व्यक्तित्व

डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद और नेहरू का दुराग्रह

डा.राजेन्द्र प्रसाद की शख्सियत से पंडित नेहरु हमेशा अपने को असुरक्षित महसूस करते रहे। उन्होंने राजेन्द्र बाबू को नीचा दिखाने ...

सियासी बिसात पर संविधान और आंबेडकर भी प्यादा बन गये

इतिहास के पन्नों के आसरे जिस तरह की कवायद संसद के भीतर राजनीतिक दलों ने की उसने झटके में यह ...

चले गये राम मंदिर की आस लिए

जो ना तो राजनीति का नायक बना। ना ही हिन्दुत्व का झंडाबरदार। लेकिन जो सपना देखा उसे पूरा करने में ...

सादगी और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति मनोहर पर्रीकर…

  सुबह के लगभग छह बजने वाले थे, पणजी के मुख्य मार्गों पर इक्का-दुक्का वाहन चल रहे थे. अधिकाँश गोवा निवासी ...

दीनदयाल उपाध्याय

जन्मशती वर्ष पर विशेष (जयंती 25 सितंबर) मानवता के कल्याण का विचार है एकात्म मानवदर्शन मनुष्य विचारों का पुंज होता है और ...

भारत का अखंड स्वरुप

कहा जाता है कि वीर सावरकर की अस्थियाँ अभी भी उनके वंशजों के पास सुरक्षित हैं । वे अपनी मृत्यु ...

आपातकाल की पुरानी स्मृतियाँ

आपातकाल की घोषणा २५ जून १९७५ को हुई थी । रेडियो पर ख़बर आई होगी । मैंने तो नहीं सुनी ...

बचाऍं गॉंधी और सावरकर को !

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने वही किया, जो भारत के प्रधानमंत्री को करना चाहिए था| उन्होंने भारत सरकार को उस ...

बेजोड़ मधु लिमये

श्री मधुजी से मेरी पहली भेंट कब हुई, मुझे ठीक से याद नहीं। शायद डाॅ. लोहिया के घर पर। श्री ...

वाजपेयी के माथे पर इंदिरा का मुकुट

पोकरण-दो’ भारत की संप्रभुता का शंखनाद है जबकि ‘पोकरण-एक’ उसकी परमाणु क्षमता का उदघोष मात्र् था| वह अजब स्थिति थी ...