं। राम सबके हैं और सब राम के हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में हम सबको राम के संयमित मार्ग पर चलना होगा। इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया जब सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। उस समय भी देशवासियों ने शांति के साथ सभी की भावनाओं का ख्याल करते हुए व्यवहार किया था। आज भी हम हर तरफ हम वही मर्यादा देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर की निर्माण की प्रक्रिया राष्ट्र को जोड़ने का महोत्सव है। यह नर को नारायण से जोड़ने का उपक्रम है। यह न्यायप्रिय भारत की एक अनुपम भेट है। श्रीराम संपूर्ण हैं। वह हजारों वर्षों से भारत के लिए प्रकाश स्तंभ बने हुए हैं। श्रीराम ने सामाजिक समरसता को शासन को आधारशिला बनाया। उन्होंने प्रजा से विश्वास प्राप्त किया।’

मोदी ने कहा, ‘जीवन का कोई ऐसा पहलू नहीं है जहां हमारे राम प्रेरणा नहीं देते हों। भारत की आस्था में राम, आदर्शों में राम, दिव्यता में राम, दर्शन में राम हैं। जो राम मध्य युग में तुलसी, कबीर और नानक के जरिए भारत को बल दे रहे थे। वही राम बापू के समय में अहिंसा के रूप में थे। भगवान बुद्ध भी राम से जुड़े हैं। सदियों से अयोध्या नगरी जैन धर्म की आस्था का केंद्र रहा है। राम सब जगह हैं। राम सबके हैं। राम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा। यहां निर्मित होने वाला राम मंदिर अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा। राम मंदिर का संदेश कैसे पूरे विश्व तक निरंतर पहुंचे, कैसे हमारे ज्ञान, हमारी जीवन दृष्टि से विश्व परिचित हो। ये हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियों की विशेष जिम्मेदारी है।’

अब एक नजर डालते हैं इस भूमिपूजन को लेकर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दलों की तरफ से व्यक्त की गयी प्रतिक्रियाओं पर। सबसे पहले कांग्रेस की प्रतिक्रिया को देखिये। पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राम मंदिर भूमि पूजन के लिये शुभकामना दी। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि त्याग, कत्र्तव्य, करुणा, उदारता, एकता, बंधुत्व, सद्भाव, सदाचार के रामबाण मूल्य जीवन पथ का रास्ता बनेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सर्वोत्तम मानवीय गुणों का स्वरूप हैं। वे हमारे मन की गहराइयों में बसी मानवता की मूल भवना हैं। राम प्रेम हैं, वे कभी घृणा में प्रकट नहीं हो सकते। राम करुणा हैं, वे कभी क्रूरता में प्रकट नहीं हो सकते। राम न्याय हैं, वे कभी अन्याय में प्रकट नहीं हो सकते। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस बारे में बयान दिया है। उन्होंने भूमिपूजन के लिये शुभकामना देते हुए कहा कि राम सबमें हैं। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता का अवसर बनना चाहिये।

वहीं वामपंथी दलों ने आज भूमिपूजन के विरोध किया। भाकपा और माकपा ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा भूमिपूजन उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरुद्ध है, क्योंकि न्यायालय ने अपने फैसले बाबरी मस्जिद विध्वंस को गलत ठहराया था। दोनों दलों का कहना है कि यह संविधान की भावना का भी उल्लंघन करता है। एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि लोग बाबरी मस्जिद को नहीं भूले हैं और अपने दिलों में उसको संजो कर रखे हुए। सोशल मीडिया पर भी भी बाबरी मस्जिद के समर्थन में एक एक हैशटैग काफी तेजी से वायरल किया जा रहा है। कुछ लोग समयचक्र बदलने के इंतजार की बात कर रहे हैं।

