भ्रष्टाचार – मुझे कैसे भगाओगे

व्यंग्य-कड़वा सच

 

मानव शुरू से ही लालची रहा है। लालच एक स्वभाविक प्रक्रिया है। यह लालच कई सूक्ष्य रूपों में रहता है। इसकी गति भी अति महीन होती है जिसे समझने में अच्छे-अच्छे गच्चा खा जाते हैं। लालच के क्रियान्वयन में भयंकर कार्य की आवश्यकता होती हैं। यह आलसी और निकम्मों का काम नहीं है। लालच को मूर्त रूप, मन, आचार, विचार, समय, परिस्थिति और कर्म के द्वारा पूर्ण किया जाता है। योजना हमेशा मन में बनती है और कर्म से भौतिक उपलब्धि प्राप्त की जाती हैं। लालच की पत्नी ही भ्रष्टाचार हैं। इतिहास गवाह है कि अच्छे-अच्छे शूरवीर भी इससे अपने को बचा नहीं पाये फिर चाहे वह शंकराचार्यों की प्रसिद्धि की आपसी लड़ाई हो, या विदेशी आक्रान्ताओं का भारत में प्रवेश हो या रानी लक्ष्मीबाई के साथ धोखा हो या भारत विभाजन को ले नेहरू या जिन्ना हो। जिस तरह पति-पत्नी के झगड़े के बीच कोई भी नहीं पड़ना चाहता उसी तरह लालच और भ्रष्टाचार के पचडे़ मेें भी पड़ना खतरे से खाली नहीं हैं। वर्तमान परिदृश्य में भ्रष्टाचार को ले बेवजहा इतना हल्ला मचाया जा रहा हैं। आज अचानक सत्य, ईमानदारी का जिन्न बोतल से किसी की लापरवाही से बाहर निकल आया है। सभी यह जानते है कि जिन्न को काम चाहिए रहता है नहीं तो वह सब कुछ तबाह भी कर सकता हैं। इस जिन्न से बहुसंख्यक भ्रष्टाचारियों का न केवल मनोबल कमजोर हो रहा है बल्कि कुछ तो अपनी सामर्थों के अनुसार किसी न किसी की आड़ में मसलन कुछ संसद की ओट में तो कुछ घरों में तो कुछ अपने आकाओं की गोद में जा छिपे हैं। चूंकि ईमानदारी के जिन्न ने भ्रष्टाचारियों पर अचानक हमला बोला है और अचानक हमले से संभलने के लिए कुछ वक्त की जरूरत होती हैं। अब वह समय सभी भ्रष्टाचारियों का जो साम्राज्य खडा किया है उसे अपनी आखों के सामने यू ही नहीं ढहता देख सकते। कहते हैं जब रोम जल रहा था तब नीरों बांसुरी बजा रहा था। हमारे भारत में तो कई नीरो है जो भ्रष्टाचार विरोधियों की आंधी में भी निश्चित हैं। आंदोलनकारी का कोर गु्रप ही बार-बार कह रहा है हमसे मिल लो लेकिन क्या मजाल बांसुरी बाधक की धुंध टूट जाए। इसी बीच सभी भ्रष्टाचारियों ने मिल तत्काल एक आपात उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जिसमें अपने ऊपर आई अचानक विपदा और अपमान को ले एक कठोर रणनीति बनाई जिसमें सर्व सम्मति से निर्णय पारित कर अविलंब अपने-अपने स्तर से सख्ती से इसके क्रियान्वयन करने की और भ्रष्टाचार को हर कीमत पर बनाए रखने की भी गुप्त शपथ प्रत्येक सदस्य को दिलाई गई। बैठक में लिए गए सभी निर्णय पारदर्शिता एवं जवाबदेही के तहत् सभी के लिए सार्वजनिक करने के लिए हैं:-

 

