विविध

आतंक के बदलते चेहरे से कैसे निपटे भारत ?

कसाब फरीदकोट के ओकारा गांव का था। नावेद फैसलाबाद की शहरी कालोनी गुलाम मोहम्मद अबद का है। कसाब गरीब परिवार ...

जनसेवा में पगार क्यों?

जो घर फूंक आपना चले हमारे संग कबीर की तरह फक्कड़ बनना होगा यदि सही मायने में समाज सेवा का ...

आपातकाल की पुरानी स्मृतियाँ

आपातकाल की घोषणा २५ जून १९७५ को हुई थी । रेडियो पर ख़बर आई होगी । मैंने तो नहीं सुनी ...

टूटता विश्वास

नकल असल जैसा, वैसा होने का एक और जहां भ्रम पैदा करता है वहीं दूसरी ओर अनुकरण न केवल गुलामी ...

गिलगित बल्तीस्तान में पाकिस्तान की चुनावी चाल

जम्मू कश्मीर प्रदेश का जो इलाक़ा पाकिस्तान के क़ब्ज़े में है, उसमें से सबसे बड़ा और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ...

शिया समाज का संकट

पिछले दिनों कराची में मुस्लिम कट्टरपंथियों ने एक बस रोक कर उसमें सवार लोगों की निर्मम हत्या कर दी । ...

बचाऍं गॉंधी और सावरकर को !

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने वही किया, जो भारत के प्रधानमंत्री को करना चाहिए था| उन्होंने भारत सरकार को उस ...

भीम राव आम्बेडकर और उनके शिक्षा सम्बंधी विचार

भीम राव आम्बेडकर ने देश के निर्धन और बंचित समाज को प्रगति करने का जो सुनहरी सूत्र दिया था , ...

कहाँ गई वे बोलियाँ ?

पिछले 50 साल में लगभग सवा दो सौ भारतीय बोलियाँ समाप्त हो गई हैं। 1961 में भारत में 1100 भाषाएँ ...

अफगानिस्तान कभी आर्याना था

आज अफगानिस्तान और इस्लाम एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं, इसमें शक नहीं लेकिन यह भी सत्य है कि वह ...