जाहिर है राम को लेकर आने वाले समय में राजनीति जारी रहेगी और इस राजनीति की मुख्य धारा के दो राजनीतिक दलों भाजपा व कांग्रेस के बीच इसे लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। फिलहाल ऐसा लग रहा कि कांग्रेस देश की हवा को समझकर भाजपा के इस महत्वपूर्ण एजेंडेे का आगे समर्पण कर चुकी है। ऐसा लग रहा है कि उसका यह समर्पण देश की तथाकथित सेक्युलर राजनीति का कायाकल्प करेगा और चाहे इच्छा से या मजबूरी में, अन्य दल भी असली धर्मनिरपेक्षता की तरफ सभी दल झुकेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 का चुनाव जीतने के बाद भाजपा के 11, अशोक रोड वाले पुराने मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि हम न्यू इंडिया बनायेंगे। राम जन्मभूमि मंदिर विवाद का अदालत द्वारा शंतिपूर्ण तरीके से समाधान, धारा-370 का अवसान, सीएए, एनआरसी और तीन तलाक जैसी घटिया प्रथा का अंत इस न्यू इंडिया की तरफ बढ़ने का एक संकेत मात्र है। अब यह और तेजी से आगे बढ़ेगा। कोई भी राजनीतिक दल अपनी छुद्र राजनीति के लिये अब आने वाले कई वर्षों तक बहुसंख्यक हिंदू समाज की भावनाओं की अनदेखी नहीं करेगा।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि राम मंदिर के निर्माण के बाद क्या भारत राम राज्य के मूल्यों की स्थापना के रास्ते पर आगे बढ़ेगा। यह एक कठिन सवाल है। रामराज्य भारतीय जनमानस की भावना की सर्वोच्च आकांक्षा है। इसके लिये सबको राम को समझना होगा। राम के सगुण और निर्गुण रूप को गहराई से समझना होगा। यह काम राजनीति से नहीं बल्कि धर्म जागरण से ही संभव है। इसमें देश के संत समाज की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। राम राज्य के लिये संत समाज को जागना होगा। सरकार इसमें सिर्फ सूत्रधार की भूमिका में रहे तो ही अच्छा होगा। सर्वधर्म समभाव की सनातन परम्परा भारत की सबसे बड़ी शक्ति है। हम सबको आज के दिन यह संकल्प लेना चाहिये कि ऐसा कोई भी कृत्य न करें जिससे कि अल्पसंख्यक समाज की भावना आहत हो। राम मंदिर के निर्माण का उद्देश्य तभी हासिल हो पायेगा।

रामचरितमानस में एक प्रसंग है कि जब धरती पर अत्याचार बढ़ गया था, तब धरती माता ‘गाय’ के रूप में देवताओं के पास गयी। देवता रावण के अत्याचार से भयभीत होकर गुफा में छिपे हुए थे। धरती की चिंता देखकर सब ब्रह्मा के पास गये। ब्रह्मा ने एक बैठक बुलाई। उस बैठक में धरती के अत्याचार को समाप्त करने पर चर्चा हुई। ब्रह्मा ने सबसे समाधान पूछा। सबने कहा कि इसका समाधान ईश्वर ही कर सकते हैं। ब्रह्मा ने पूछा ईश्वर कहां मिलेगे। सबने अपने-अपने हिसाब से जवब दिया। उस बैठक में महादेव शिव भी उपस्थित थे। उनसे पूछा गया कि आप बताओ ईश्वर कहां मिलेंगे? इस पर भोलेनाथ ने जवाब दिया, ‘हरि व्यापक सर्वत्र समाना’ अर्थात ईश्वर सब जगह समान रूप से उपस्थित है। सबने पूछा कि वो मिलेंगे कैसे? इस पर शिव ने कहा, ‘प्रेम ते प्रकट होइ मैं जाना’ यानी ईश्वर प्रेम से प्रकट होते हैं, मैने यही समझा है। शिव का यह कथन आज हम सबके लिये ही नहीं बल्कि समस्त मानव जाति के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। ईश्वर प्रेम से प्रकट होते हैं। तुलसीदास ने एक जगह यह भी लिखा है, ‘रामहिं केवल प्रेम पियारा। जानि लेहु सो जाननिहारा।। राम केवल निश्छल ‘पे्रम’ से प्यार करते हैं। निश्छल प्रेम बहुत कठिन है, लेकिन दिल की आवाज सुनेंगे तो बहुत आसान है। निश्छल प्रेम सभी समस्याओं का समाधान कर देता है। विश्वास है कि आज अयोध्या से निकले भगवान श्रीराम के इस संदेश को देश सुनेगा और उनके जीवन मूल्यों को अपने अपने जीवन में उतारने के लिये सतत प्रयास करेगा। ऐसा करके ही हम एक नया सशक्त भारत बना सकते हैं और विश्वगुरू की प्रतिष्ठा को अर्जित कर सकते हैं।