  1. भ्रष्टाचार बढ़ाओं समिति का सूत्र वाक्य ‘‘समता, एकता एवं जाति विहिन समाज का निर्माण करना है।’’ जनगणना में जाति में केवल ‘‘भ्रष्टाचारी’’ जाति ही लिखे। 2. जो दबे-कुचले, चोरी-चुपके भ्रष्टाचार के कार्य में संलिप्त है उनकी हौसला अफजाई हर स्तर पर की जावें ताकि उनमें हीनभावना किसी भी सूरत में विकसित न होने पाए।
  2. भ्रष्टाचार निडरता से करें।4 सुप्रीम कोर्ट की भावना का आदर करते हुए सभी काम के रेट ओपन करें अर्थात् रेट लिस्ट बनाये। 5.भ्रष्टाचार हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। 6.                भ्रष्टाचार आदि-अनादिकाल से चल रहा है इसको संरक्षित करने का हमारा नैतिक दायित्व हैं। 7.         30 अगस्त के पहले ले देकर ‘‘भ्रष्टाचार बढ़ाओं अधिनियम 2011’’ संसद में पारित कराने की गारंटी। 8.                भ्रष्टाचार के बढ़ावा के लिए विभिन्न विभागों में अनियमित कार्यक्रम चलाए एवं विभिन्न तकनीकि प्रशिक्षण भी आयोजित करें जिसमें इसके विद्वान ए रजा, कलमाडी, कनी मोझी, नीता राडिया, लालू, हसन अली, प्रशासनिक अधिकारियों में जोशी दंपति को व्याख्यान के लिए बुलाए जिससे भ्रष्टाचार के तकनीकी पहलुओं को मजबूती प्रदान की जा सकें एवं भ्रष्टाचारियों की कार्य क्षमता को बढाया जा सकंे, ताकि विश्व में हम अग्रणी स्थान पा सकें। 9.भ्रष्टाचार को करने में पूर्ण ईमानदारी एवं वफादारी की शपथ दिलाई जावें।

10.भ्रष्टाचार को स्कूल एवं कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करें आवश्यकतानुसार उत्तम किस्म के विश्वविद्यालय भी गठित करें। 11.                भ्रष्टाचार से कमाए गए धन पर ईमानदारी से टेक्स लगेगा। 12.      देश में व्याप्त ईमानदार लोगों के लिए एक उच्च स्तरीय भ्रष्ट आयोग गठित करें जिसके निर्णय के विरूद्ध देश/विदेश की किसी भी न्यायालय में यह प्रकरण ग्राह नहीं किया जायेगा। 13.            पूरे देश में पूर्ण ईमानदारी के साथ शीघ्र ‘‘भ्रष्ट न्यायालय’’ गठित करे जिसमें भ्रष्टाचारियों का विरोध करने वालों पर ‘‘राजद्रोह’’ का मुकद्मा चलाया जा सकें। इन न्यायालयों में केवल उन्हीं जजों की नियुक्ति में प्राथमिकता मिलेगी जिन्होंने अपने जीवनकाल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में सहयोग प्रदान किया।14.             स्विस जैसे बैंक भारत में ही स्थापित किये जायेंगे ताकि भारत का धन भारत में ही रहे ओर विरोधियों का मुंह भी बंद रहे। 15.     भ्रष्टाचार पर सभी का बराबर का हक होगा फिर चाहे वह नेता हो, मंत्री हो, अधिकारी, कर्मचारी वर्ग हो, ठेकेदार हो, समाज में व्याप्त अल्पसंख्यक के रूप में तथाकथित ईमानदारों को न केवल हेय दृष्टि से देखा जाए बल्कि उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया जावें। ऐसे लोगों के लिए असमय विशेष आयोजन किये जाए ताकि ये लोग भी भ्रष्टाचार में सम्मिलित हो। भ्रष्ट समाज की मुख्यधारा में सम्मिलित हो सके। इनके उत्थान के लिए सरकार विशेष पैकेज भी देगी ताकि भ्रष्टाचार के द्वारा ये अपना एवं आगे की सात पीढियों के लिए भी धन संग्रहित कर सके। 16.                सभी ईमानदार बंदियों को टुमालू द्वीप पर भेजा जायेगा। चूंकि यह द्वीप ग्लोवल वार्मिंग में सबसे पहले डूबेगा। इस तरह ईमानदारों को समूल इस पृथ्वीं से नष्ट किया जा सकें। 17.    इन निर्णयों के व्यापक प्रचार व प्रसार के लिये मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, वेब) मालिकों, छोटे एवं बडे़ को भरपूर योगदान विज्ञापन के रूप में दिया जाए। 18.बेईमानी के इस खेल में पूर्ण ईमानदारी कडाई से बरती जाए। धन की कमी किसी भी स्तर पर न आने दें। भले ही इसके लिए घूस के रेट बढाना पडे़ वैसे भी भारतीय जनता बढ़ती महंगाई की आदि जो हो चुकी हैं।

 

अंत में यदि हमने इसके क्रियान्वयन में जरा सी भी लापरवाही बरती तो ईमानदारों की फौज न केवल हमंे खा जाएगी बल्कि इस पृथ्वी पर फिर से रामराज लौट आयेगा। निर्णय आपके हाथ।