ब्रसेल्स में काफिराना हरकत

बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर यूरोप को थर्रा दिया है। हताहतों की संख्या 150 से ज्यादा हो गई है। यूरोप के सभी देशों में लगभग आपात्काल घोषित हो गया है। यह हमला इसीलिए हुआ है कि चार दिन पहले ही सालेह अब्दुस्सलाम नामक आदमी को पकड़ा गया था। यह वह शातिर अपराधी है, जिसने पेरिस हमले का षड़यंत्र रचा था। याने ब्रसेल्स हमला, पेरिस हमले की ही अगली कड़ी है। ब्रसेल्स हमला इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यूरोप की अन्य राजधानियों को भी इसी तरह के हमलों के विरुद्ध अभी से सतर्क हो जाना चाहिए। ‘इस्लामी राज्य’ के आतंकवादी यदि सीरिया में विफल हो रहे हैं तो उसका गुस्सा वे यूरोप में निकाल रहे हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि पेरिस और ब्रसेल्स-जैसी घटनाएं एशियाई देशों में भी होने लगें।

आश्चर्य है कि यूरोप के देश अमेरिका की तरह अपने आप को सुरक्षित क्यों नहीं कर पा रहे हैं? ‘नाइन इलेवन’ के बाद आज तक अमेरिका में आतंक की कोई गंभीर घटना नहीं हुई लेकिन यूरोप में कई वर्षों से इस तरह की घटनाएं होती चली जा रही हैं। इसका एक कारण तो यही है कि एशिया और अफ्रीका में यूरोप के जितने भी उपनिवेश थे, उनके नागरिकों को यूरोपीय देशों की नागरिकता लेने में खास कठिनाई नहीं होती। वहां वे लाखों की संख्या में हैं। उन्हीं के बीच में से ये आतंकवादी पैदा होते हैं।

दूसरा कारण यह है कि इन देशों में मुक्त आवागमन है। एक देश में अपराध करो और दूसरे देश में जाकर छिप जाओ। एक देश में भले बनकर बैठे रहे और दूसरे देश में आग लगा दो। तीसरा कारण यह है कि जो एशियाई और अफ्रीकी नागरिक यूरोप आ जाते हैं, उनमें से ज्यादातर बेरोजगार होते हैं, अशिक्षित होते हैं, निहायत गरीब होते हैं। उन्हें मज़हब के नाम पर बहकाना आसान होता है। वे यों भी रंगभेद और मज़हबभेद की वजह से खिसियाए हुए रहते हैं।

ऐसे गुमराह नौजवानों से ही यह आतंक की कार्रवाई करवाई जाती है। यूरोप कहता है कि आतंकियों के विरुद्ध वह युद्धरत है लेकिन सवाल यह है कि वह बार-बार उनसे पिट क्यों जाता है? इन आतंकियों का मुकाबला करने के लिए जो भी पारंपरिक तरीके हैं, उन्हें जरुर अपनाया जाए लेकिन यह भी जरुरी है कि इस्लामी मुल्ला-मौलवियों को प्रेरित किया जाए कि वे आतंक के खिलाफ फतवे जारी करें और हर मस्जिद में हिंसा के खिलाफ तकरीरें की जाएं। जब तक आतंक को ‘काफिराना हरकत’ घोषित नहीं किया जाएगा, जवान मुसलमान गुमराह होते रहेंगे। वे शांतिप्रिय मुसलमानों का जीना हराम कर देंगे।